राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार, 28 अगस्त 2025 को संघ की 100 साल की यात्रा पर आयोजित व्याख्यानमाला के तीसरे दिन अपने विचार साझा किए। भागवत ने इस अवसर पर भारतीय शिक्षा प्रणाली और उसके सुधार पर अपने अनुभव और राय दी।
भागवत ने कहा कि शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबों में दी गई जानकारी रटना नहीं है। विद्यार्थियों को अपने अतीत और संस्कृति को समझना भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि ब्रिटिशों ने भारत पर अपनी शिक्षा प्रणाली थोप दी थी, जिससे भारतीय शिक्षा की अपनी परंपराएं लुप्त हो गईं।
भागवत ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की भी तारीफ की और इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया। उन्होंने बताया कि NEP में पंचकोशीय शिक्षा का प्रावधान शामिल है, जो छात्रों को सम्पूर्ण रूप से विकसित करने का उद्देश्य रखता है।
आरएसएस प्रमुख ने स्पष्ट किया कि अंग्रेजी सीखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अंग्रेज बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “अंग्रेजी सिर्फ एक भाषा है, इसे सीखना ठीक है, लेकिन अपने मूल और संस्कृति को भूलकर अंग्रेज बनने की आवश्यकता नहीं है।”
भागवत ने यह भी सुझाव दिया कि भारत की मुख्यधारा की शिक्षा को गुरुकुल शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने बचपन में ओलिवर ट्विस्ट पढ़ा, लेकिन यह सही नहीं है कि प्रेमचंद जैसी भारतीय कृतियों को पीछे छोड़ दें। उन्होंने संस्कृत की महत्ता पर भी जोर दिया और कहा कि भारत को समझने के लिए इसकी समझ जरूरी है।
भागवत ने यह भी उल्लेख किया कि कई देशों के लोग RSS की शिक्षा प्रणाली को देखकर प्रभावित हुए हैं और उन्होंने इसे अपने देश में लागू करने की इच्छा जताई। उनका मानना है कि हमारे मूल्य और परंपराएं विद्यार्थियों को सिखाई जानी चाहिए।