RSS Chief Mohan Bhagwat Urges Unity Among All Hindu Castes and Communities
हिंदू समाज का एकीकरण ही संघ का उद्देश्य: मोहन भागवत
AIN NEWS 1: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में अपने एक संबोधन में हिंदू समाज की एकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि हिंदू समाज के सभी पंथों, जातियों और समुदायों को एक साथ आना चाहिए। उनका मानना है कि मंदिर, श्मशान और पानी जैसे मूलभूत संसाधनों पर सभी हिंदुओं का समान अधिकार होना चाहिए।
संघ की परिकल्पना: समरस समाज
मोहन भागवत ने स्पष्ट कहा कि RSS की परिकल्पना एक समरस और संगठित हिंदू समाज की है। संघ यह नहीं चाहता कि हिंदू समाज टुकड़ों में बंटा रहे, बल्कि वह चाहता है कि सभी जातियों और वर्गों के लोग एक मंच पर आएं। उन्होंने कहा कि समाज में भेदभाव और ऊंच-नीच की सोच को खत्म करना आज के समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
मंदिर, श्मशान और पानी पर सबका अधिकार
भागवत का यह बयान खासतौर पर उन जगहों पर लागू होता है जहां आज भी कुछ जातियों को मंदिरों में प्रवेश या श्मशान भूमि के उपयोग में भेदभाव झेलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज का कोई भी व्यक्ति हो, उसे मंदिर जाने, श्मशान में अंतिम संस्कार करने और सार्वजनिक पानी के स्रोतों का इस्तेमाल करने का समान अधिकार मिलना चाहिए।
हिंदू कोई एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन पद्धति
भागवत ने अपने भाषण में यह भी कहा कि “हिंदू” कोई विशेष संप्रदाय या पंथ नहीं है, बल्कि यह एक जीवन जीने की पद्धति है। इस जीवन शैली में विविधता स्वाभाविक है और यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि संघ इसी विविधता में एकता की बात करता है।
संगठित समाज से ही मजबूत राष्ट्र
RSS प्रमुख ने कहा कि जब तक हिंदू समाज बंटा रहेगा, तब तक देश को उसकी पूरी शक्ति नहीं मिल सकती। एकता ही शक्ति है, और यदि समाज एकजुट होगा तो भारत एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि संघ का कार्य किसी राजनीतिक लक्ष्य के लिए नहीं, बल्कि समाज के उत्थान के लिए है।
पंथों और जातियों से ऊपर उठने की आवश्यकता
भागवत ने समाज से अपील की कि अब समय आ गया है जब हमें अपने-अपने पंथ, जाति और समुदाय की संकीर्ण सीमाओं से ऊपर उठकर एक बड़े उद्देश्य की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे त्योहार, परंपराएं और रीति-रिवाज अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारी संस्कृति और मूल मूल्य एक ही हैं।
युवाओं को जोड़ा जाए संगठन से
उन्होंने युवाओं को भी संघ से जुड़ने की प्रेरणा दी और कहा कि आने वाली पीढ़ी को यह समझना चाहिए कि समाज का एकीकरण ही राष्ट्र निर्माण की नींव है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ का दरवाज़ा हर उस व्यक्ति के लिए खुला है जो भारत और हिंदू संस्कृति से प्रेम करता है।
मोहन भागवत का यह बयान हिंदू समाज के समरस और समावेशी स्वरूप को दर्शाता है। उनका उद्देश्य समाज में व्याप्त असमानताओं को खत्म कर सभी को एकजुट करना है। यह विचारधारा न केवल धार्मिक सौहार्द बढ़ा सकती है, बल्कि सामाजिक समरसता की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
RSS Chief Mohan Bhagwat has called for complete unity among all Hindu castes and communities, urging that basic rights like access to temples, cremation grounds, and water sources be equally available to all. He emphasized that the RSS vision is to organize and unify the Hindu society, removing caste-based divisions and promoting social harmony. This message reinforces the idea that Hinduism is a way of life, inclusive of all sects, and such unity is essential for building a stronger nation.