RSS Chief Mohan Bhagwat Slams Pahalgam Attack, Says Killings Based on Religion Must End
“धर्म पूछकर हत्या करना अधर्म की पराकाष्ठा है, भारत को ताकतवर बनना होगा: मोहन भागवत”
AIN NEWS 1: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर कड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस हमले को धर्म और अधर्म की लड़ाई बताया और कहा कि जिन लोगों की हत्या की गई, उनसे पहले उनका धर्म पूछा गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदू धर्म ऐसा कृत्य कभी नहीं कर सकता क्योंकि वह धैर्य और सहिष्णुता पर आधारित है।
मुंबई में आयोजित पंडित दीनानाथ मंगेशकर की 83वीं पुण्यतिथि के अवसर पर भागवत ने कहा कि यह समय भारत को सशक्त बनाने का है ताकि देश को तोड़ने और आतंक फैलाने वाले असूरों का अंत किया जा सके।
धर्म नहीं, अधर्म के खिलाफ है यह लड़ाई
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि वर्तमान समय की यह लड़ाई किसी धर्म या संप्रदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह धर्म (नीति, न्याय और मानवता) और अधर्म (अनीति, आतंक और क्रूरता) के बीच की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि किसी भी सच्चे धार्मिक व्यक्ति का यह स्वभाव नहीं हो सकता कि वह किसी का धर्म पूछकर उसकी जान ले।
भागवत के अनुसार, भारत के सैनिक और नागरिक कभी किसी को धर्म के आधार पर नहीं मारते। यह कार्य वे ही करते हैं जिनके मन में कट्टरता और घृणा भरी होती है।
हिंदू धर्म का मूल स्वभाव
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म में सहनशीलता और करुणा की भावना होती है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “हिंदू कभी किसी को धर्म पूछकर नहीं मारेगा, क्योंकि वह धैर्यवान होता है।” उन्होंने देशवासियों से अपील की कि भारत को इतना मजबूत बनाएं कि कोई भी बुरी ताकत उसकी ओर आंख उठाकर न देख सके।
देश को सशक्त बनाने की आवश्यकता
भागवत ने आगे कहा कि जब राक्षस प्रवृत्ति के लोग समाज में फैले हों, तब उनसे लड़ने के लिए सिर्फ सहिष्णुता से काम नहीं चलता। जरूरत होती है शक्ति की। उन्होंने राम और रावण के उदाहरण से समझाया कि रावण विद्वान और शिवभक्त होते हुए भी बदलने को तैयार नहीं था, इसलिए उसका अंत किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे दुष्ट लोगों का सफाया होना आवश्यक है।
घृणा नहीं, पर सहन भी नहीं करेंगे
संघ प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय संस्कृति में नफरत और शत्रुता की भावना नहीं होती, लेकिन अन्याय को सहन करना भी उसका हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर हम एकजुट रहेंगे, तो कोई भी हम पर बुरी नजर डालने की हिम्मत नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “अगर कोई बुरी नजर डालेगा तो उसकी आंख फोड़ी जाएगी।”
समाज में एकता की जरूरत
भागवत ने कहा कि देश में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए समाज में एकता बेहद जरूरी है। अगर हम संगठित रहेंगे, तो आतंकवादी और कट्टरपंथी ताकतें अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकेंगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि देश को मज़बूत बनाने की दिशा में हर नागरिक को योगदान देना होगा।
मोहन भागवत का यह बयान न केवल पहलगाम हमले पर आक्रोश को प्रकट करता है, बल्कि एक बड़े संदेश की तरफ भी इशारा करता है—भारत को आंतरिक रूप से मज़बूत बनाना होगा, ताकि अधर्म और आतंक का डटकर सामना किया जा सके।
RSS Chief Mohan Bhagwat condemned the Pahalgam terror attack in strong words, stating that the killings were based on asking victims their religion—a clear sign of Adharma. Speaking in Mumbai, Bhagwat emphasized that this is not a battle between religions, but between Dharma and Adharma. He called for a stronger and more united India to defeat terrorism and religious extremism, stating that Hindus would never kill anyone based on their faith. His remarks highlight the urgent need to combat radical ideologies and maintain national unity.