AIN NEWS 1 नागपुर, महाराष्ट्र: विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने पड़ोसी देश बांग्लादेश में हाल ही में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं के पीछे कुछ तात्कालिक कारण हो सकते हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम इसके गहरे कारणों पर विचार करें।
भागवत ने कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की परंपरा फिर से उभर आई है। यह पहली बार है जब हिंदुओं ने एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरकर विरोध किया। लेकिन जब तक यह कट्टरता बनी रहेगी, तब तक न केवल हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक समुदाय भी खतरे में रहेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को मदद की आवश्यकता है और इसमें पूरे विश्व के हिंदुओं को भी योगदान देना चाहिए। भागवत ने स्पष्ट किया कि “कमजोर होना एक अपराध है। अगर हम कमजोर हैं, तो हम अत्याचार को आमंत्रित कर रहे हैं।”
इस संदर्भ में, उन्होंने भारत सरकार से भी अपील की कि वह बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए। भागवत ने कहा, “हमें एकजुट होकर और सशक्त होकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि विश्व में जहां भी हिंदू हैं, उन्हें एकजुट होकर अपनी आवाज उठानी चाहिए। उनके अनुसार, यह केवल हिंदुओं का ही नहीं, बल्कि सभी अल्पसंख्यकों का कर्तव्य है कि वे एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा करें।
भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि जब हम एकजुट होते हैं, तब ही हम अपने अधिकारों और सम्मान की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे अपने समुदायों में एकता और सहयोग को बढ़ावा दें, ताकि कोई भी अत्याचार या अन्याय सहन न करना पड़े।
उनके इस भाषण ने एक बार फिर से यह संदेश दिया कि एकता में ही शक्ति है, और समाज के सभी वर्गों को एक साथ आकर एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए।
इस प्रकार, मोहन भागवत का यह बयान न केवल बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए अपील थी, बल्कि यह भारत के सभी नागरिकों को एकजुट होने की आवश्यकता पर भी जोर देता है।
अंत में, भागवत ने एक स्पष्ट संदेश दिया कि एकजुटता के बिना, हम अपने अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकते और सभी को अपनी पहचान और अस्तित्व की रक्षा के लिए संगठित होना होगा।