AIN NEWS 1 नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को भविष्य की मोबिलिटी के रूप में देखा जा रहा है, और सरकार भी इन्हें बढ़ावा दे रही है। हाल के वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि हुई है। लेकिन, हाल ही में एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि आधे से अधिक ईवी मालिक अपनी इस खरीदारी से संतुष्ट नहीं हैं और अब वे पारंपरिक इंटर्नल कम्बशन इंजन (ICE) वाहनों की ओर लौटना चाहते हैं।
सर्वेक्षण में शामिल 500 ईवी मालिकों ने अपनी समस्याओं के बारे में बताया, जो मुख्यतः निम्नलिखित हैं:
1. चार्जिंग की समस्याएं:
– 88% ईवी मालिकों के लिए सुलभ और कार्यशील चार्जिंग स्टेशन ढूंढना सबसे बड़ी चिंता का विषय है। भारत में 20,000 से अधिक ईवी चार्जिंग स्टेशन होने के बावजूद, इन स्टेशनों की दृश्यता और पहुँच बहुत सीमित है। अधिकांश मालिक 50 किलोमीटर से कम की दूरी की छोटी शहरी यात्राओं के लिए ही ईवी का उपयोग करना पसंद करते हैं।
2. रखरखाव में दिक्कतें:
– 73% ईवी मालिकों ने बताया कि उनकी गाड़ियाँ एक “ब्लैक बॉक्स” की तरह हैं। छोटे-मोटे मरम्मत का काम स्थानीय मैकेनिक नहीं कर सकते, और उन्हें कंपनी के अधिकृत डीलर के पास जाना पड़ता है। मरम्मत की लागत के बारे में भी कोई पारदर्शिता नहीं है।
3. रीसेल वैल्यू की कमी:
– ईवी वाहनों की रीसेल वैल्यू बहुत कम है। इनके मूल्य निर्धारण के लिए कोई तार्किक तरीका नहीं है, जिससे अगर ईवी को बेचना पड़े, तो उसका मूल्य काफी कम मिलता है। इसके विपरीत, डीजल, पेट्रोल या सीएनजी वाहनों की रीसेल वैल्यू का मूल्यांकन बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि ईवी के साथ कई प्रकार की समस्याएँ हैं, जिनकी वजह से कई मालिक अब पारंपरिक वाहनों की ओर लौटने पर विचार कर रहे हैं।