नमस्कार,
कल की बड़ी खबर संसद के शीतकालीन सत्र से जुड़ी रही, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिजनेसमैन गौतम अडाणी का मुखौटा पहने सांसदों का इंटरव्यू लिया। एक खबर दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) की दूसरी लिस्ट की रही।
आज के प्रमुख इवेंट्स:
- ज्ञानवापी मस्जिद केस:
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने का ASI सर्वे कराने वाली याचिका पर सुनवाई होगी।
- इस मामले को लेकर लंबे समय से कानूनी प्रक्रिया जारी है और यह सुनवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
- भारत-रूस रक्षा वार्ता:
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज रूसी रक्षा मंत्री एंड्री बेलौसोव के साथ बैठक करेंगे।
- बैठक में सुरक्षा सहयोग, रक्षा उपकरणों की आपूर्ति, और रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा होने की संभावना है।
अब कल की बड़ी खबरें…
संसद में राहुल गांधी का सवाल-जवाब: मोदी-अडाणी की ‘पार्टनरशिप’ पर तंज
संसद के शीतकालीन सत्र के 11वें दिन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रिपोर्टर की भूमिका निभाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडाणी के रिश्ते पर तंज कसा। इस दौरान कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने गौतम अडाणी का और एनसीपी सांसद शिवाजीराव आढलराव पाटिल ने प्रधानमंत्री मोदी का मुखौटा पहना हुआ था। राहुल ने इन ‘मुखौटा सांसदों’ से मजाकिया लहजे में कई सवाल किए।
राहुल के सवाल और ‘मुखौटा सांसदों’ के जवाब
राहुल गांधी: आजकल क्या हो रहा है भाई?
अडाणी का मुखौटा पहने सांसद: आजकल मैं जो भी बोलता हूं, ये करता है।
राहुल गांधी: अगला आप क्या लेने की कोशिश कर रहे हो?
अडाणी का मुखौटा पहने सांसद: कुछ भी चाहता हूं। एयरपोर्ट चाहिए… कुछ भी चाहिए।
(इसके बाद अडाणी का मुखौटा पहने सांसद ने मोदी का मुखौटा पहने सांसद की पीठ थपथपाई और कहा…)
अडाणी का मुखौटा पहने सांसद: हमारी मीटिंग आज शाम को है। ये भाई है अपना।
राहुल गांधी: ये बड़े सीरियस लग रहे हैं, कम बोलते हैं आजकल।
अडाणी का मुखौटा पहने सांसद: ये आजकल थोड़ा टेंशन में हैं।
राहुल गांधी: आपकी पार्टनरशिप कब से चल रही है?
मुखौटा पहने सांसद: (मोदी का मुखौटा पहने सांसद का हाथ पकड़ते हुए…) सालों साल से।
BJP ने जताई आपत्ति
राहुल गांधी के इस अंदाज पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई। बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, “वरिष्ठ नेता संसद में मुखौटा पहनकर खड़े होते हैं और प्रधानमंत्री के बारे में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं।”
इस घटना ने संसद में सियासी गर्मी बढ़ा दी है।
ममता बनर्जी का करारा जवाब: “आप कब्जा करेंगे और हम लॉलीपॉप खाएंगे?”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेशी नेताओं के उस दावे पर कड़ा जवाब दिया, जिसमें बंगाल, बिहार और ओडिशा पर अधिकार जताया गया था। ममता ने तीखे शब्दों में कहा, “आपको क्या लगता है, आप हमारी जमीन पर कब्जा करेंगे और हम लोग लॉलीपॉप खाते रहेंगे?”
ममता की अपील: शांति बनाए रखें
ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर लोगों से शांत रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल हमेशा केंद्र सरकार के फैसलों का समर्थन करेगा और किसी भी बाहरी दावे को बर्दाश्त नहीं करेगा।
बांग्लादेशी नेता का बयान
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के जॉइंट जनरल सेक्रेटरी रूहुल कबीर रिजवी ने 8 दिसंबर को एक बयान में कहा था:
“भारत हर कदम पर बांग्लादेश को नुकसान पहुंचा सकता है। भारत ने शेख हसीना को शरण दी क्योंकि उसे बांग्लादेश के लोग पसंद नहीं हैं। भारत किसी से दोस्ती नहीं कर सकता। अगर भारत चटगांव पर दावा करता है, तो हम बंगाल, बिहार और ओडिशा वापस ले लेंगे।”
सियासी गर्मी बढ़ी
ममता बनर्जी का ये जवाब बांग्लादेशी नेताओं के बयान के खिलाफ स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी जमीन पर किसी भी तरह का दावा बर्दाश्त नहीं करेगा।
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल जल्द आएगा, JPC को सौंपेगी सरकार
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में ही ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पेश कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, इस बिल को चर्चा के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेजा जाएगा ताकि सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनाई जा सके। सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।
क्या है ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’?
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का मतलब है कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसके तहत वोटर एक ही दिन या चरणबद्ध तरीके से लोकसभा और विधानसभा के सदस्यों को चुनेंगे। फिलहाल, लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं।
पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव
यह व्यवस्था देश में नई नहीं है। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए गए थे। हालांकि, 1968-1969 में कुछ विधानसभाएं समय से पहले भंग हो गईं। इसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई, जिससे ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की परंपरा टूट गई।
बिल का उद्देश्य और प्रक्रिया
- उद्देश्य: चुनावी प्रक्रिया को आसान बनाना और बार-बार होने वाले चुनावों में खर्च को कम करना।
- प्रक्रिया: बिल को JPC के पास भेजकर सभी दलों से विचार-विमर्श किया जाएगा, ताकि देशव्यापी सहमति बन सके।
इस बिल को लागू करने के लिए संविधान में कई संशोधन की जरूरत होगी।
AAP की दूसरी सूची जारी: 17 विधायकों के टिकट कटे, सिसोदिया की सीट बदली
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपनी दूसरी सूची में 20 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। इस सूची में 17 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं, जबकि 3 प्रत्याशियों की सीट बदली गई है।
प्रमुख बदलाव:
- मनीष सिसोदिया अब पटपड़गंज की बजाय जंगपुरा से चुनाव लड़ेंगे।
- पटपड़गंज से UPSC टीचर अवध ओझा को उम्मीदवार बनाया गया है।
- तिमारपुर से मौजूदा विधायक दिलीप पांडेय की जगह सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू को टिकट दिया गया है।
अब तक 31 प्रत्याशी घोषित
- AAP ने अब तक 31 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं।
- पहली सूची में 11 उम्मीदवारों के नाम 21 नवंबर को घोषित हुए थे।
- 2020 के चुनाव में AAP ने 31 में से 27 सीटें जीती थीं।
- इस बार AAP ने अपने 27 में से 24 विधायकों के टिकट काटे हैं, यानी करीब 89% बदलाव किया गया है।
2020 का प्रदर्शन
- 2020 के चुनाव में AAP ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं।
- भाजपा को केवल 8 सीटें मिलीं।
- कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है।
सीरिया संकट: असद को रूस में शरण, भारत ने कहा- हालात पर हमारी नजर
सीरिया में विद्रोहियों के बढ़ते कब्जे के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर रूस भाग गए हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने असद और उनके परिवार को राजनीतिक शरण दी है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने सीरिया के हालात पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह घटनाओं पर नजर बनाए हुए है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा:
“हम अपील करते हैं कि सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा हो। लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए वहां शांति और राजनीतिक प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए।”
सीरिया का अंतरिम नेतृत्व
सीरिया में विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेता मोहम्मद अल-बशीर को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है।
- अरब मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब तक स्थायी सरकार नहीं बन जाती, मोहम्मद अल-बशीर सीरिया की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगे।
- इससे पहले, उन्होंने इदलिब राज्य में HTS की सरकार का नेतृत्व किया था।
बदलते समीकरण
असद के रूस भागने और अंतरिम सरकार के गठन के साथ सीरिया का राजनीतिक संकट एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। वैश्विक शक्तियों की भूमिका और सीरिया की भविष्य की स्थिति पर अब दुनिया की नजर है।
संजय मल्होत्रा होंगे नए RBI गवर्नर, 11 दिसंबर को संभालेंगे पदभार
केंद्र सरकार ने रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का नया गवर्नर नियुक्त किया है। वे RBI के 26वें गवर्नर होंगे और शक्तिकांत दास की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को समाप्त हो रहा है। मल्होत्रा 11 दिसंबर 2024 से पदभार ग्रहण करेंगे।
शक्तिकांत दास का कार्यकाल
- शक्तिकांत दास ने 12 दिसंबर 2018 को RBI गवर्नर का पद संभाला था।
- उन्होंने अपने कार्यकाल में महंगाई नियंत्रण और वित्तीय स्थिरता पर जोर दिया।
संजय मल्होत्रा की चुनौतियां
नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ऐसे समय में कार्यभार संभालेंगे, जब RBI को कई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- ब्याज दरों पर दबाव:
- महंगाई दर पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों को स्थिर रखा गया है।
- ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है।
- गिरती विकास दर:
- जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की विकास दर घटकर 5.4% रह गई, जो सात तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है।
- महंगाई नियंत्रण:
- महंगाई के जोखिम को देखते हुए, आरबीआई को वित्तीय संतुलन बनाए रखना होगा।
संजय मल्होत्रा का अनुभव
- संजय मल्होत्रा एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं।
- रेवेन्यू सेक्रेटरी के रूप में उन्होंने कर प्रशासन में सुधार लाने का काम किया है।
- उनके अनुभव से RBI की नीतियों को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में RBI की नीतियों और निर्णयों पर सभी की नजर रहेगी, खासकर आर्थिक विकास और महंगाई से निपटने के लिए।
जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए विपक्ष लाएगा अविश्वास प्रस्ताव, 70 सांसदों का समर्थन
राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। INDIA गठबंधन में शामिल सपा, TMC, और AAP के 70 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे पहले अगस्त 2024 में भी धनखड़ और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति बनी थी।
उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया
- नोटिस देना:
- अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना आवश्यक है।
- राज्यसभा में बहुमत:
- प्रस्ताव के पारित होने के लिए राज्यसभा में बहुमत की जरूरत होगी।
- लोकसभा में भी मंजूरी:
- प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना अनिवार्य है।
- लोकसभा में NDA के 293 और INDIA गठबंधन के 236 सदस्य हैं।
- बहुमत के लिए 272 सदस्यों का समर्थन चाहिए। विपक्ष के लिए यह संख्या जुटाना चुनौतीपूर्ण होगा।
क्या होगा प्रस्ताव के दौरान?
- जब अविश्वास प्रस्ताव पेश होगा और इस पर चर्चा होगी, उस दौरान सभापति जगदीप धनखड़ राज्यसभा की पीठ पर नहीं बैठेंगे। यह सामान्य न्याय सिद्धांत के अनुसार है।
चुनौती और संभावना
- बहुमत का गणित: विपक्ष के पास 70 सांसदों का समर्थन है, लेकिन लोकसभा में बहुमत के आंकड़े को छूना मुश्किल होगा।
- राजनीतिक तनाव: यह कदम विपक्ष और सत्तारूढ़ दलों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है।
इस प्रस्ताव के भविष्य पर अब सभी की नजर रहेगी।