नमस्कार,
कल की बड़ी खबर यूपी के प्रयागराज से रही, 4 दिन तक चले छात्रों के प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने अपना फैसला वापस ले लिया। एक खबर राजस्थान के टोंक की रही, यहां वोटिंग के दौरान SDM को थप्पड़ मारने वाले निर्दलीय उम्मीदवार को एक दिन बाद गिरफ्तार किया गया।
आज के प्रमुख इवेंट्स:
- PM मोदी करेंगे पहले बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली में पहले बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन करेंगे।
- यह महोत्सव दो दिन तक चलेगा, जिसमें बोडोलैंड की समृद्ध संस्कृति, कला और परंपराओं का प्रदर्शन होगा।
- भारत बनाम साउथ अफ्रीका: T20 सीरीज का निर्णायक मुकाबला
- भारत और साउथ अफ्रीका के बीच 4 मैचों की टी-20 सीरीज का आखिरी मुकाबला आज जोहान्सबर्ग में खेला जाएगा।
- भारत इस सीरीज में 2-1 से आगे है और आज का मैच जीतकर सीरीज अपने नाम करना चाहेगा।
अब कल की बड़ी खबरें…
UPPSC ने लिया बड़ा फैसला: PCS और RO/ARO परीक्षाएं अब एक ही शिफ्ट में, नई तारीखें जल्द
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने दो शिफ्ट में आयोजित होने वाली PCS प्री और RO/ARO प्री परीक्षाओं का फैसला वापस ले लिया है। अब ये परीक्षाएं पुराने पैटर्न पर एक ही शिफ्ट में कराई जाएंगी और इसके लिए जल्द ही नई तारीखों की घोषणा की जाएगी।
छात्रों के विरोध के बाद लिया फैसला
प्रयागराज में 20 हजार से ज्यादा छात्रों ने आयोग के इस फैसले के खिलाफ पिछले चार दिनों से विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों की मांग थी कि परीक्षाएं एक ही दिन और एक शिफ्ट में हों और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को समाप्त किया जाए। छात्रों के विरोध को देखते हुए, UPPSC ने अपने पुराने पैटर्न पर लौटने का निर्णय लिया है।
क्या था आयोग का पहले का प्लान?
- PCS प्री एग्जाम: पहले यह परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को दो शिफ्ट में होने वाली थी।
- RO/ARO प्री एग्जाम: इस परीक्षा को 22 और 23 दिसंबर को तीन शिफ्ट में आयोजित करने की योजना थी, जिसमें 22 दिसंबर को दो शिफ्ट और 23 दिसंबर को एक शिफ्ट रखी गई थी।
- पहली बार नॉर्मलाइजेशन स्कोर की प्रक्रिया लागू की जानी थी, जिससे छात्र नाराज थे।
आयोग का बयान
आयोग के सचिव अशोक कुमार ने कहा, “अब PCS प्री परीक्षा को पुराने पैटर्न के अनुसार एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाएगा। RO/ARO परीक्षा को एक ही दिन में कराने के लिए एक विशेष कमेटी बनाई गई है।”
छात्रों के विरोध के बाद यह कदम उठाया गया है, जिससे अब दोनों परीक्षाओं के लिए नई तारीखों का इंतजार किया जा रहा है।
नोट: नई तारीखों की घोषणा जल्द ही UPPSC की आधिकारिक वेबसाइट पर की जाएगी। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से वेबसाइट चेक करते रहें।
राजस्थान थप्पड़कांड: निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा गिरफ्तार, 500 पुलिसकर्मी तैनात कर पकड़ा गया
राजस्थान के टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा को SDM को थप्पड़ मारने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना के बाद माहौल इतना बिगड़ गया कि पुलिस को मीणा को पकड़ने के लिए 500 से ज्यादा जवान और STF की टीम लगानी पड़ी।
क्या है पूरा मामला?
- घटना: बुधवार को नरेश मीणा ने एक मतदान केंद्र पर पहुंचकर SDM को थप्पड़ मार दिया। उनका आरोप था कि वहां जबरन वोट डलवाए जा रहे थे।
- हंगामा और हिंसा: गिरफ्तारी के तुरंत बाद मीणा के समर्थकों ने पुलिस हिरासत से उसे छुड़ा लिया। इसके दौरान पथराव हुआ और 50-60 वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।
- जवानों की तैनाती: स्थिति को काबू में करने के लिए अगले दिन 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों और STF की तैनाती करनी पड़ी।
फिर भड़की हिंसा
मीणा की दोबारा गिरफ्तारी के दौरान भी उनके समर्थकों ने हिंसा की। इस झड़प में 50 से अधिक ग्रामीण और पुलिसकर्मी घायल हो गए।
RAS अफसरों का धरना
इस घटना के विरोध में RAS एसोसिएशन के अफसर सचिवालय में धरने पर बैठ गए, मांग की गई कि ऐसे हमलों पर कड़ी कार्रवाई हो।
नरेश मीणा पर पहले से हैं 23 मामले दर्ज
नरेश मीणा पर पहले से ही मारपीट, राजकार्य में बाधा डालने, और हाईवे जाम करने जैसे 23 से अधिक मामले दर्ज हैं। ताजा हिंसा में शामिल 60 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है।
नोट: घटना के बाद इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात है और हालात पर नजर रखी जा रही है।
15 दिन में सोना ₹5,942 और चांदी ₹10,937 सस्ती, जानिए क्यों आई कीमतों में गिरावट
बीते 15 दिनों में सोने और चांदी की कीमतों में बड़ी गिरावट देखी गई है। 10 ग्राम सोना अब ₹73,944 पर बिक रहा है, जबकि 30 अक्टूबर को इसका भाव ₹79,681 था। इस तरह, सोने की कीमत में ₹5,942 की कमी आई है। वहीं, चांदी की कीमत भी 15 दिनों में ₹10,937 घटकर अब ₹87,103 प्रति किलो हो गई है, जो 30 अक्टूबर को ₹98,040 थी।
सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट की वजहें:
- मुनाफा वसूली: बीते 3 महीनों में सोने की कीमतें तेजी से बढ़ी थीं। अब निवेशकों ने मुनाफा वसूली शुरू कर दी है, जिससे मांग घटी है।
- डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी: डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के बाद डॉलर इंडेक्स में 2.36% का उछाल आया है, जिससे सोने की कीमतों पर दबाव पड़ा।
- अमेरिकी बॉन्ड की बढ़ती कीमत: अमेरिकी बॉन्ड्स की कीमत में तेजी आई है, जिससे निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर बढ़े हैं।
- फेडरल रिजर्व का रेट कट: फेडरल रिजर्व ने उम्मीदों के मुकाबले कम 0.25% ब्याज दरों में कटौती की है, जिससे सोने की मांग और कम हो गई।
निवेशकों के लिए क्या है मायने?
अगर आप सोने और चांदी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो मौजूदा गिरावट आपके लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है। हालांकि, बाजार में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए निवेश का फैसला लें।
नोट: सोने और चांदी की कीमतों में आगे भी उतार-चढ़ाव संभव है, इसलिए नियमित रूप से बाजार की स्थिति पर नजर बनाए रखें।
रिलायंस-डिज्नी मर्जर: बना देश का सबसे बड़ा एंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्म, 75 करोड़ दर्शकों के साथ 120 चैनल और 2 OTT प्लेटफॉर्म
रिलायंस ग्रुप की वायाकॉम-18 और डिज्नी इंडिया का मर्जर अब पूरा हो चुका है, जिससे यह भारत की सबसे बड़ी एंटरटेनमेंट कंपनी बन गई है। इस मर्जर के बाद, नए संयुक्त वेंचर के पास 75 करोड़ दर्शकों का विशाल नेटवर्क होगा। कंपनी के पास 120 चैनल और 2 OTT प्लेटफॉर्म भी होंगे, जो इसे देश का सबसे बड़ा एंटरटेनमेंट हब बनाते हैं।
हिस्सेदारी का बंटवारा:
- रिलायंस: 63.16% हिस्सेदारी
- डिज्नी: 36.84% हिस्सेदारी
प्रमुख पदाधिकारियों की भूमिका:
- नीता अंबानी होंगी इस संयुक्त वेंचर की चेयरपर्सन।
निवेश की जानकारी:
- रिलायंस ने इस जॉइंट वेंचर में 11,500 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
इस मर्जर का प्रभाव:
यह मर्जर भारत के एंटरटेनमेंट सेक्टर में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है। इसके साथ ही, दर्शकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर अधिक विविध और उच्च गुणवत्ता वाला कंटेंट मिलेगा। OTT और टीवी चैनलों के इस विशाल नेटवर्क के जरिए कंपनी भारतीय दर्शकों की हर तरह की मनोरंजन की जरूरतों को पूरा करेगी।
नोट: इस मर्जर के बाद, रिलायंस-डिज्नी वेंचर भारतीय मीडिया और मनोरंजन इंडस्ट्री में एक मजबूत दावेदार बन गया है, जो आने वाले समय में और भी विस्तार की योजनाएं बना सकता है।
महाराष्ट्र में BJP के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर बवाल, अशोक चव्हाण बोले- जनता को यह पसंद नहीं आएगा
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के बीच BJP के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर पार्टी के भीतर ही विरोध के सुर उभर रहे हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और हाल ही में BJP में शामिल हुए सांसद अशोक चव्हाण ने इस नारे की आलोचना करते हुए कहा, “महाराष्ट्र की जनता इस तरह के नारे को पसंद नहीं करेगी।”
भाजपा नेताओं में मतभेद:
- पंकजा मुंडे (BJP MLC) और अजित पवार (डिप्टी CM) ने भी इस नारे का समर्थन करने से इनकार कर दिया है।
- पार्टी के अंदर कई नेता इस नारे को लेकर सहमति में नहीं दिख रहे हैं।
फडणवीस का बचाव:
महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने नारे का बचाव करते हुए कहा, “‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा महाविकास अघाड़ी (MVA) के चुनावी कैंपेन का जवाब है। हमारे सहयोगी इस नारे का असली मतलब नहीं समझ पाए।”
- फडणवीस के अनुसार, इस नारे का असली मतलब है कि “हमें एकजुट रहना है।”
- उन्होंने साफ किया कि, “PM मोदी ने कहा है- ‘एक हैं तो सेफ हैं।’ इसका यह मतलब नहीं है कि हम किसी समुदाय के खिलाफ हैं, खासकर मुसलमानों के खिलाफ नहीं।”
राजनीतिक हलचल और जनता की प्रतिक्रिया:
इस नारे ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां BJP के नेता इसे एकजुटता का संदेश बता रहे हैं, वहीं विपक्षी दल इसे विभाजनकारी बताकर निशाना साध रहे हैं।
नोट: आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस नारे पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या यह भाजपा के चुनावी कैंपेन को प्रभावित करेगा।
दिल्ली की हवा ‘गंभीर’ स्तर पर, 5वीं तक के स्कूल होंगे ऑनलाइन, निर्माण और तोड़फोड़ कार्यों पर रोक
दिल्ली में इस सीजन में पहली बार एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 424 तक पहुंच गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इस खतरनाक स्तर की हवा ने लोगों के लिए सांस लेना और भी मुश्किल बना दिया है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं।
सरकार के नए प्रतिबंध:
- स्कूल बंद: कक्षा 5वीं तक के सभी स्कूल ऑनलाइन चलाए जाएंगे।
- बस सेवा पर रोक: NCR से आने वाली हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की बसों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- निर्माण कार्य बंद: दिल्ली में सभी निर्माण, खनन और तोड़फोड़ के कार्यों पर रोक रहेगी।
- ये सभी प्रतिबंध 15 नवंबर सुबह 8 बजे से लागू होंगे।
क्या है GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान)?
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए GRAP (Graded Response Action Plan) के तहत चार चरणों में उपाय लागू किए जाते हैं। दिल्ली की मौजूदा स्थिति के चलते GRAP का तीसरा चरण सक्रिय किया गया है।
GRAP के चार चरण:
- GRAP-1 (खराब): AQI 201-300
- GRAP-2 (बहुत खराब): AQI 301-400
- GRAP-3 (गंभीर): AQI 401-450
- दिल्ली में वर्तमान में इसी चरण के तहत प्रतिबंध लागू किए गए हैं।
- GRAP-4 (बहुत गंभीर): AQI 450 से ज्यादा
प्रदूषण से बचने के सुझाव:
- बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करें।
- बच्चों और बुजुर्गों को अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने दें।
- एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और घर के अंदर रहें।
नोट: दिल्ली की हवा की स्थिति पर नजर बनाए रखें। प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए और भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प ने जताई तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की इच्छा, संविधान में बदलाव की जरूरत
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की इच्छा जाहिर की है। हालांकि, मौजूदा अमेरिकी संविधान के तहत कोई भी व्यक्ति केवल 2 बार ही राष्ट्रपति बन सकता है। अगर ट्रम्प तीसरी बार चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए अमेरिकी संविधान में संशोधन करना अनिवार्य होगा।
संविधान में बदलाव की प्रक्रिया:
- संविधान संशोधन के लिए अमेरिकी संसद (Congress) और राज्यों का समर्थन आवश्यक है।
- इसे लागू करने के लिए दो-तिहाई बहुमत से अमेरिकी संसद में प्रस्ताव पास करना होगा और फिर 38 राज्यों की मंजूरी की जरूरत होगी।
73 साल पुराना नियम:
- साल 1951 में 22वें संशोधन के तहत यह नियम बनाया गया कि कोई भी व्यक्ति अधिकतम 2 बार ही राष्ट्रपति बन सकता है।
- इससे पहले, अमेरिका में 2 बार राष्ट्रपति बनने की कोई बाध्यता नहीं थी।
- यह नियम तब आया जब राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने 1933 से 1945 तक लगातार 4 बार चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बनाया। उनके कार्यकाल के बाद यह सुनिश्चित किया गया कि भविष्य में कोई भी नेता केवल 2 बार ही राष्ट्रपति बन सके।
जॉर्ज वॉशिंगटन की प्रथा:
- अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन ने 2 टर्म के बाद स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले लिया था। इसके बाद यह एक प्रथा बन गई, जिसे आने वाले 31 राष्ट्रपतियों ने भी अपनाया।
- रूजवेल्ट ने इस प्रथा को तोड़ा, जिसके बाद संविधान में बदलाव कर इसे कानूनी रूप दे दिया गया।
क्या ट्रम्प के लिए यह संभव है?
- ट्रम्प के लिए तीसरी बार राष्ट्रपति बनने का रास्ता आसान नहीं होगा। उन्हें अमेरिकी संविधान में बदलाव के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाना होगा, जो वर्तमान राजनीतिक माहौल को देखते हुए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
नोट: ट्रम्प की इस इच्छा ने अमेरिकी राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। अब देखना होगा कि क्या वह अपने समर्थकों को साथ लेकर संविधान संशोधन की दिशा में कदम बढ़ा पाएंगे।