नमस्कार,
कल की बड़ी खबर जोमैटो और स्विगी पर नियम तोड़ने के आरोपों की रही। एक खबर कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो के बयान की रही, उन्होंने पहली बार स्वीकारा कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक मौजूद हैं।
आज के प्रमुख इवेंट्स:
- अमित शाह मुंबई में BJP का मेनिफेस्टो जारी करेंगे
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज मुंबई में BJP का चुनावी मेनिफेस्टो जारी करेंगे। इस मेनिफेस्टो के जरिए पार्टी महाराष्ट्र के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करेगी। देखना होगा कि इसमें किन मुद्दों को प्राथमिकता दी जाती है। - भारत vs साउथ अफ्रीका: टी-20 सीरीज का दूसरा मुकाबला
भारत और साउथ अफ्रीका के बीच चल रही 4 मैचों की टी-20 सीरीज का दूसरा मुकाबला आज खेला जाएगा। यह मैच क्रिकेट फैंस के लिए खास होगा क्योंकि दोनों टीमें सीरीज में बढ़त बनाने की कोशिश करेंगी।
अब कल की बड़ी खबरें…
जोमैटो और स्विगी पर अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिस का आरोप, CCI की जांच के दायरे में
महाराष्ट्र में मुस्लिमों के लिए 10% आरक्षण की मांग, उलेमा बोर्ड ने MVA को समर्थन के लिए 17 शर्तें रखीं
ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड (AIUB) ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी (MVA) को समर्थन देने के लिए 17 अहम शर्तें पेश की हैं। इन शर्तों में मुस्लिम समुदाय के लिए 10% आरक्षण, पुलिस भर्ती में प्राथमिकता, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने जैसी मांगें शामिल हैं। इसके अलावा, बोर्ड ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है, जो मुस्लिम विरोधी बयान देते हैं।
उलेमा बोर्ड की मुख्य शर्तें:
- मुस्लिम आरक्षण: मुस्लिम समुदाय के लिए 10% आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
- पुलिस भर्ती में प्राथमिकता: मुस्लिम युवाओं को पुलिस और अन्य सरकारी सेवाओं में प्राथमिकता दी जाए।
- RSS पर बैन: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की मांग।
- BJP नेताओं पर कार्रवाई: मुस्लिम विरोधी बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
महाराष्ट्र में मुस्लिम वोटर्स की भूमिका:
महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या 11.24 करोड़ है, जिसमें मुस्लिम आबादी करीब 1.3 करोड़ (11.56%) है। राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 38 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी 20% या उससे अधिक है। इनमें से 9 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 40% से भी ज्यादा है।
हालिया चुनावी परिदृश्य:
पिछले लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी (MVA) को मुस्लिम वोटरों का भारी समर्थन मिला था। इस समर्थन को बनाए रखने के लिए MVA, AIUB की शर्तों पर विचार कर सकता है। अगर इन शर्तों को मान लिया जाता है, तो यह MVA के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
निष्कर्ष:
महाराष्ट्र के आगामी चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक का प्रभावी भूमिका निभाने की संभावना है। ऐसे में उलेमा बोर्ड की शर्तें MVA के लिए समर्थन हासिल करने में निर्णायक साबित हो सकती हैं। अब देखना यह होगा कि महाविकास अघाड़ी इन शर्तों को किस तरह से स्वीकार करती है।
ट्रूडो ने माना कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की मौजूदगी, कहा- वे पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक मौजूद हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये लोग पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। ट्रूडो ने यह बयान पार्लियामेंट हिल में आयोजित दिवाली समारोह के दौरान दिया। उन्होंने कहा, “कनाडा में खालिस्तान समर्थक हैं, लेकिन वे पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इसी तरह, कनाडा में कई हिंदू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं, लेकिन वे पूरे कनाडाई हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करते।”
भारत-कनाडा संबंधों में तनाव:
ट्रूडो का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत लंबे समय से कनाडा पर खालिस्तानी आतंकियों को शरण देने का आरोप लगाता रहा है, जिसे कनाडा अब तक नकारता आया था। भारत और कनाडा के रिश्ते पिछले एक साल से तनावपूर्ण हैं।
तनाव की शुरुआत कैसे हुई:
इस विवाद की शुरुआत जून 2023 में हुई, जब कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई। कनाडाई सरकार ने इस हत्या के लिए भारतीय एजेंसियों पर आरोप लगाए। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के कई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया, जिससे रिश्तों में और दरार आ गई।
ट्रूडो के बयान का महत्व:
ट्रूडो का यह बयान ऐसे समय आया है जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में सुधार की उम्मीदें कम हैं। कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों के चलते भारत कई बार चिंता जता चुका है।
निष्कर्ष:
ट्रूडो का यह बयान भारत और कनाडा के बीच चल रहे कूटनीतिक तनाव को नई दिशा दे सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कनाडा के भीतर भी खालिस्तानी समर्थकों और अन्य समुदायों के बीच विभाजन को लेकर सरकार सतर्क है। आने वाले समय में दोनों देशों के संबंधों में क्या मोड़ आएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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निर्मला सीतारमण का बयान: पितृसत्ता लेफ्ट का बनाया हुआ कॉन्सेप्ट, इंदिरा गांधी PM बनने में किसने रोका?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पितृसत्ता को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, “हम अक्सर यह कहने से बचते हैं कि पितृसत्ता महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकती है। यह धारणा ही गलत है। अगर पितृसत्ता सच में महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकती, तो इंदिरा गांधी इस देश की प्रधानमंत्री कैसे बन पातीं?” सीतारमण ने दावा किया कि पितृसत्ता का कॉन्सेप्ट लेफ्ट पार्टियों का बनाया हुआ है, जो महिलाओं को भ्रमित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
महिलाओं को सलाह:
निर्मला सीतारमण ने महिलाओं को यह सलाह दी कि वे जटिल और आकर्षक शब्दों के जाल में न उलझें। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने रास्ते की बाधाओं को पहचानते हुए आगे बढ़ना चाहिए, बजाय इसके कि वे किसी विचारधारा के प्रभाव में आएं।
सुविधाओं की कमी को स्वीकारा:
हालांकि, सीतारमण ने यह भी स्वीकार किया कि महिलाओं के लिए पर्याप्त सुविधाएं और संसाधन अभी भी पूरी तरह उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने इस पर ज़ोर दिया कि देश में महिलाओं की स्थिति को सुधारने की जरूरत है, ताकि वे अपने करियर में आगे बढ़ सकें।
सीतारमण की उपलब्धियां:
निर्मला सीतारमण लगातार 7 बार केंद्रीय बजट पेश करने वाली पहली महिला वित्त मंत्री हैं। इससे पहले मोरारजी देसाई ने लगातार 6 बार बजट पेश किया था। सीतारमण ने भारतीय राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है और महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हैं।
निष्कर्ष:
सीतारमण का यह बयान एक महत्वपूर्ण संदेश है कि महिलाएं पितृसत्ता के नाम पर किसी भी विचारधारा के प्रभाव में आए बिना अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकती हैं। साथ ही, उन्होंने महिलाओं के लिए बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता को भी रेखांकित किया, जो देश के विकास के लिए अहम है।
डोनाल्ड ट्रम्प की हत्या की साजिश का खुलासा, ईरानी नागरिक पर हत्या की तीसरी कोशिश का आरोप
डोनाल्ड ट्रम्प की हत्या की एक और साजिश का खुलासा हुआ है। इस बार फरहाद शकेरी नाम के एक ईरानी नागरिक पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। FBI के अनुसार, फरहाद ईरानी आर्मी का सदस्य है, जिसे 7 अक्टूबर को ईरान की सरकार ने ट्रम्प की हत्या का प्लान बनाने का निर्देश दिया था। हालांकि, ईरान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
ईरान-अमेरिका तनाव:
ट्रम्प प्रशासन के समय से ही ईरान और अमेरिका के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे हैं। ईरान का कहना है कि अमेरिका उसे बिना सबूत के बदनाम करने की कोशिश कर रहा है, जबकि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का दावा है कि ईरान ने ट्रम्प की हत्या की योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए फरहाद शकेरी को जिम्मेदारी सौंपी थी।
ट्रम्प पर हमले की पिछली घटनाएं:
डोनाल्ड ट्रम्प पर जानलेवा हमले की यह तीसरी कोशिश बताई जा रही है। इससे पहले:
- 13 जुलाई को पेंसिलवेनिया में एक रैली के दौरान ट्रम्प पर गोली चलाई गई थी। गोली उनके कान को छूकर निकल गई, जिससे वे बाल-बाल बचे।
- 16 जुलाई को मिलवॉकी में रिपब्लिकन पार्टी के कन्वेंशन के बाहर एक 21 वर्षीय युवक को AK-47 राइफल के साथ गिरफ्तार किया गया था।
- 15 सितंबर को फ्लोरिडा में भी एक व्यक्ति को AK-47 जैसी राइफल के साथ पकड़ा गया था, जो ट्रम्प को निशाना बनाने की फिराक में था।
अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी:
इन हमलों के बाद से अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां और भी सतर्क हो गई हैं। FBI और सीक्रेट सर्विस ने ट्रम्प की सुरक्षा को बढ़ा दिया है। उनकी सभी रैलियों और सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए विशेष सुरक्षा इंतजाम किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रम्प पर हमलों की बढ़ती घटनाओं ने अमेरिका की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के चलते यह मामला और भी गंभीर हो गया है। अब देखना यह होगा कि इस आरोप के बाद दोनों देशों के संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।