MP Bribery Case: Patwari’s Father Swallows ₹5000 Bribe to Save Son, Sonography Conducted
MP में रिश्वतकांड: पटवारी की घूस बचाने पिता ने निगले 5000 रुपये, लोकायुक्त ने कराई सोनोग्राफी
AIN NEWS 1: यह मामला मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव क्षेत्र का है। यहाँ एक किसान ने पटवारी द्वारा घूस मांगे जाने की शिकायत सागर लोकायुक्त टीम से की थी। किसान का आरोप था कि पटवारी जमीन के सीमांकन में टालमटोल कर रहा है और इसके बदले ₹5000 की रिश्वत मांग रहा है।
किसान ने की थी शिकायत
दयाराम राजपूत नाम के किसान ने आरोप लगाया कि वह नैगुवा पंचायत का निवासी है और अपनी जमीन के सीमांकन के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा था। लेकिन हल्के के पटवारी पंकज दुबे ने काम करने के बदले ₹5000 की रिश्वत मांगी। दयाराम ने पूरी बात सागर लोकायुक्त को बताई और उनके साथ मिलकर योजना बनाई गई।
जाल बिछाया गया
लोकायुक्त की टीम ने पूरी योजना के तहत किसान को कहा कि वह पटवारी को पैसे देने जाए और जैसे ही पैसे दे, टीम दबिश देगी। तय समय पर किसान पटवारी के घर पहुँचा और उसे पैसे दिए। जैसे ही पैसे दिए गए, लोकायुक्त टीम ने रेड मार दी।
चौंकाने वाला मोड़: पिता ने निगल लिए पैसे
रेड के दौरान जब टीम रिश्वत के पैसे बरामद करने के लिए पटवारी की अलमारी (दराज़) की ओर बढ़ी, उससे पहले ही पटवारी का पिता देवीदीन दुबे दौड़कर आया और अलमारी से ₹5000 के नोट निकालकर मुंह में डाल लिए। टीम ने उसके मुंह को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन तब तक वह पैसे निगल चुका था।
सोनोग्राफी करानी पड़ी
लोकायुक्त टीम के सामने अब सबसे बड़ा सवाल था कि रिश्वत के पैसे बरामद कैसे किए जाएं। चूंकि आरोपी के पिता ने पैसे निगल लिए थे, इसलिए उसे तुरंत मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया और सोनोग्राफी कराई गई। सोनोग्राफी से पुष्टि हुई कि पैसे निगले गए हैं।
डीवीआर जब्त, पूछताछ जारी
टीम ने पटवारी के घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर भी जब्त की है, जिससे यह पुष्टि हो सके कि पैसे कब और कैसे रखे गए थे और पिता ने उन्हें कैसे निकाला। अब टीम इस मामले में गहराई से जांच कर रही है और दोनों – पटवारी पंकज दुबे और उसके पिता देवीदीन दुबे – से पूछताछ की जा रही है।
प्रशासन में हड़कंप
इस अनोखे और शर्मनाक मामले के सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यह मामला यह दर्शाता है कि रिश्वतखोरी किस स्तर पर पहुँच चुकी है कि अब परिवार के सदस्य भी भ्रष्टाचार में साथ दे रहे हैं।
कानूनी कार्रवाई की तैयारी
लोकायुक्त टीम अब दोनों के खिलाफ साक्ष्य जुटा रही है और कानूनी धाराओं में मामला दर्ज किया जाएगा। “न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करना” और “सरकारी जांच में बाधा डालना” जैसी धाराओं में एफआईआर दर्ज की जा सकती है।
जनता में आक्रोश
इस मामले ने आम जनता को भी झकझोर कर रख दिया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर जमीन के सीमांकन जैसे मामूली कार्य के लिए रिश्वत दी जाए, और उसमें भी परिवारजन शामिल हो जाएं, तो आम जनता का सिस्टम पर भरोसा कैसे बचेगा?
यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार को पारिवारिक स्तर पर समर्थन मिलने का भी उदाहरण है। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि निचले स्तर के सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार कितनी गहराई तक फैला हुआ है। लोकायुक्त की तत्परता सराहनीय है, लेकिन ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई और सार्वजनिक उदाहरण बनाना ज़रूरी है, ताकि दोबारा कोई ऐसा दुस्साहस न करे।
In a shocking bribery case from Madhya Pradesh, a patwari was caught red-handed taking a ₹5000 bribe for land demarcation. Before Lokayukta officials could seize the bribe money, the patwari’s father swallowed the cash in a desperate attempt to protect his son. This bizarre twist led the Lokayukta team to conduct a sonography to trace the bribe money. The case has sparked debate on corruption and misuse of power among lower-level government officials in MP, particularly in Chhatarpur district.