मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद ‘शिलान्यास’ विवाद से बढ़ा तनाव, सुरक्षा बढ़ी और राजनीति गरमाई!

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मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद ‘शिलान्यास’ विवाद से बढ़ा तनाव, सुरक्षा बढ़ी और राजनीति गरमाई

AIN NEWS 1: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुए एक विवादित कार्यक्रम ने प्रदेश का माहौल गर्म कर दिया है। कथित तौर पर बाबरी मस्जिद के निर्माण से जुड़े एक “शिलान्यास” कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसने राजनीतिक हलकों से लेकर सामाजिक वर्गों तक में हलचल मचा दी है। बताया जाता है कि यह पत्थर पूर्व सांसद हुमांयू कबीर द्वारा रखा गया, जिसके बाद से राज्य के कई हिस्सों में तनाव महसूस किया जा रहा है।

इस घटना ने न केवल स्थानीय राजनीति को हिला दिया, बल्कि एक बार फिर देश की सबसे विवादित धार्मिक-राजनीतिक बहस — बाबरी मस्जिद बनाम राम मंदिर — को सुर्खियों में ला दिया है। जहां टीएमसी ने इस पूरे मामले को भाजपा द्वारा फैलाए गए “भ्रम और नफरत” का परिणाम बताया, वहीं बीजेपी ने इसे मुस्लिम वोटों को साधने की सोची-समझी रणनीति कहा। कुल मिलाकर, एक पुराने मुद्दे ने फिर से नए सिरे से बयानबाज़ी और राजनीतिक टकराव को तेज कर दिया है।

हुमांयू कबीर का शिलान्यास विवाद — क्या हुआ?

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, हुमांयू कबीर ने मुर्शिदाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान ‘बाबरी मस्जिद निर्माण’ का प्रतीकात्मक शिलान्यास किया। यह खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गई, और देखते ही देखते राजनीति में हलचल मच गई।

कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने इसे “उकसाने वाली गतिविधि” बताया, जबकि कुछ लोगों ने इसे “भावनात्मक अभिव्यक्ति” बताया।

सरकारी एजेंसियां इस कार्यक्रम की जांच कर रही हैं कि यह आधिकारिक धार्मिक आयोजन था या सिर्फ एक राजनीतिक बयान को प्रतीकात्मक रूप देने का प्रयास।

ओवैसी का बयान — बाबरी मस्जिद की चर्चा कभी खत्म नहीं होगी

इस बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस पूरे विवाद पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा:

“जब तक दुनिया रहेगी, बाबरी मस्जिद का ज़िक्र होता रहेगा। यह हमारी इतिहास और पहचान का हिस्सा है।”

ओवैसी के इस बयान ने राजनीतिक पारा और बढ़ा दिया।

भाजपा नेताओं ने इसे “वोट बैंक की राजनीति” करार दिया, जबकि AIMIM समर्थकों ने कहा कि उनके नेता ने सिर्फ ऐतिहासिक सच्चाई रखी है।

बंगाल और यूपी — दो राज्यों में अलग-अलग माहौल, लेकिन समान चिंता

मुर्शिदाबाद में तनाव की खबरों के बाद बंगाल पुलिस ने भी अपनी तैयारियों को बढ़ा दिया है। प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की है ताकि किसी भी तरह की अफवाह या टकराव को रोका जा सके।

इसी बीच, उत्तर प्रदेश में भी 6 दिसंबर के मद्देनज़र सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है।

6 दिसंबर का दिन देश के इतिहास में हमेशा से संवेदनशील माना जाता है क्योंकि इसी दिन 1992 में बाबरी ढांचा गिराया गया था।

इस साल भी यूपी पुलिस ने शहर-शहर सतर्कता बढ़ा दी है।

खासकर अयोध्या में सुरक्षा को बेहद कड़ा कर दिया गया है।

जवानों की तैनाती बढ़ाई गई है, निगरानी ड्रोन से की जा रही है और मस्जिदों-धार्मिक स्थलों के आसपास सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए हैं।

बाबरी मस्जिद मुद्दे पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ

इस विवाद ने राष्ट्रीय राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है।

जहां टीएमसी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह धार्मिक मुद्दों को हवा देकर बंगाल के माहौल को बिगाड़ना चाहती है, वहीं बीजेपी का कहना है कि “टीएमसी अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए धार्मिक भावनाओं से खेल रही है।”

बंगाल कांग्रेस ने भी कहा कि राज्य को किसी भी कीमत पर धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर नहीं धकेला जाना चाहिए। समाजवादी संगठनों ने इस घटना को “बेकार का तमाशा” बताया।

यह साफ है कि बाबरी विवाद भले ही न्यायपालिका के फैसले से कानूनी रूप से समाप्त हो चुका हो, लेकिन यह मुद्दा राजनीतिक और भावनात्मक स्तर पर अभी भी बेहद प्रभावशाली है।

स्थानीय लोगों में चिंता का माहौल

मुर्शिदाबाद जैसे संवेदनशील जिले में इस तरह की घटनाएँ हमेशा समाज में बेचैनी पैदा करती हैं।

कई स्थानीय नागरिकों ने चिंता जताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रशासन किसी भी तरह की स्थिति को बिगड़ने नहीं देगा।

एक स्थानीय व्यापारी ने कहा:

“हम यहां शांति से रहते हैं। हमें राजनीति या धार्मिक विवादों का तनाव नहीं चाहिए।”

एक अन्य निवासी ने कहा:

“बंगाल पहले ही कई बार सांप्रदायिक तनाव देख चुका है। यह घटना फिर से माहौल खराब न करे, यही चाहते हैं।”

प्रशासन की अपील — अफवाहों पर न जाएं

बंगाल पुलिस ने सोशल मीडिया पर चल रही भ्रामक खबरों और पुराने वीडियो को लेकर चेतावनी जारी की है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अफवाह फैलाता पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन का लक्ष्य है कि किसी भी राजनीतिक या धार्मिक कार्यक्रम के नाम पर शांति और सद्भाव को नुकसान न पहुंचे।

क्या इस विवाद से चुनावी समीकरण प्रभावित होंगे?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की घटनाएँ चुनावी मौसम में बड़े मुद्दों का रूप ले सकती हैं।

बंगाल में अगले साल होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव, और उसके बाद विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर भी इन विवादों का असर पड़ सकता है।

बीजेपी इसे “अल्पसंख्यक तुष्टीकरण” की रणनीति बताकर जनता के सामने पेश करेगी,

जबकि टीएमसी इसे “धर्म की आड़ में राजनीति” करार देती रही है।

पुराना मुद्दा, नई आग

बाबरी मस्जिद से जुड़ा विवाद कई दशक पुराना है, लेकिन आज भी इसका असर भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा है।

मुर्शिदाबाद की यह घटना भी उसी लंबे इतिहास का एक नया अध्याय बनती दिख रही है।

अब सबकी निगाहें प्रशासन और राजनीतिक दलों पर हैं कि वे आने वाले दिनों में तनाव कम करने के लिए क्या कदम उठाते हैं, और क्या यह विवाद आगे और बढ़ता है या शांत हो जाता है।

Murshidabad has entered the spotlight after a controversial foundation stone was reportedly laid for the Babri Masjid, triggering political tensions between TMC and BJP. Statements by AIMIM chief Asaduddin Owaisi, strong reactions from political parties, and heightened security across Uttar Pradesh — especially in Ayodhya ahead of December 6 — have made the situation even more sensitive. This detailed report covers the unfolding events, Bengal tensions, Owaisi’s remarks, and the overall security alert linked with the Babri Masjid issue.

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