Tuesday, December 24, 2024

सराय काले खां चौक का नाम बदला, अब भगवान बिरसा मुंडा चौक के नाम से होगा प्रसिद्ध?

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AIN NEWS 1: दिल्ली के प्रमुख सराय काले खां चौक का नाम अब बदलकर भगवान बिरसा मुंडा चौक कर दिया गया है। यह घोषणा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने की। उन्होंने बताया कि इस बदलाव के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और आदिवासी समुदाय के प्रेरणा स्रोत भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि दी जा रही है।

कौन थे भगवान बिरसा मुंडा?

भगवान बिरसा मुंडा 19वीं शताब्दी के एक वीर स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करते हुए जल, जंगल और जमीन के अधिकारों की रक्षा के लिए उलगुलान आंदोलन चलाया था। आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए उनका योगदान अतुलनीय है। उन्हें आदिवासी समाज में भगवान के रूप में पूजा जाता है।

नाम परिवर्तन का उद्देश्य

सराय काले खां चौक का नाम बदलने का उद्देश्य बिरसा मुंडा के योगदान को जन-जन तक पहुंचाना और उनकी स्मृति को सम्मान देना है। गृहमंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर कहा, “भगवान बिरसा मुंडा ने अपने बलिदान से हमें स्वतंत्रता का मार्ग दिखाया। यह नामकरण उनकी महानता को सशक्त रूप से दर्शाता है।”

दिल्ली सरकार का सहयोग

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार ने इस बदलाव के लिए आपसी सहमति बनाई। नाम परिवर्तन के बाद चौक पर भगवान बिरसा मुंडा की एक भव्य प्रतिमा लगाने की भी योजना है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

इस फैसले का स्थानीय लोगों और आदिवासी समाज ने स्वागत किया है। लोगों का मानना है कि भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर चौक का नामकरण युवाओं को उनकी जीवनगाथा से प्रेरित करेगा।

सराय काले खां का ऐतिहासिक महत्व

सराय काले खां क्षेत्र ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह दिल्ली के प्रमुख परिवहन केंद्रों में से एक है, जहां रेलवे स्टेशन, बस अड्डा और मेट्रो स्टेशन स्थित हैं। इस चौक का नाम बदलने से इसकी ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ेगा।

आगे की योजनाएं

सराय काले खां चौक के आसपास के क्षेत्र को और विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। इसमें यातायात प्रबंधन और सार्वजनिक सुविधाओं को उन्नत करने पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, भगवान बिरसा मुंडा की विरासत को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

यह कदम भगवान बिरसा मुंडा के प्रति आदर और उनकी वीरता की अमिट छाप को सम्मानित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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