AIN NEWS 1 | 5 मई को हुई नीट-यूजी परीक्षा में 67 छात्रों ने पूरे 720 अंक प्राप्त किए, जो एनटीए के इतिहास में पहली बार हुआ। इनमें हरियाणा के 6 छात्र शामिल थे, जिससे परीक्षा में अनियमितताओं का संदेह उत्पन्न हुआ। आरोप था कि कृपांक (ग्रेस मार्क्स) के चलते इन छात्रों को शीर्ष रैंक मिली। इसके बाद, एनटीए ने 1 जुलाई को संशोधित परिणाम घोषित किया, जिसमें शीर्ष रैंक वाले अभ्यर्थियों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में नीट-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं के आरोपों पर सुनवाई हुई। याचिका में 5 मई को हुई परीक्षा को रद्द करने, एनटीए को दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने और अनियमितताओं की जांच कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की गई। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनटीए को परीक्षा रद्द करने से रोकने की मांग वाली गुजरात के 50 से अधिक सफल परीक्षार्थियों की याचिका पर भी सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “एक बात तो साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है। सवाल यह है कि इसकी पहुंच कितनी व्यापक है? पेपर लीक होना एक स्वीकार्य तथ्य है। आप केवल इसलिए पूरी परीक्षा रद्द नहीं कर सकते क्योंकि दो छात्र धांधली में शामिल थे। हमें लीक की प्रकृति के बारे में सावधान रहना चाहिए। दोबारा परीक्षा का आदेश देने से पहले हमें लीक की सीमा के बारे में जानना होगा, क्योंकि हम 23 लाख छात्रों के मामले को सुन रहे हैं।”
कोर्ट के सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि लीक होने के कारण कितने छात्रों के परिणाम रोके गए हैं। ये छात्र कहां हैं? क्या हम अभी भी गलत काम करने वालों का पता लगा रहे हैं और क्या हम लाभार्थियों की पहचान कर पाए हैं? कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा को दोबारा कराना सबसे आखिरी विकल्प होना चाहिए। मामले की जांच देश भर के विशेषज्ञों की एक बहु-अनुशासनात्मक समिति से कराई जानी चाहिए।
काउंसलिंग और परीक्षा की शुचिता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पढ़ाई-लिखाई की सबसे प्रतिष्ठित शाखा से निपट रहे हैं। हर मध्यम वर्ग का व्यक्ति चाहता है कि उनके बच्चे या तो चिकित्सा या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें। यह मानते हुए कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं, हम ऐसे लोगों की पहचान कैसे करेंगे जिन्हें इस धांधली का फायदा हुआ है? क्या हम काउंसलिंग होने देंगे और अब तक क्या हुआ है?
निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने साइबर फोरेंसिक यूनिट को शामिल करने, एआई का उपयोग करके गलत काम करने वालों की संख्या का पता लगाने और उनके लिए फिर से परीक्षा की संभावना तलाशने के बारे में पूछा। कोर्ट ने सीबीआई को जांच की स्थिति बताते हुए रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने एनटीए को निर्देश दिया कि वह बताए कि प्रश्नपत्र पहली बार कब लीक हुआ। वह प्रश्नपत्र लीक होने की घटना और 5 मई को परीक्षा आयोजित होने के बीच की समय अवधि के बारे में भी बताए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय की।
मामला क्या है?
देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा नीट-यूजी आयोजित की जाती है। पेपर लीक सहित अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। इस पर जमकर राजनीति भी हुई। केंद्र और एनटीए ने 13 जून को अदालत को बताया था कि उन्होंने 1,563 अभ्यर्थियों को दिए गए कृपांक (ग्रेस मार्क्स) रद्द कर दिए हैं। उन्हें दोबारा परीक्षा या प्रतिपूरक अंकों को छोड़ने का विकल्प दिया गया था। एनटीए ने 23 जून को आयोजित पुन: परीक्षा के परिणाम जारी करने के बाद 1 जुलाई को संशोधित रैंक सूची जारी की।
कैसे संदेह पैदा हुआ?
5 मई को हुई परीक्षा में कुल 67 छात्रों ने पूरे 720 अंक प्राप्त किए। यह एनटीए के इतिहास में अभूतपूर्व था। इसमें सूची में हरियाणा केंद्र के छह छात्र शामिल थे। इसके बाद परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर संदेह शुरू हुआ। आरोप लगाया गया कि कृपांक के चलते 67 छात्रों को शीर्ष रैंक मिली। इसके बाद एनटीए ने 1 जुलाई को संशोधित परिणाम घोषित किया, जिसके बाद नीट-यूजी में शीर्ष रैंक वाले अभ्यर्थियों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई।
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियां
- यदि परीक्षा की शुचिता नष्ट हो जाए तो पुनः परीक्षा का आदेश देना पड़ता है।
- अगर हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा।
- यदि प्रश्न पत्र लीक सोशल मीडिया के जरिए हुआ, तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा।
- कुछ ध्यान देने वाली बातें हैं, 67 उम्मीदवार 720 में से 720 अंक प्राप्त कर रहे हैं, जबकि पिछले वर्षों में यह अनुपात बहुत कम था।
- यदि प्रश्नपत्र टेलीग्राम, व्हाट्सएप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लीक होता है, तो यह जंगल की आग की तरह फैलता है।
- यह साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है।
- इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है, हम लीक की सीमा का पता लगा रहे हैं।
- हम प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की संख्या जानना चाहते हैं, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
- कितने गलत कृत्य करने वालों के परिणाम रोके गए हैं, ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक वितरण जानना चाहते हैं।
- यह मानते हुए कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, वह प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी?
- जो हुआ उसे हमें नकारना नहीं चाहिए।