AIN NEWS 1: अजमेर स्थित विश्वप्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर एक याचिका निचली अदालत ने स्वीकार कर ली है। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह असल में भगवान श्री संकटमोचन महादेव का प्राचीन मंदिर है।
क्या है याचिका में दावा?
याचिकाकर्ता ने अदालत के सामने कहा है कि अजमेर शरीफ दरगाह की जमीन और वहां स्थित ढांचा असल में हिंदू धर्म से जुड़ा है। उन्होंने इसे भगवान श्री संकटमोचन महादेव का मंदिर बताया है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि इस स्थल की ऐतिहासिक और पुरातात्विक जांच की जाए, ताकि यह प्रमाणित किया जा सके कि दरगाह के नीचे एक हिंदू मंदिर मौजूद है।
अदालत ने क्यों स्वीकार की याचिका?
अदालत ने इस मामले को सुनवाई के योग्य मानते हुए याचिका स्वीकार कर ली है। अब यह मामला अदालत में विस्तृत सुनवाई के लिए पेश होगा। निचली अदालत ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
अजमेर शरीफ दरगाह का महत्व
अजमेर शरीफ दरगाह, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह बताया गया है, जिसे भारत और दुनियाभर में लाखों श्रद्धालु पूजनीय मानते हैं। यह स्थान धार्मिक सहिष्णुता और एकता का प्रतीक माना जाता है। हर साल यहां लाखों लोग, चाहे वह हिंदू हों या मुस्लिम, अपनी आस्था और मन्नतें लेकर आते हैं।
क्या है अगला कदम?
याचिकाकर्ता के दावे की पुष्टि के लिए अदालत ने दस्तावेज़ और ऐतिहासिक साक्ष्य पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, इस मामले में सरकारी एजेंसियों और पुरातात्विक विभाग की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है।
विवाद का असर
इस तरह की याचिकाओं से सामाजिक सौहार्द पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। कई धर्मनिरपेक्ष संगठनों और धार्मिक समूहों ने याचिका की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश बताया है।
अगली सुनवाई की तारीख में यह स्पष्ट होगा कि अदालत इस मामले में आगे क्या रुख अपनाती है। फिलहाल, इस मामले ने धार्मिक और सामाजिक हलकों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है।