AIN NEWS 1 | नोएडा में यमुना नदी का जलस्तर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। बाढ़ से राहत की सांस तो मिली है, लेकिन इसके साथ ही एक नई चुनौती सामने आ खड़ी हुई है – बीमारियों का खतरा। जिन इलाकों में पानी भरा रहा, वहां अब मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है और लोग बुखार, डेंगू, मलेरिया, त्वचा संक्रमण जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
बाढ़ उतरने के बाद बीमारी का खतरा क्यों बढ़ा?
हर साल मानसून के बाद सितंबर और अक्टूबर के महीनों में मच्छरजनित रोगों का खतरा सबसे अधिक रहता है। इस बार हालात और भी गंभीर हो गए हैं क्योंकि बाढ़ का पानी लंबे समय तक बस्तियों और खेतों में जमा रहा। यह पानी मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श वातावरण बन गया। इसके कारण डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलने की संभावना बहुत ज्यादा हो गई है।
जिला अस्पताल और कैंपों में भीड़
पानी उतरने के बाद बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों और स्वास्थ्य शिविरों में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों में बुखार और संक्रमण के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जनवरी से अब तक कुल 189 डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं। वर्तमान में 14 मरीजों का इलाज चल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. नरेंद्र सिंह ने बताया कि बाढ़ के दौरान ही 12 स्वास्थ्य चौकियां स्थापित कर दी गई थीं। अब जबकि पानी घट चुका है, विभाग ने अपनी सतर्कता और बढ़ा दी है। राहत कैंपों में विशेष मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं। ये टीमें नियमित रूप से लोगों की जांच कर रही हैं और मुफ्त दवाइयों का वितरण भी कर रही हैं।
सीएमओ का कहना है –
“हमारी मेडिकल टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। अगर किसी भी तरह की गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है तो स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तैयार है। हमारा प्रयास है कि किसी भी बीमारी को फैलने से पहले ही रोका जा सके।”
‘ऑपरेशन मच्छर’ और रोकथाम के उपाय
बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुल 21 टीमें गठित की हैं।
इनमें से 16 टीमें ‘ऑपरेशन मच्छर’ के लिए बनाई गई हैं, जो प्रभावित क्षेत्रों में जाकर लार्वा का नाश कर रही हैं।
4 ब्लॉक स्तर की टीमें और एक जिला स्तरीय रिस्पॉन्स टीम भी लगातार सक्रिय है।
अब तक 188 नोटिस जारी किए जा चुके हैं, जिनमें लोगों को साफ-सफाई बनाए रखने और पानी जमा न होने देने की हिदायत दी गई है।
जनता से अपील
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर अपील की है कि लोग अपने घरों और आसपास कहीं भी पानी जमा न होने दें। मच्छररोधी क्रीम और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। यदि किसी को तेज बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द या खून से जुड़ी समस्या महसूस हो तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
संक्रमण रोकने की सबसे बड़ी चुनौती
हालांकि बाढ़ का पानी अब घट रहा है और हालात सामान्य होते नजर आ रहे हैं, लेकिन बीमारियों का खतरा अभी भी टला नहीं है। ऐसे हालात में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की असली परीक्षा अब शुरू हुई है। संक्रमण को रोकना और जनस्वास्थ्य को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ के बाद सबसे अधिक खतरा पानी से होने वाली बीमारियों और मच्छरजनित रोगों का होता है। गंदगी और नमी के कारण मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड और हैजा जैसी बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं। ऐसे समय में साफ पानी का सेवन, व्यक्तिगत स्वच्छता और सामूहिक प्रयास सबसे कारगर उपाय हैं।
भविष्य के लिए सबक
यह स्थिति एक बड़ी चेतावनी है कि हमें सिर्फ बाढ़ प्रबंधन ही नहीं, बल्कि उसके बाद होने वाले स्वास्थ्य संकट की भी पहले से तैयारी करनी होगी।
शहरी इलाकों में जलभराव रोकने के लिए बेहतर ड्रेनेज सिस्टम की जरूरत है।
आपदा प्रबंधन योजनाओं में स्वास्थ्य संबंधी प्रोटोकॉल को और मजबूत करना होगा।
नागरिकों को भी जागरूक होकर प्रशासन का सहयोग करना चाहिए।
नोएडा की यह स्थिति बताती है कि प्राकृतिक आपदा केवल एक पल की मार नहीं होती, बल्कि उसके बाद के कई हफ्तों तक उसका असर लोगों के जीवन और स्वास्थ्य पर पड़ता है।