AIN NEWS 1 नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” (वन नेशन, वन इलेक्शन) को देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए इसका समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव कराने से विकास कार्य बाधित होते हैं और इसका सीधा असर जनता पर पड़ता है।
गिरिराज सिंह ने कहा, “एक राष्ट्र, एक चुनाव देश के संघीय ढांचे को कमजोर नहीं करेगा, बल्कि इसे और मजबूत बनाएगा। इससे न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि प्रशासनिक दक्षता में भी सुधार होगा।”
कांग्रेस पर साधा निशाना
गिरिराज सिंह ने कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि यदि कांग्रेस इस विचार का विरोध कर रही है, तो यह उनकी दोहरी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “जब कांग्रेस को फायदा होता है, तब वे इसे स्वीकार करते हैं, लेकिन अब जब इसे लागू करने की बात हो रही है, तो वे इसका विरोध कर रहे हैं। यह उनकी राजनीतिक स्वार्थ नीति को उजागर करता है।”
क्या है “एक राष्ट्र, एक चुनाव”?
“एक राष्ट्र, एक चुनाव” का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना है। इसका मकसद चुनावी खर्चों को कम करना, प्रशासनिक बोझ घटाना और अधिक समन्वय स्थापित करना है। वर्तमान में देश में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिससे न केवल सरकारों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है, बल्कि विकास परियोजनाओं पर भी इसका असर पड़ता है।
क्या हैं फायदे?
1. विकास में तेजी: चुनावी आचार संहिता के बार-बार लागू होने से विकास कार्यों पर रोक लगती है। एक साथ चुनाव होने से ऐसी रुकावटें कम होंगी।
2. समय और धन की बचत: बार-बार चुनाव कराने में भारी धनराशि खर्च होती है। इससे प्रशासनिक और चुनावी खर्चों में कमी आएगी।
3. प्रशासनिक क्षमता में सुधार: एक साथ चुनाव होने से प्रशासनिक तंत्र को अधिक कुशलता से काम करने का समय मिलेगा।
विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध?
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल “एक राष्ट्र, एक चुनाव” का यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि यह संघीय ढांचे के खिलाफ है। उनका तर्क है कि सभी राज्यों की राजनीतिक परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं और एक साथ चुनाव कराने से राज्यों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
गिरिराज सिंह ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” देश को मजबूत करने का एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि जनता और देश के हितों को प्राथमिकता देने के लिए सभी राजनीतिक दलों को इसे समर्थन देना चाहिए।