AIN NEWS 1: हमारे देश में आए दिन प्रॉपर्टी पर कही ना कही अवैध कब्जे की खबरें सामने आती ही रहती हैं. आपकी खून-पसीने की कमाई से खरीदी गई जमीन या मकान-दुकान पर कोई अन्य अपना कब्जा कर ले तो बड़ा ही दुख होता है. ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को पुलिस और अदालत से ही इंसाफ की उम्मीद रहती है.
जान लें प्रॉपर्टी से जुड़े हुए मामले बेहद ही पेचीदा होते हैं इसलिए ज्यादातर लोगों को इससे जुड़ी पूरी समझ नहीं होती है. लेकीन हमारे देश के कानून में प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे की समस्या को लेकर भी काफ़ी अहम प्रावधान हैं.अपराधी और भूमाफिया लोगो को डरा-धमकाकर आम आदमी की प्रॉपर्टी पर कब्जा भी कर लेते हैं. मालिकाना हक होने के बावजूद भी पीड़ित भूस्वामी अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है.
जान लें किसी भी संपत्ति के मालिक को यह पूरा अधिकार है कि उसकी प्रॉपर्टी पर किसी भी प्रकार से कब्जा उसकी इच्छा के विरुद्ध बिलकुल नहीं होना चाहिए. आइये हम आपको बताते हैं कि आखिर मकान-जमीन पर किसी प्रकार से अवैध कब्जे के मामले में पीड़ित पक्षकार को आखिर क्या करना चाहिए?
जाने अपनी प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे से जुड़े अहम कानून
बता दें प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे से जुड़े केस में पीड़ित व्यक्ति आपराधिक और सिविल दोनों प्रकार के कानूनों का आसानी से सहारा ले सकता है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 धोखाधड़ी के अनेक मामलों में यह लगाई जाती है.इसलिए किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से आपराधिक बल के जरिए बेदखल करने पर ही इस धारा को लगाया जा सकता है. इस धारा के तहत शिकायत के बाद संबंधित पुलिस थाने को फौरन ही कार्रवाई करनी होती है. किसी भी पीड़ित व्यक्ति को सर्वप्रथम अपने इसी अधिकार का उपयोग करना चाहिए.भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के तहत किसी व्यक्ति की संपत्ति में विश्वास के आधार पर घुसकर उस पर कब्जा कर लेना एक संगीन अपराध की श्रेणी में आता है.
पीड़ित पक्षकार इस अन्याय को लेकर पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. वहीं, आईपीसी की धारा 467 कूटरचना पर ही लागू होती है, जिसमें किसी व्यक्ति की संपत्ति को फर्जी दस्तावेजों के जरिए हथिया लिया गया है.
इस मामले में तुरंत इंसाफ के लिए बना ये कानून
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963, यह कानून त्वरित न्याय के लिए आपके लिए मील का पत्थर साबित हुआ है. इस अधिनियम की धारा 6 में किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से बेक़ब्ज़ा करने पर यह समाधान उपलब्ध कराती है.विशेष तौर पर जब किसी व्यक्ति की संपत्ति में जबरन घुसकर उस पर कब्जा कर लिया गया हो. तो उसे इस धारा के अंतर्गत ही पीड़ित को सरल संक्षिप्त न्याय दिया जाता है.
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हालांकि, अपनी प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे के मामले में सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति को वकीलों या जानकारों से इसके लिए कानूनी मदद लेनी चाहिए. इसके अलावा हर व्यक्ति को अपनी संपत्ति के प्रति संवेदनशील भी होना चाहिए.’क्योंकि अवैध कब्जे के मामले में अधिकांश वहां ही होते हैं जहां लापरवाही पूर्वक किसी जमीन, मकान या भूखंड को बिना देख रेख के ही छोड़ दिया जाता है.