AIN NEWS 1: पिछले कुछ दिनों में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने न सिर्फ कश्मीर बल्कि पूरे देश को गहरे शोक में डाल दिया है। इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई, और उनके परिवारों को जीवन भर के लिए दर्द और ग़म की गहरी छाप छोड़ गई। जब मृतकों के शव उनके घर पहुंचे, तो परिजनों का शोक अवर्णनीय था। इस हमले ने ना केवल आतंकवाद के खिलाफ गुस्से को जन्म दिया, बल्कि पूरे देश में पाकिस्तान विरोधी नारे भी गूंजे।
बेटी ने पिता को दी अंतिम विदाई
पहलगाम हमले में पुणे के संतोष जगदाले की मौत हो गई। जब उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए घर लाया गया, तो उनकी बेटी ने खून से सने वही कपड़े पहनकर अपने पिता को कंधा दिया, जो उसने हमले के समय पहने थे। यह दृश्य अत्यंत भावनात्मक था, जिसमें पिता के प्रति श्रद्धा और दर्द की झलक थी। संतोष की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए, और पाकिस्तान के खिलाफ नारे भी लगे।
इंदौर से आए सुशील नथानियल की बेटी का दर्द
इंदौर के सुशील नथानियल (58) की मौत भी इस हमले में हो गई। सुशील की घायल बेटी आकांक्षा व्हीलचेयर पर बैठकर कब्रिस्तान तक पहुंची और अपने पिता को अंतिम विदाई दी। आतंकियों ने आकांक्षा के पैर में गोली मारी थी, और उसके परिवार का यह दर्दनाक अनुभव किसी भी व्यक्ति को चीर कर रख देने के लिए काफी था। उनके बेटे ऑस्टिन ने बताया कि कैसे आतंकवादी उनके पिता के कपड़े उतारकर जांच कर रहे थे, जबकि वह शांति से कलमा पढ़ रहे थे।
9 साल के बेटे ने पिता को दी मुखाग्नि
ओडिशा के बालासोर जिले के रहने वाले प्रशांत सत्पथी को भी इस हमले में जान गंवानी पड़ी। प्रशांत के 9 साल के बेटे तनुज ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह दृश्य बहुत ही मार्मिक था, जिसमें एक बच्चा अपने पिता को अंतिम विदाई दे रहा था। उनका परिवार शोक के सागर में डूबा हुआ था, और इस दृश्य ने सभी को गहरे तरीके से प्रभावित किया।
मनीष रंजन का अंतिम संस्कार और शोक
खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारी मनीष रंजन की भी इस हमले में मौत हो गई। उनके सम्मान में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में एक विशाल तिरंगा मार्च निकाला गया। सैकड़ों लोग मनीष रंजन के अंतिम यात्रा में शामिल हुए। इस दौरान उनके पिता फफक-फफक कर रो पड़े। यह दृश्य आतंकवादी हमले के खिलाफ देश के गुस्से और शोक को उजागर करने वाला था।
गुजरात के शैलेश कलाथिया की पत्नी का दुःख
गुजरात के सूरत जिले के शैलेश कलाथिया का भी इस हमले में निधन हो गया। शैलेश की पत्नी ने बताया कि आतंकी उन्हें गोली मारकर हंस रहे थे। शैलेश के अलावा इस हमले में गुजरात के दो और लोग मारे गए, जिनमें यतीश परमार और उनका बेटा स्मित परमार शामिल थे। इन तीनों का अंतिम संस्कार उनके पैतृक स्थान पर किया गया। इस दर्दनाक घटना ने उनके परिवारों को स्थायी रूप से बदल दिया।
शुभम द्विवदी का कश्मीर में शिकार होना
उत्तर प्रदेश के हाथीपुर गांव के शुभम द्विवदी भी इस हमले में मारे गए। उनका विवाह हाल ही में हुआ था और वह अपनी पत्नी के साथ कश्मीर घूमने गए थे। शुभम के अंतिम संस्कार के समय उनकी पत्नी एशान्या ने उनके ही शर्ट पहन रखी थी, जो एक दर्दनाक दृश्य था। शुभम के पिता के चेहरे पर बेटे के खोने का गहरा दर्द साफ नजर आ रहा था।
पाकिस्तान के खिलाफ नारे और गुस्सा
इस हमले के बाद, न केवल पीड़ित परिवारों ने शोक मनाया, बल्कि देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा भी फैल गया। कई जगहों पर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगे और लोग आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते रहे। इस घटना ने आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया और लोगों को यह याद दिलाया कि हमें हमेशा एकजुट रहकर ऐसे हमलों का मुकाबला करना होगा।
पहलगाम आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इसने ना केवल हमारे देशवासियों की जान ली, बल्कि उनके परिवारों के दिलों में अपूरणीय दर्द भी छोड़ दिया। यह हमले के बाद की घटनाएँ और तस्वीरें देश के गुस्से और ग़म को प्रकट करती हैं, जो कभी भी भुलाए नहीं जा सकेंगे। इस घटना ने हमें यह भी सिखाया कि हमें आतंकवाद और देशद्रोह के खिलाफ एकजुट रहना होगा।
This article about the Pahalgam terror attack captures the emotional responses and anger from families who lost their loved ones. Grieving relatives, including daughters dressed in blood-stained clothes and sons performing last rites, reflect the deep sorrow and fury that the nation experienced. Through these heartfelt moments, the article explores the anguish of families and the widespread Pakistan protests.