AIN NEWS 1 | पाकिस्तान इन दिनों एक बड़े डेटा लीक स्कैंडल से हिल गया है। लाहौर, कराची और इस्लामाबाद जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक, करोड़ों मोबाइल यूजर्स का डेटा अब इंटरनेट पर खुलेआम बिक रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस लीक की चपेट में आम नागरिकों के साथ-साथ सरकारी अधिकारी और कई मंत्री भी आ गए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ 500 रुपए में किसी भी मोबाइल यूजर की लोकेशन खरीदी जा सकती है, जबकि पूरा मोबाइल डेटा महज 2000 रुपए में उपलब्ध है। यदि किसी के विदेश यात्रा से जुड़ी जानकारी चाहिए तो इसके लिए 5000 रुपए तक वसूले जा रहे हैं।
डेटा लीक का खुलासा
यह मामला सबसे पहले पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ ने उजागर किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि पाकिस्तान में बड़े स्तर पर मोबाइल सिम डेटा चोरी हो रहा है और इसे इंटरनेट पर बेचने का कारोबार चल रहा है। माना जा रहा है कि यह चोरी केवल स्थानीय नहीं बल्कि ग्लोबल डेटा ब्रीच का हिस्सा है।
अंदाजा लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान के करीब 18 करोड़ मोबाइल यूजर्स का डेटा चोरी हुआ है। इसमें कॉल रिकॉर्ड, लोकेशन, मोबाइल एक्टिविटी और यहां तक कि यात्रा से जुड़ी जानकारी शामिल है।
गृह मंत्रालय की जांच टीम गठित
मामले की गंभीरता को देखते हुए पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नक़वी ने तुरंत एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई है। यह टीम दो हफ्ते के भीतर रिपोर्ट पेश करेगी।
गृह मंत्रालय ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि जांच का जिम्मा नेशनल साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को सौंपा गया है।
सरकार का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश होगा और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कितने में बिक रहा डेटा?
इस डेटा ब्रीच का सबसे चौंकाने वाला पहलू इसकी प्राइस लिस्ट है।
मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग – 500 रुपए
पूरा मोबाइल डेटा – 2000 रुपए
विदेश यात्रा की जानकारी – 5000 रुपए
यानी केवल कुछ सौ से लेकर कुछ हजार रुपये में किसी भी शख्स की निजी जानकारियां खरीदी जा रही हैं।
सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता
इस मामले ने पाकिस्तान की साइबर सिक्योरिटी और डेटा प्रोटेक्शन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब देश के मंत्रियों और अधिकारियों का डेटा सुरक्षित नहीं है तो आम नागरिकों की सुरक्षा पर भी संदेह होना लाज़मी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह ब्रीच केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं है। यह एक अंतरराष्ट्रीय हैकिंग रैकेट का हिस्सा हो सकता है, जिसमें यूजर्स की प्राइवेसी और सुरक्षा पूरी तरह खतरे में है।
सरकार का रुख
पाकिस्तानी सरकार ने साफ किया है कि वह इस मामले में कोई नरमी नहीं बरतेगी। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही नागरिकों से अपील की गई है कि वे तुरंत अपने मोबाइल पासवर्ड बदलें और उन्हें ज्यादा मजबूत बनाएं।
गृह मंत्रालय के अनुसार, रिपोर्ट आने के बाद न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से भी जांच आगे बढ़ाई जाएगी।
मंत्रियों और अधिकारियों का डेटा भी चोरी
डॉन की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि पाकिस्तान के कई बड़े मंत्रियों और शीर्ष सरकारी अधिकारियों का डेटा भी लीक हो चुका है। इसमें उनकी लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड और व्यक्तिगत जानकारियां शामिल हैं।
इससे सरकार की छवि और भी कमजोर हुई है, क्योंकि सवाल उठ रहे हैं कि जब देश के नेताओं का डेटा सुरक्षित नहीं है तो आम जनता को कैसे भरोसा दिलाया जाएगा?
लोगों की चिंता
आम लोगों में इस खुलासे के बाद डर और गुस्सा दोनों है। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार ने अब तक डेटा सुरक्षा कानूनों को सख्ती से लागू क्यों नहीं किया? कई लोग इस डेटा को लेकर ब्लैकमेलिंग और आपराधिक गतिविधियों के बढ़ने की आशंका भी जता रहे हैं।
पाकिस्तान का यह डेटा लीक केवल एक साइबर क्राइम नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी एक बड़ा सवाल है। यह घटना दिखाती है कि डिजिटल युग में डेटा ही सबसे बड़ी ताकत और कमजोरी दोनों बन चुका है। अगर समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो इसके गंभीर राजनीतिक और सामाजिक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।