AIN NEWS 1: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने नए साल के अवसर पर अपने संदेश में भारत के युवाओं में सनातन संस्कृति के प्रति बढ़ते रुझान को लेकर खुशी जाहिर की। उन्होंने विशेष रूप से इस बात को रेखांकित किया कि आज के युवा वर्ष की शुरुआत होटल और ढाबों में जाने के बजाय मंदिरों में पूजा-अर्चना करके कर रहे हैं, जो एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में इशारा करता है।
पं. शास्त्री ने कहा, “यह एक ऐसी लहर है, जो हमारे समाज में एक नई चेतना को जगा रही है। पहले लोग नए साल के दिन होटल और ढाबों में पार्टी करने जाते थे, लेकिन अब युवाओं का रुझान धार्मिक स्थलों की ओर बढ़ रहा है। यह बदलाव न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में संतुलन ला रहा है, बल्कि यह सनातन संस्कृति की ओर उनका आकर्षण भी दिखाता है।”
उनका यह बयान आज के समय की एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक प्रवृत्ति को उजागर करता है, जिसमें युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ने की ओर अग्रसर हो रही है। पं. शास्त्री का मानना है कि यह बदलाव एक बेहतर और शांति से भरे समाज की ओर संकेत करता है, जहाँ लोग अधिक आध्यात्मिकता की ओर झुके हैं और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने लगे हैं।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर ने यह भी कहा कि सनातन संस्कृति का मूल उद्देश्य जीवन को सही मार्ग पर चलाना और व्यक्ति को मानसिक व आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाना है। जब युवा इस दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो यह समाज के लिए सकारात्मक संकेत है।
उनकी बातों में एक गहरी आशा और विश्वास था कि आने वाले समय में भारत के युवा समाज में और अधिक जागरूक होंगे और वे अपनी पारंपरिक संस्कृति को अपने जीवन में अहम स्थान देंगे। पं. शास्त्री ने सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं और इस दिशा में और भी प्रयास करने की प्रेरणा दी, ताकि सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार और बढ़े।
आज के युवाओं की यह सकारात्मक सोच समाज के लिए एक नई उम्मीद और प्रेरणा का स्रोत बन रही है। यह बदलाव एक संकेत है कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को लेकर उनकी भावनाएं मजबूत हो रही हैं और वे उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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