Ainnews1.com :मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने ओम नम: शिवाय… के साथ आरती कर दिया संदेश कि वह किसी भी कीमत पर नफरत नहीं फैलने देंगी।
और काशी की गंगा जमुनी तहजीब को बर्बाद नहीं होने देंगी। नाजनीन अंसारी ने कहा है।कि जब हमारे पूर्वज हिंदू थे तो वो तो आदि विश्वेश्वर की पूजा करते ही थे। हम सभी अदालत के फैसले का भी सम्मान करते हैं।
इतिहासकार एवं विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहना है कि मासिर-ए-आलमगीरी में स्पष्ट रूप से साकी मुस्तईद खान ने औरंगजेब के मंदिर को तोड़ने की बात लिखी है। 1710 ई0 में लिखी गयी पुस्तक इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।
मुस्लिम पक्ष को अपना दावा ही छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा है कि भारत के किसी मुसलमान को मंगोलों का पक्ष नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इन्हीं मुगलों ने अंतिम खलीफा की हत्या की थी। आज का फैसला वर्षों पहले हुए अन्याय और अत्याचार के खिलाफ एक जीत की पहली सीढ़ी है। इस दौरान नजमा परवीन, नाजिया बेगम, नगीना अंजुम, मुन्नी बेगम, नाजमा, अहसीन आदि मुस्लिम महिलाओं के साथ अर्चना भरतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, खुशी भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी शामिल रहीं।इधर, कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्ष के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने अदालत पर बड़ा आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि यह फैसला न्यायोचित नहीं है।
उन्होंने कहा, हम इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। जज साहब ने फैसला 1991 के संसद के कानून को दरकिनार कर दिया है। ऊपरी अदालत के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं। न्यायपालिका ही आपकी है। आप संसद के नियम को नहीं मानेंगे।