AIN NEWS 1 | नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पशु अधिकार कार्यकर्ताओं (Animal Rights Activists) पर टिप्पणी कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। शुक्रवार (12 सितंबर 2025) को विज्ञान भवन में हुए इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने पशु प्रेमियों की सोच पर व्यंग्य किया और कहा कि देश में कई ऐसे लोग हैं जो गाय को जानवर मानते ही नहीं।
उनका यह बयान सुनते ही वहां मौजूद लोग हंस पड़े और माहौल हल्का-फुल्का हो गया। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद थे, जिन्होंने भी इस मौके पर मुस्कान छिपा नहीं पाए।
पीएम मोदी का बयान और लोगों की प्रतिक्रिया
पीएम मोदी ने बताया कि हाल ही में वे कुछ एनिमल लवर्स से मिले थे। जैसे ही उन्होंने यह बात कही, दर्शकों में मौजूद लोग हंसने लगे। इस पर पीएम मोदी ने मजाकिया अंदाज में कहा – “आप क्यों हंस रहे हैं? हमारे देश में सचमुच ऐसे कई लोग हैं जो गाय को जानवर मानते ही नहीं।”
उनके इस तंज पर कार्यक्रम में मौजूद सभी लोग ठहाका मारकर हंस पड़े।
हिंदू धर्म में गाय का महत्व
भारत में गाय को केवल पशु के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि गौ माता के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में गाय को पवित्र और देवत्व का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि गाय के संरक्षण को लेकर भावनाएं बेहद मजबूत हैं।
स्वयं प्रधानमंत्री मोदी कई बार सार्वजनिक कार्यक्रमों और त्योहारों के दौरान गायों के साथ समय बिताते नजर आए हैं। उन्हें गायों को चारा खिलाते और दुलारते हुए तस्वीरों व वीडियो में देखा जा चुका है, जो सोशल मीडिया पर वायरल भी होते रहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और विवाद
प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आवारा कुत्तों को लेकर अहम फैसला सुनाया।
11 अगस्त 2025 को कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने आदेश दिया कि दिल्ली-एनसीआर से सभी स्ट्रे डॉग्स (आवारा कुत्ते) को पकड़कर आश्रय स्थलों में रखा जाए।
यह निर्देश इसलिए दिया गया क्योंकि पिछले कुछ समय में कुत्तों के काटने और रेबीज के मामले तेजी से बढ़े हैं। कोर्ट ने नगर निगम अधिकारियों को इस आदेश को सख्ती से लागू करने को कहा।
हालांकि, इस फैसले ने पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और कई मशहूर हस्तियों में आक्रोश पैदा कर दिया। उनका कहना है कि आवारा कुत्तों को जबरन हटाना न केवल क्रूरता है बल्कि इससे उनकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है।
मोदी सरकार की गौ संरक्षण पहल
पीएम मोदी की सरकार ने 2014 से अब तक गौ संरक्षण (Cow Protection) को लेकर कई बड़े कदम उठाए हैं।
2019 में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (RKA) की स्थापना की गई।
यह आयोग मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है।
इसका उद्देश्य गायों और उनकी नस्लों का संरक्षण, सुरक्षा और विकास करना है।
इसके अलावा, सरकार ने कई राज्यों में गौशालाओं के लिए अनुदान, गाय आधारित रिसर्च प्रोजेक्ट और जागरूकता अभियान भी शुरू किए हैं।
क्यों उठा विवाद आवारा कुत्तों को लेकर?
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में डॉग बाइट (Dog Bite) और रेबीज से जुड़े मामलों में भारी इजाफा हुआ है।
अकेले दिल्ली में हर साल हजारों लोग डॉग बाइट के शिकार होते हैं।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह समस्या और गंभीर बन जाती है।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि इसे नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। मगर दूसरी ओर, पशु प्रेमियों का कहना है कि सरकार को इन्हें खत्म करने की बजाय वैक्सीनेशन, नसबंदी और शेल्टर सुविधाएं बेहतर करनी चाहिए।
पीएम मोदी का बयान क्यों अहम है?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने यह इशारा जरूर किया कि देश में पशु अधिकारों को लेकर “चुनिंदा रवैया” अपनाया जा रहा है।
कुछ लोग केवल पालतू या चुनिंदा जानवरों के लिए आवाज उठाते हैं।
वहीं, गाय जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले पशुओं की अनदेखी करते हैं।
उनका यह बयान हिंदू समाज की भावनाओं को मजबूत करने वाला माना जा रहा है।
पीएम मोदी की टिप्पणी ने एक बार फिर यह मुद्दा सुर्खियों में ला दिया है कि पशु अधिकार और धार्मिक आस्था के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।
जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाया जाए, वहीं दूसरी ओर पशु अधिकार कार्यकर्ता इस फैसले को अमानवीय बता रहे हैं।
ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का यह तंज न केवल पशु प्रेमियों पर व्यंग्य है, बल्कि यह एक गहरी बहस को जन्म देता है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में पशुओं को लेकर नीतियां कैसी होनी चाहिए।