AIN NEWS 1 | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा चर्चा का केंद्र बना हुआ है। उनका यह दौरा न केवल भारत-चीन रिश्तों बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है। खासकर तब, जब अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में मोदी का शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में हिस्सा लेना और वैश्विक नेताओं से मुलाकात करना एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
इस दौरे में मोदी ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को घेरा, चीन और रूस के साथ गहरी ट्यूनिंग दिखाई और अंतरराष्ट्रीय मंच से भारत का रुख मजबूती से रखा। आइए जानते हैं इस दौरे की 10 बड़ी बातें, जो सुर्खियों में रहीं।
1. तियानजिन में हुआ भव्य स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी जापान से 31 अगस्त को चीन के तियानजिन पहुंचे। एयरपोर्ट पर उनका रेड कार्पेट स्वागत किया गया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गर्मजोशी से मुलाकात की और SCO समिट के फोटो सेशन में मोदी पहली कतार में नजर आए। उनके साथ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे।
2. पुतिन और जिनपिंग के साथ गहरी ट्यूनिंग
SCO समिट में मोदी, पुतिन और जिनपिंग की तिकड़ी चर्चा में रही। पुतिन ने पीएम मोदी को गले लगाकर दोस्ताना अंदाज दिखाया। वहीं, जिनपिंग के साथ भी मोदी की ट्यूनिंग साफ नजर आई। तीनों नेता एक-दूसरे के साथ मुस्कुराते हुए बातचीत करते दिखाई दिए। यह तस्वीरें इस बात का संकेत थीं कि भारत, चीन और रूस वैश्विक स्तर पर मिलकर संदेश देना चाहते हैं।
3. शहबाज शरीफ की किरकिरी
एक अनोखा दृश्य उस समय सामने आया जब मोदी और पुतिन बातचीत करते हुए आगे बढ़ रहे थे। इसी दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक कोने में अकेले खड़े नजर आए। उनका तनावग्रस्त चेहरा कैमरे में कैद हो गया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों ने इसे पाकिस्तान की कूटनीतिक फजीहत बताया।
4. पाकिस्तान पर तीखा हमला
अपने संबोधन में मोदी ने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने न जाने कितनी माताओं को उनके बेटे से और बच्चों को उनके माता-पिता से छीन लिया है। मोदी ने कहा कि भारत आतंकवाद का दर्द झेल रहा है और यह केवल भारत की समस्या नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ चुनौती है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि दुनिया को आतंकवाद पर “डबल स्टैंडर्ड” छोड़ना होगा और हर रूप में इसका विरोध करना होगा।
5. मोदी-पुतिन की दोस्ती की झलक
दौरे की एक तस्वीर ने मोदी-पुतिन रिश्ते की गहराई दिखा दी। दोनों नेता एक ही कार में बैठे और बातचीत करते नजर आए। दरअसल, पुतिन चाहते थे कि मोदी उनके साथ वार्ता स्थल जाएं। इसके लिए उन्होंने 10 मिनट तक इंतजार भी किया। आखिरकार दोनों एक ही कार से निकलकर वार्ता स्थल पहुंचे।
6. द्विपक्षीय वार्ता में मजबूत संदेश
पुतिन के साथ बैठक में मोदी ने कहा कि भारत और रूस हमेशा कठिन समय में एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। उन्होंने रूस-भारत साझेदारी को वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए अहम बताया। यूक्रेन युद्ध पर भी दोनों नेताओं ने चर्चा की और शांति की दिशा में उठाए गए प्रयासों का समर्थन किया। पुतिन ने भी मोदी को “अपना दोस्त” कहकर संबोधित किया।
7. पुतिन को भारत आने का न्योता
मोदी ने बैठक के दौरान पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि “आपसे मिलना हमेशा यादगार रहा है। इस वर्ष दिसंबर में होने वाले 23वें शिखर सम्मेलन के लिए 140 करोड़ भारतीय आपका इंतजार कर रहे हैं।”
8. पुतिन का बयान: संबंध और मजबूत
पुतिन ने कहा कि भारत और रूस के बीच “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” है। 21 दिसंबर 2025 को इस साझेदारी की 15वीं वर्षगांठ है। उन्होंने कहा कि SCO ऐसा मंच है जो ग्लोबल साउथ और पूर्व के देशों को एकजुट करता है और उम्मीद जताई कि इस बैठक से भारत-रूस रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।
9. SCO घोषणापत्र में पहलगाम हमले की निंदा
SCO समिट के घोषणा पत्र में भी पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की गई। इसमें पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई गई और कहा गया कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। यह भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है।
10. मोदी ने दौरे को बताया सफल
अंत में मोदी ने अपनी यात्रा को सफल बताते हुए कहा कि उन्होंने SCO समिट में भारत की नीतियों को मजबूती से रखा और कई देशों के नेताओं से मुलाकात कर वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन की जनता का आभार जताया।
पीएम मोदी का यह चीन दौरा केवल भारत-चीन रिश्तों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह वैश्विक राजनीति को नया संदेश देने वाला साबित हुआ। जहां मोदी ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया, वहीं रूस और चीन के साथ भारत की गहरी होती दोस्ती ने दुनिया को स्पष्ट संकेत दिया कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर और भी सशक्त भूमिका निभा रहा है।