AIN NEWS 1 | भारत और चीन के बीच रिश्तों को लेकर एक बार फिर नई उम्मीद जगी है। मंगलवार (19 अगस्त 2025) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच भारत-चीन संबंधों में सुधार और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने पर बातचीत हुई।
विदेश मंत्रालय (MEA) ने बताया कि वांग यी भारत-चीन सीमा विवाद से जुड़े 24वें विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के आमंत्रण पर भारत पहुंचे। उन्होंने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से भी मुलाकात की और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की।
पीएम मोदी का बयान – शी जिनपिंग से अगली मुलाकात का इंतजार
मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा –
“विदेश मंत्री वांग यी से मिलकर खुशी हुई। पिछले साल कजान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मेरी मुलाकात के बाद भारत-चीन रिश्तों में सुधार आया है। मैं शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान तियानजिन में होने वाली हमारी अगली बैठक का इंतजार कर रहा हूं।”
इस बयान से साफ है कि भारत और चीन दोनों ही देशों के बीच रिश्तों में धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।
आर्थिक रिश्तों पर भी चर्चा
भारत-चीन मुलाकात में केवल राजनीतिक ही नहीं बल्कि आर्थिक मुद्दों पर भी खास बातचीत हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने भारत को आश्वासन दिया है कि उसकी प्रमुख व्यापारिक चिंताओं –
रेयर अर्थ (Rare Earth)
फर्टिलाइज़र (Fertilizer)
सुरंग खोदने वाली मशीनें (Tunneling Machines)
का समाधान जल्द किया जाएगा।
चीन ने हाल ही में अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी के जवाब में रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। इसका असर उन देशों पर भी पड़ा है जो चीनी आयात पर निर्भर हैं। चूंकि रेयर अर्थ का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट्स में होता है, ऐसे में भारत के लिए यह चिंता का बड़ा विषय रहा है।
विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात में वांग यी ने साफ किया कि बीजिंग भारत की चिंताओं को समझता है और उनके समाधान के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
NSA डोभाल और वांग यी की बातचीत
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने वांग यी से कहा कि भारत-चीन रिश्तों में नई ऊर्जा और सकारात्मकता दिखाई दे रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग और मज़बूत होगा।
डोभाल ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। उन्होंने इस दौरे को दोनों देशों के लिए बेहद अहम बताया।
भारत-चीन संबंधों में बदलाव की ज़रूरत
भारत और चीन के बीच पिछले कुछ सालों से सीमा विवाद, व्यापारिक तनाव और कूटनीतिक मतभेद बने हुए थे। लेकिन अब दोनों देश यह समझ रहे हैं कि सहयोग से ही एशिया और वैश्विक स्तर पर स्थिरता लाई जा सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत और चीन आपसी मतभेदों को पीछे छोड़कर व्यापार और निवेश पर ध्यान दें, तो न सिर्फ दोनों देशों को फायदा होगा बल्कि पूरे एशिया की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात ने यह संकेत दिया है कि भारत-चीन रिश्तों में सुधार की नई शुरुआत हो सकती है। आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करने और सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की दिशा में यह मुलाकात अहम मानी जा रही है।
अब सबकी निगाहें तियानजिन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन पर टिकी हैं, जहां पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सीधी मुलाकात से भविष्य के रिश्तों की तस्वीर और साफ हो सकती है।