AIN NEWS 1: गाजियाबाद में पुलिस ने एक ऐसे ठग का पर्दाफाश किया है, जो पिछले चार वर्षों में अलग-अलग राज्यों के नौ परिवारों का खोया हुआ बेटा बनकर उनके साथ रहा। राजू, जो मूल रूप से राजस्थान का रहने वाला है, परिवार की जिम्मेदारियों से बचने के लिए भागने और धोखाधड़ी करने में माहिर है। पुलिस अब उसके पूरे नेटवर्क और उसके द्वारा किए गए धोखों की तह तक जाने की कोशिश कर रही है।
राजू की असलियत: राजस्थान से शुरू हुआ धोखे का खेल
राजू का जन्म राजस्थान में हुआ था, लेकिन बचपन में ही उसे उसके परिवार ने घर से निकाल दिया। इसके बाद उसने खुद को लाचार और बेसहारा दिखाकर कई परिवारों का सहारा लिया। वह राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में घूमता रहा और अलग-अलग परिवारों का खोया हुआ बेटा बनकर उनके साथ रहने लगा।
धोखाधड़ी का तरीका: जिम्मेदारी आते ही भाग जाता था
राजू के धोखे का तरीका बेहद अनोखा था। वह ऐसे परिवारों को निशाना बनाता, जिन्होंने कभी अपना बेटा खो दिया हो। शुरुआत में वह उन परिवारों का भरोसा जीतता और उनकी भावनाओं का फायदा उठाकर उनके घर में रहने लगता।
लेकिन जैसे ही परिवार उस पर किसी भी तरह की जिम्मेदारी डालते, वह वहां से भाग जाता। पुलिस ने बताया कि सीकर और देहरादून में भी उसने यही तरीका अपनाया था।
गाजियाबाद में हुआ पर्दाफाश
गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में राजू ने एक परिवार का खोया हुआ बेटा बनकर उन्हें ठगने की कोशिश की। परिवार ने उसे खाना-पीना और देखभाल दी, लेकिन तीन दिन के भीतर उसकी सच्चाई सामने आने लगी। परिवार ने शक के आधार पर पुलिस को सूचना दी।
पुलिस ने राजू को हिरासत में लिया और उसके बारे में जांच शुरू की। जांच में पता चला कि वह पहले भी इसी तरह के धोखे कर चुका है।
9 परिवारों को बना चुका है शिकार
पुलिस की जांच में यह सामने आया कि राजू अब तक नौ परिवारों के साथ उनका खोया हुआ बेटा बनकर रह चुका है। ये परिवार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में रहते हैं। पुलिस ने इन सभी परिवारों से संपर्क कर राजू की असलियत का पता लगाया है।
डीएनए टेस्ट से हुआ सच का खुलासा
शहीद नगर के तुलाराम नाम के एक व्यक्ति ने राजू को अपना बेटा मान लिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने डीएनए जांच के लिए सैंपल दिया। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि राजू उनका बेटा नहीं है। तुलाराम ने बताया कि उनकी गैरमौजूदगी में परिवार के अन्य सदस्यों ने राजू को घर में जगह दी थी, लेकिन वह शुरू से ही संदेहास्पद था। उनकी पत्नी और बेटी ने भी राजू को अपना बेटा मानने से इनकार कर दिया।
पुलिस के हाथ लगे राजू के राज
पूछताछ में राजू ने कबूल किया कि वह काम करने से बचने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करता था। उसने बताया कि पहली बार यह योजना सफल होने के बाद वह इसे बार-बार अपनाने लगा। पुलिस का कहना है कि राजू ने कई अहम जानकारी दी है, लेकिन अभी भी उसने कई राज छुपाए हुए हैं।
क्या है राजू का अतीत?
पुलिस ने राजू के सीकर और देहरादून कनेक्शन की भी जांच की है। राजू का कहना है कि बचपन में घर से निकाले जाने के बाद उसने अलग-अलग परिवारों के साथ अपना जीवन बिताया। हालांकि, उसने कभी कोई स्थायी काम नहीं किया और हर बार जिम्मेदारियों से बचने के लिए भाग गया।
पुलिस की कार्रवाई जारी
राजू के खिलाफ अब धोखाधड़ी और विश्वासघात के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अन्य परिवारों के साथ उसका वेरिफिकेशन कर रही है और उसके खिलाफ ठोस सबूत जुटाने की कोशिश में लगी है।
यह मामला एक ऐसी सच्चाई को उजागर करता है, जो समाज की भावनाओं और भरोसे के साथ खिलवाड़ करने वाले लोगों की काली करतूतों को सामने लाता है। पुलिस की सतर्कता ने राजू की इस योजना को उजागर किया, लेकिन यह घटना परिवारों को सतर्क रहने और किसी पर भी जल्दी विश्वास न करने का सबक देती है।