AIN NEWS 1 | महाराष्ट्र की राजनीति में चाचा-भतीजे के बीच सत्ता संघर्ष कोई नई बात नहीं है। यहां पारिवारिक राजनीति ने कई बार दोनों के बीच विभाजन तो कभी गठबंधन कराकर सत्ता का समीकरण बदला है। सत्ता की इस खींचतान में कई बार चाचा हावी रहे तो कभी भतीजे ने अपना वर्चस्व दिखाया।
1. बालासाहेब ठाकरे और राज ठाकरे
- संघर्ष की शुरुआत: शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने पार्टी में अपने बेटे उद्धव ठाकरे और भतीजे राज ठाकरे को राजनीति में प्रवेश कराया। 1990 के दशक में राज ठाकरे ने बालासाहेब का उत्तराधिकारी बनने की कोशिश की, लेकिन बालासाहेब ने उद्धव को प्राथमिकता दी।
- विभाजन: 2005 में शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की स्थापना की। 2009 के चुनावों में राज ठाकरे ने वोटों को बांटकर शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को नुकसान पहुँचाया। हालांकि, MNS का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो गया।
2. शरद पवार और अजित पवार
- संघर्ष: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच कई बार मतभेद देखने को मिले। अजित ने बीजेपी के साथ मिलकर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिससे शरद पवार के खेमे में हलचल मच गई। हालांकि, कुछ समय बाद दोनों ने मिलकर काम किया।
- वर्तमान स्थिति: NCP अब दो धड़ों में बंट गई है—एक धड़ा शरद पवार का और दूसरा अजित पवार का। दोनों धड़ों के बीच अब सीधा राजनीतिक टकराव चल रहा है।
3. अजित पवार बनाम युगेंद्र और रोहित पवार
- युगेंद्र पवार: शरद पवार के नेतृत्व में उनके भतीजे युगेंद्र पवार, जो उनके भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं, बारामती विधानसभा सीट पर अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
- रोहित पवार: रोहित पवार ने भी अजित पवार के खिलाफ बयानबाजी की और लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार को हराने में सहयोग दिया।
4. उद्धव ठाकरे और अमित ठाकरे
- संघर्ष: उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई है, जबकि उनके चचेरे भाई अमित ठाकरे, जो राज ठाकरे के बेटे हैं, MNS के बैनर तले राजनीति में हैं। मुंबई की माहिम सीट पर अमित ठाकरे MNS की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उद्धव ठाकरे ने भी उनके खिलाफ उम्मीदवार खड़ा किया है।
5. राज ठाकरे और आदित्य ठाकरे
- प्रतिद्वंद्विता: राज ठाकरे की MNS और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच राजनीतिक मतभेद बना रहा है। हाल के चुनावों में दोनों पार्टियों का आमना-सामना देखा गया है।
महाराष्ट्र में आगामी चुनावों में इन पारिवारिक टकरावों का असर देखने को मिलेगा। सभी 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होंगे और नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे, जो यह तय करेंगे कि चाचा और भतीजे की इन जोड़ियों में किसने अपने प्रभाव का विस्तार किया।