AIN NEWS 1: महात्मा बुद्ध अपने भिक्षुओं को सिखाते थे कि जीवन में सकारात्मक सोच और दूसरों की भलाई की कामना करना बेहद आवश्यक है। वह हमेशा कहते थे, “तुम चौबीस घंटे मंगल की कामना में लगे रहो। रास्ते में जो भी मिले, उसके लिए मंगल की कामना करो।”
हर परिस्थिति में मंगल की कामना
बुद्ध ने समझाया कि चाहे रास्ते में कोई व्यक्ति मिले, वृक्ष हो, या कोई पहाड़—सबके प्रति मंगल की भावना रखनी चाहिए।
अगर राह में कोई अनजान राहगीर मिले: उसके लिए शुभकामनाएं करके आगे बढ़ो।
अगर कोई वृक्ष मिले: उसके लिए मंगल की कामना करो और उसके पास से गुजरो।
अगर पहाड़ मिले: उसके लिए भी वही भावना रखो।
भिक्षु का सवाल: क्या है इसका लाभ?
एक भिक्षु ने बुद्ध से प्रश्न किया, “भगवान, इस अभ्यास से हमें क्या लाभ होगा?”
बुद्ध ने इसे दो मुख्य लाभों में समझाया:
1. स्वयं के भीतर नकारात्मकता से बचाव
जब तुम हर किसी के लिए मंगल की कामना करते हो, तो तुम्हारे मन में बुरा खयाल या नकारात्मक सोच आने का कोई स्थान नहीं रहता। तुम गुस्सा, ईर्ष्या या क्रोध से बचते हो। इससे तुम्हारी ऊर्जा सही दिशा में लगती है।
2. सकारात्मकता का प्रसार
जब तुम किसी के लिए मंगल की कामना करते हो, तो तुम्हारी यह सकारात्मक ऊर्जा उस व्यक्ति के भीतर भी प्रतिध्वनि (रिजोनेंस) उत्पन्न करती है। वह व्यक्ति भी अनजाने में तुम्हारे लिए भलाई और शुभकामनाओं से भर जाता है।
मंगल की कामना: जीवन जीने का एक मार्ग
बुद्ध के ये शब्द न केवल ध्यान और आध्यात्मिकता में गहराई लाते हैं, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि दूसरों के प्रति शुभ भाव रखने से समाज में शांति और समरसता स्थापित हो सकती है।
यह अभ्यास हमें जीवन में अपने दृष्टिकोण को बदलने और अपने चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का मार्ग दिखाता है।
संदेश स्पष्ट है: हर जीव, हर प्रकृति के तत्व और हर परिस्थिति के प्रति मंगल की भावना रखना न केवल हमारे मन को शुद्ध करता है, बल्कि दूसरों के जीवन में भी प्रकाश फैलाता है।