AIN NEWS 1 नई दिल्ली : बता दें जमीन, घर या किसी भी तरह की चल या अचल संपत्ति खरीदना कई लोगों के जीवन के सबसे बड़े फैसलों में से ही एक होता है. इसके लिए आपका पैसा और मेहनत दोनों ही ज्यादा लगते हैं. भारतीय समाज में लोग अपना भविष्य को ध्यान में रखते हुए बड़ी जमीनें खरीदते रहते हैं ताकि उनकी आने वाली सभी पीढ़ी एक ही जगह पर आराम से रह सके.कुल मिलाकर प्रॉपर्टी खरीदना हर व्यक्ति के लिए एक बड़े सपने के जैसा है. लेकिन कई बार हमारी छोटी-छोटी गलतियों के कारण उन सपनों पर एक ग्रहण भी लग जाता है. वैसे तो जमीन की रजिस्ट्री एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेजे है और लोग इसे तुरंत ही करवा भी लेते हैं.
लेकिन एक और ऐसा कागज है जिसके बारे में लोग जानते तो हैं लेकिन उसको लेकर वह बहुत लापरवाही दिखाते हैं. यहां हम बात कर रहे हैं. दाखिल-खारिज या म्यूटेशन ऑफ प्रॉपर्टी (Mutation of Property) की.आखिर यह दाखिल-खारिज होता क्या है और क्यों ये कराना इतना जरूरी होता है. तो हम आपको बता दें यह दाखिल-खारिज एक ऐसा अहम दस्तावेज है जो आपकी प्रॉपर्टी को किसी भी तरह के पचड़े से पूरी तरह बचाने में आपकी मदद करता है. अगर तो आपकी प्रॉपर्टी का दाखिल-खारिज हो गया है तो इसका मतलब है कि किसी को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि आपने वह जमीन या घर अब खरीद लिया है.
जाने आपत्ति से आख़िर क्या मतलब है?
जैसे मान लीजिए के आपने एक जमीन खरीदी. और वह जमीन आपके पास आने से पहले 4 और लोगों के पास रही थी. अब अगर इनमें से किसी एक भी शख्स ने कोर्ट में जाकर आपके खिलाफ कोई मुकदमा दायर किया कि वह इस खरीद-बिक्री के खिलाफ है और अगर उस समय आपके पास ये दाखिल-खारिज दस्तावेज नहीं हुए तो आपके लिए काफ़ी बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी.दाखिल-खारिज नहीं होने का मतलब है कि उस जगह पर कोई अन्य विवाद चल रहा था और जिसने आपको जमीन बेची उसने पुराने मालिक के साथ कोई धोखाधड़ी की है. इस तरह इस जमीन पर आपके मालिकाना हक पर भी प्रश्न चिह्न लग जाएगा. लेकीन दाखिल-खारिज होने का साफ़ मतलब है कि नगर निगम के दस्तावेजों में प्रॉपर्टी का टाइटल अब चेंज हो गया है और अब आप उसके कानूनी रूप से सही मालिक हो गए हैं.
जाने रजिस्ट्री से ये कैसे अलग-
रजिस्ट्रेशन में उस प्रॉपर्टी को नए खरीदार को ट्रांसफर किया जाता है. इसमें आपकों रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टैंप ड्यूटी देनी होता है. वहीं, म्यूटेशन या दाखिल-खारिज इसके कुछ महीनों बाद नगर निगम के दफ्तर में ही होता है. म्यूटेशन रिकॉर्ड देखकर आप इस जमीन के पिछले मालिकों के बारे में भी आसानी से पता लगा सकते हैं.
जाने नहीं मिलेगा इसका मुआवजा-
जमीन बेचते समय यह एक ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है. अगर आपने यहां रजिस्ट्री करा भी ली है और कुछ महीने बाद आपने म्यूटेशन नहीं कराया तो कानूनी रूप से जमीन पर आपका अधिकार ही नहीं माना जाएगा. और अगर भविष्य में आपकी वह जमीन किसी ,सरकारी अधिग्रहण के अंतर्गत आई तो आपको इसका मुआवजा भी नहीं मिलेगा.
मेरे दादाजी के ससुराल में 13 बीघा जमीन थी हम शेड्यूल कास्ट जाति से बिलॉन्ग करते हैं दादाजी के मरने के बाद पिताजी को धोखे से बुलाकर उनके मामा जी के लड़कों ने यह कहकर कि यह जमीन तुम्हारे नाम चढ़ जाएगी धोखे से किसी शेड्यूल कास्ट व्यक्ति के नाम रजिस्ट्री करवा दी और जमीन अहीर यादव जाति के लोगों को बेच दी यह सब सन 1991 की बात है तब से दबंगों का कब्जा है मैं पौत्र हूं मैं क्या कर सकता हूं घटना राजस्थान जयपुर जिले की है