AIN NEWS 1: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में मोदी सरकार की बैंकिंग सुधार नीतियों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत के बैंकिंग सिस्टम में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रहे हैं।
राजन ने अपनी बातों में 2008 की वैश्विक मंदी का जिक्र करते हुए बताया कि उस समय बैंकों का लोन वितरण प्रणाली बहुत ही लापरवाह थी। बैंकों के अधिकारियों के पास चेकबुक होती थी और वे कारोबारियों के पीछे घूमते थे, यह पूछते हुए कि कितना लोन चाहिए। वे बिना किसी कड़ी निगरानी और प्रक्रिया के लोन देते थे, क्योंकि तब तक यह माना जाता था कि परियोजनाएं समय पर पूरी हो जाती थीं और बैंकों को अपना पैसा वापस मिल जाता था। हालांकि, 2008 की मंदी ने बैंकों के सामने कठिनाइयों को बढ़ा दिया, जिससे कई लोन गैर-निष्पादित संपत्तियों (NPA) में बदल गए।
रघुराम राजन ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में बैंकों के एनपीए (Non-Performing Assets) के बढ़ने के कारणों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार और गलत नीतियों के कारण बैंकों की स्थिति खराब हुई। उन्होंने यह भी बताया कि कई परियोजनाओं को पर्यावरण संबंधी अनुमतियाँ और ज़मीन नहीं मिल रही थी, जिसके कारण एनपीए का आंकड़ा लगातार बढ़ता गया।
राजन ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार ने बैंकिंग सिस्टम के सुधार के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। उन्होंने विशेष रूप से पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की तारीफ की, जिन्होंने एनपीए को नियंत्रित करने के लिए जरूरी कदम उठाए। राजन ने बताया कि जब उन्होंने अरुण जेटली से बैड लोन की स्थिति के बारे में बात की और इसके समाधान के लिए एक “क्लीन अप” प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत पर जोर दिया, तो जेटली ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी दी।
राजन ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में सरकारी बैंकों और वित्तीय प्रणाली की स्थिति काफी बेहतर हुई है। सरकार ने बैंकों को बचाने के लिए जो फैसले लिए, वे न केवल समय की मांग थे, बल्कि आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए भी जरूरी थे।
यहां तक कि रघुराम राजन ने यह भी बताया कि यूपीए सरकार के दौरान बैंकों को जो वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, उसकी जड़ भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप में थी। इससे बैंकों का एनपीए बढ़ा और कई ऋणों के चुकाने में विफलता आई। राजन ने यह माना कि मोदी सरकार ने इन मुद्दों पर न केवल ध्यान दिया, बल्कि ठोस कदम उठाए।
हालांकि, रघुराम राजन ने पहले मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना की थी, लेकिन अब उन्होंने सरकार की नीतियों को सुधारात्मक और देश के वित्तीय सिस्टम के लिए फायदेमंद माना है। उनके इस बयान से यह साफ हो गया है कि वह देश के आर्थिक ढांचे में सकारात्मक बदलावों को मान्यता दे रहे हैं।
यह भी महत्वपूर्ण है कि रघुराम राजन ने कभी कांग्रेस और राहुल गांधी के साथ अपने विचार साझा किए थे, जिनके साथ उनकी जुगलबंदी की चर्चा होती रही है। हालांकि, अब वह मोदी सरकार की नीतियों के पक्ष में नजर आ रहे हैं।
राजन के इस इंटरव्यू से यह भी पता चला कि उनकी दृष्टि अब अधिक संतुलित और विचारशील है। उन्होंने यूपीए सरकार के दौरान बैंकों की खराब स्थिति और मोदी सरकार द्वारा की गई सुधारों की सराहना की है। उनका यह बयान न केवल एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण पेश करता है, बल्कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत भी देता है।
उनके इस बयान से यह साफ हो जाता है कि राजनीतिक विचारधारा से परे, एक अर्थशास्त्री के रूप में रघुराम राजन का प्राथमिक उद्देश्य भारत की आर्थिक स्थिरता और विकास को सुनिश्चित करना है।