AIN NEWS 1 | राजस्थान में साल 2021 की सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। इस कांड ने न केवल राज्य की भर्ती प्रक्रिया की साख पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि लाखों मेहनती युवाओं के भविष्य से भी खिलवाड़ किया है।
ताजा कार्रवाई में, दौसा जिले के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय के वाइस प्रिंसिपल कार्तिकेय शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने परीक्षा का प्रश्नपत्र खरीदकर अपने परिचित को उपलब्ध कराया।
इस गिरफ्तारी के साथ ही इस मामले में पकड़े गए लोगों की संख्या बढ़कर 126 हो गई है, जिनमें 55 चयनित सब-इंस्पेक्टर भी शामिल हैं।
कार्तिकेय शर्मा पर आरोप
जांच में सामने आया है कि वाइस प्रिंसिपल कार्तिकेय शर्मा ने 8 लाख रुपये में पेपर खरीदा था। इसके बाद उन्होंने यह प्रश्नपत्र अपने परिचित रिंकू यादव को सौंप दिया।
इस पेपर की मदद से रिंकू यादव ने लिखित परीक्षा तो पास कर ली थी।
लेकिन अंतिम चयन सूची में उसका नाम शामिल नहीं हो सका।
यह खुलासा साफ करता है कि शिक्षा जगत से जुड़े कुछ अधिकारी भी इस संगठित अपराध में शामिल रहे। इससे सिस्टम की पारदर्शिता पर गहरा सवाल खड़ा होता है और युवाओं के भरोसे को गहरी चोट पहुंचती है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच की स्थिति
राजस्थान पुलिस ने इस मामले में शुरुआत से ही बड़े पैमाने पर छापेमारी की है।
अब तक कुल 126 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इनमें से 55 लोग वे हैं, जो सब-इंस्पेक्टर पद पर चयनित हो चुके थे।
धांधली का भंडाफोड़ होने के बाद सभी को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस का मानना है कि यह कोई साधारण गड़बड़ी नहीं थी, बल्कि एक संगठित गिरोह ने व्यवस्थित तरीके से परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित किया था।
युवाओं के सपनों पर कुठाराघात
पेपर लीक जैसे मामले युवाओं के भविष्य और मेहनत पर सीधा वार करते हैं।
लाखों उम्मीदवार सालों तक दिन-रात मेहनत करते हैं।
उनका लक्ष्य सिर्फ ईमानदारी से परीक्षा पास करके नौकरी पाना होता है।
लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारी और माफिया पैसों के लालच में पूरी प्रक्रिया को कलंकित कर देते हैं।
यह न केवल मेहनती अभ्यर्थियों के सपनों से खिलवाड़ है, बल्कि पूरे सिस्टम को अविश्वसनीय बना देता है।
समाज और शिक्षा पर असर
इस तरह के कांड का असर सिर्फ उम्मीदवारों तक सीमित नहीं रहता।
समाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ बढ़ती नाराज़गी साफ झलकती है।
शिक्षा जगत से जुड़े लोगों की छवि धूमिल होती है।
सरकार और भर्ती संस्थाओं पर जनता का भरोसा कमजोर पड़ता है।
युवाओं में यह संदेश जाता है कि मेहनत से ज्यादा पैसा और जुड़ाव मायने रखते हैं। यही सोच कई बार प्रतिभाशाली युवाओं के मनोबल को तोड़ देती है।
क्या है आगे की चुनौती?
राजस्थान पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई की है, लेकिन चुनौतियां अभी भी बाकी हैं।
पेपर लीक गिरोह की पूरी जड़ तक पहुंचना।
दोषी अधिकारियों और बिचौलियों को सख्त सजा दिलाना।
भविष्य में भर्ती परीक्षाओं को पूरी तरह पारदर्शी और सुरक्षित बनाना।
यह जरूरी है कि सरकार ऐसे मामलों को सिर्फ गिरफ्तारी तक सीमित न रखे, बल्कि कड़े सुधारात्मक कदम उठाए। तभी युवाओं का भरोसा बहाल किया जा सकेगा।
राजस्थान SI भर्ती पेपर लीक मामला देश के उन सबसे बड़े घोटालों में से एक बन चुका है, जिसने युवाओं के सपनों को तोड़ दिया और भर्ती प्रक्रिया पर गहरा धब्बा लगा दिया।
वाइस प्रिंसिपल की गिरफ्तारी इस बात का सबूत है कि शिक्षा जगत के अंदर से भी लोग इस अपराध में शामिल थे। यह समाज और व्यवस्था दोनों के लिए खतरे की घंटी है।
जरूरी है कि ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा मिले और भर्ती प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने के लिए तकनीक और निगरानी का अधिक उपयोग किया जाए। तभी मेहनती और ईमानदार युवाओं को उनका हक मिल सकेगा।