AIN NEWS 1 | रजनीश गंगवार उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले के बहेड़ी कस्बे में स्थित एमजीएम इंटर कॉलेज में हिंदी विषय के प्रवक्ता हैं। वे एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) के कार्यक्रम अधिकारी भी हैं और साथ ही एक प्रकाशित कवि हैं। उनके अनुसार, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में पीएचडी की है और उनकी रचनाएं आकाशवाणी, दूरदर्शन और विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रही हैं।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
टीचर रजनीश गंगवार पर यूपी बरैली में FIR हो गई स्कूल में ये कविता सुनाने के कारण।
“कावड़ लेने मत जाना, तुम ज्ञान का दीप जलाना”
“मानवता की सेवा करके, तुम सच्चे मानव बन जाना” pic.twitter.com/REywikSXjD— Akash Sagar -Bhim Army (@Akashsagr884) July 15, 2025
हाल ही में सावन के पवित्र महीने में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें रजनीश गंगवार छात्रों के सामने एक कविता सुना रहे हैं। इस कविता में उन्होंने कहा:
“तुम कांवड़ लेने मत जाना, ज्ञान का दीप जलाना।
मानवता की सेवा करके, तुम सच्चे मानव बन जाना।
कांवड़ ले जाकर कोई एसपी-डीएम नहीं बना है।”
इस कविता को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं। कई यूज़र्स और हिंदू संगठनों ने इसे कांवड़ यात्रा और शिवभक्तों के अपमान के रूप में देखा और आरोप लगाया कि इससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
पुलिस ने क्या कहा?
#WATCH | Bareilly, UP | On FIR registered against the teacher who commented on Kanwar Yatra, Baheri Circle Officer Arun Kumar says, “At MGM Inter College, teacher Rajneesh Gangwar gathered students in the courtyard of the college and made some objectionable comments about the… pic.twitter.com/z5KW1sDq3L
— ANI (@ANI) July 15, 2025
बहेड़ी के क्षेत्राधिकारी अरुण कुमार ने पुष्टि की कि एमजीएम इंटर कॉलेज में रजनीश गंगवार ने छात्रों के बीच कॉलेज परिसर में आपत्तिजनक कविता पाठ किया। वीडियो वायरल होने के बाद महाकाल सेवा समिति की शिकायत पर बहेड़ी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस का कहना है कि अब आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
शिक्षक की सफाई
विवाद बढ़ने पर रजनीश गंगवार ने खुद सामने आकर सफाई दी। उन्होंने कहा:
“मेरे खिलाफ कुछ लोग ईर्ष्या और द्वेष के चलते झूठे आरोप लगाकर मेरी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। मेरा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षा और जीवन के उद्देश्य के प्रति जागरूक करना था। मेरा मकसद किसी की धार्मिक भावना को आहत करना नहीं था।”
कांवड़ यात्रा क्यों है संवेदनशील विषय?
कांवड़ यात्रा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और आस्था से जुड़ा त्योहार है। हर साल करोड़ों शिवभक्त हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख और अन्य गंगा तीर्थों से जल लेकर पैदल यात्रा कर शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा न सिर्फ एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि लाखों लोगों की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।
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ऐसे में जब कोई व्यक्ति, विशेषकर एक शिक्षक – जिसे समाज में मार्गदर्शक माना जाता है – जब इस यात्रा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कुछ कहता है, तो यह लोगों के भावनात्मक जुड़ाव को चोट पहुंचा सकता है।
सोशल मीडिया की भूमिका
वायरल वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर काफी नाराजगी देखने को मिली। कुछ लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताया, जबकि अधिकांश लोगों ने इसे एक धार्मिक परंपरा का अपमान करार दिया। ट्विटर, फेसबुक, और इंस्टाग्राम पर #KanwarYatra और #RajneeshGangwar ट्रेंड करने लगे।
शिक्षक बनाम आस्था – कहां खड़ा है समाज?
यह मामला केवल एक कविता या एक वीडियो तक सीमित नहीं है। यह प्रश्न उठाता है कि क्या एक शिक्षक को अपनी सोच और विचारों को छात्रों पर थोपने का अधिकार है? या फिर क्या समाज में संतुलित संवाद की गुंजाइश अब खत्म होती जा रही है?
रजनीश गंगवार की कविता का उद्देश्य यदि ज्ञान की प्रेरणा देना था, तो उसकी अभिव्यक्ति का तरीका कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक विषय पर क्यों केंद्रित था? यही बिंदु विवाद का मूल कारण बन गया है।
रजनीश गंगवार का मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि धार्मिक आस्थाएं और सार्वजनिक अभिव्यक्ति एक संवेदनशील संतुलन पर खड़ी हैं। एक तरफ़ अभिव्यक्ति की आज़ादी है, दूसरी तरफ़ लोगों की भावनाएं और विश्वास। शिक्षकों और जनप्रतिनिधियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनकी बातों का समाज पर व्यापक असर पड़ता है।
अब यह देखना बाकी है कि न्यायालय और प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं। लेकिन यह निश्चित है कि कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक विषयों पर टिप्पणी करते समय हर किसी को अत्यधिक सतर्कता बरतनी चाहिए।