AIN NEWS 1 | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। इसमें खुलासा हुआ है कि मुस्लिम युवाओं को आईएसआईएस (ISIS) जैसे आतंकी संगठनों में भर्ती करने की बड़ी साजिश चल रही थी। सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए आरोपी डार्क वेब, क्रिप्टोकरेंसी और टेलीग्राम का इस्तेमाल कर रहे थे।
मामले की पृष्ठभूमि
1 मार्च 2024 को बंगलुरू के आईटीपीएल ब्रुकफील्ड इलाके में स्थित रामेश्वरम कैफे में आईईडी विस्फोट हुआ था, जिसमें नौ लोग घायल हो गए थे और होटल की संपत्ति को काफी नुकसान हुआ था। इस घटना के 42 दिन बाद, एनआईए ने मामले की जांच शुरू की और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया।
आरोपी कौन हैं?
गिरफ्तार आरोपियों में मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ शामिल हैं। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC), गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पीडीएलपी अधिनियम के तहत आरोप दायर किए गए हैं।
कैसे हुई साजिश?
जांच में पता चला कि शाजिब और ताहा, जो कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के रहने वाले हैं, 2020 में अल-हिंद मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद से फरार थे। ये दोनों ISIS से जुड़े हुए थे और उन्होंने पहले सीरिया में ISIS के क्षेत्रों में हिजरत (स्थानांतरण) की साजिश रची थी। इसके साथ ही भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को ISIS की विचारधारा से कट्टरपंथी बनाने की कोशिशें भी की जा रही थीं।
वित्त पोषण और तकनीकी इस्तेमाल
साजिश को अंजाम देने के लिए इन आरोपियों को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए फंडिंग मिली थी। ताहा ने क्रिप्टो मुद्रा को फिएट मुद्रा में बदलने के लिए टेलीग्राम आधारित पी2पी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया। इसके बाद इन पैसों का इस्तेमाल बंगलुरू में हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए किया गया, जिसमें 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान राज्य भाजपा कार्यालय पर आईईडी हमले की कोशिश भी शामिल थी।
ISIS से कनेक्शन
आरोपियों के ISIS से संबंधों की पुष्टि हुई है। ताहा और शाजिब को ISIS के कई वरिष्ठ नेताओं और हैंडलर्स से जोड़ा गया था। इसमें अल-हिंद मॉड्यूल का आरोपी महबूब पाशा और ISIS दक्षिण भारत के अमीर खाजा मोहिदीन भी शामिल थे। इन सभी ने मिलकर आतंक फैलाने की साजिश रची थी।
निष्कर्ष
NIA की जांच में ये स्पष्ट हुआ है कि आरोपी डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर सुरक्षा एजेंसियों से बचने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने फर्जी पहचान पत्र और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अपनी गतिविधियों को छिपाने का प्रयास किया था।