AIN NEWS 1 | भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश की मशहूर फिनटेक कंपनी फोनपे (PhonePe) पर नियमों के उल्लंघन के चलते 21 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई कंपनी के प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (PPI) और एस्क्रो खाते (Escrow Account) से जुड़े मानकों का सही तरीके से पालन न करने के कारण की गई।
आरबीआई की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, अक्टूबर 2023 से दिसंबर 2024 तक फोनपे के परिचालन (Operations) का निरीक्षण किया गया था। इस दौरान कई खामियां पाई गईं, जिन पर विचार करने के बाद केंद्रीय बैंक ने यह सख्त कदम उठाया।
क्यों लगा फोनपे पर जुर्माना?
आरबीआई ने निरीक्षण के बाद फोनपे को नोटिस जारी किया और जवाब मांगा। कंपनी की ओर से स्पष्टीकरण और अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, लेकिन केंद्रीय बैंक ने उन्हें संतोषजनक नहीं माना।
जांच में सामने आया कि कई मौकों पर फोनपे के एस्क्रो खाते में मौजूद राशि, उसके प्रीपेड पेमेंट साधनों (PPI) और व्यापारियों को देय भुगतानों से कम थी। सबसे बड़ी गलती यह रही कि इस कमी की जानकारी समय पर आरबीआई को नहीं दी गई।
नियमों के मुताबिक, एस्क्रो खाते में हर दिन के अंत तक कम से कम उतनी ही राशि होनी चाहिए, जितनी ग्राहकों और व्यापारियों को देनी है। लेकिन फोनपे इस मानक पर खरा नहीं उतरा।
क्या होगा ग्राहकों पर असर?
आरबीआई ने साफ किया है कि यह कार्रवाई सिर्फ नियामकीय (Regulatory) कमियों के आधार पर की गई है। इसका असर ग्राहकों और व्यापारियों के साथ फोनपे के मौजूदा लेन-देन या समझौतों की वैधता पर नहीं पड़ेगा। यानी उपभोक्ताओं के लिए ऐप की सेवाएं पहले की तरह ही चलती रहेंगी।
पहले भी लगा चुका है जुर्माना
यह पहली बार नहीं है जब फोनपे पर जुर्माना लगाया गया हो।
2019 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा था।
2020 में अन्य नियामकीय मानकों के उल्लंघन पर 1.39 करोड़ रुपये का दंड लगाया गया था।
यानी नियमों की अनदेखी करना फोनपे के लिए नया नहीं है।
आरबीआई की गाइडलाइंस क्या कहती हैं?
आरबीआई के नियमों के अनुसार –
सभी नॉन-बैंक PPI इश्यूअर्स (जैसे फोनपे) को यह सुनिश्चित करना होता है कि एस्क्रो खाते में पर्याप्त बैलेंस हो।
अगर किसी भी समय बैलेंस कम होता है, तो इसकी तुरंत सूचना आरबीआई के डिपार्टमेंट ऑफ पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स (DPSS) को देनी जरूरी है।
दिन के अंत में खाते का बैलेंस ग्राहकों और व्यापारियों के लिए बकाया रकम से कम नहीं होना चाहिए।
फोनपे इन बुनियादी शर्तों को पूरा करने में विफल रहा, जिसके चलते यह कार्रवाई हुई।
फोनपे और फिनटेक सेक्टर पर असर
फोनपे भारत का एक बड़ा डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है, जिसके करोड़ों यूजर्स हैं। ऐसे में जब आरबीआई जैसी संस्था जुर्माना लगाती है, तो यह न सिर्फ कंपनी की छवि पर असर डालता है, बल्कि पूरे फिनटेक सेक्टर के लिए एक चेतावनी भी है कि नियामकीय मानकों का पालन करना बेहद जरूरी है।
यह घटना दिखाती है कि डिजिटल पेमेंट के बढ़ते दौर में भी पारदर्शिता और सख्त वित्तीय नियमों की अहमियत बनी हुई है।
फोनपे पर आरबीआई का यह जुर्माना यह साबित करता है कि वित्तीय संस्थान या फिनटेक कंपनियां, चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, उन्हें नियमों का पालन करना ही होगा।
ग्राहकों को फिलहाल चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह कार्रवाई सिर्फ कंपनी के आंतरिक संचालन से जुड़ी खामियों पर आधारित है। लेकिन कंपनियों के लिए यह एक मजबूत संदेश है कि अगर उन्होंने नियामकीय नियमों की अनदेखी की, तो उन पर सख्त कार्रवाई तय है।