AIN NEWS 1: भारत में यह आम बात है कि माता-पिता अपनी संतान को प्यार और स्नेह के चलते अपनी मेहनत की कमाई, यानी जायदाद, उनके नाम कर देते हैं। कई बार यह संपत्ति ट्रांसफर देखभाल की शर्त पर होती है, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो संपत्ति मिलते ही अपने माता-पिता की उपेक्षा करने लगते हैं।
ऐसे में अब एक सशक्त कानूनी विकल्प मौजूद है, जिसके तहत माता-पिता अपनी दी हुई संपत्ति वापस ले सकते हैं। यह कानून है – भरण-पोषण और माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007)।
क्यों ज़रूरी हुआ यह कानून?
अनेक रिपोर्ट्स और घटनाओं में देखा गया है कि बच्चे संपत्ति प्राप्त करने के बाद अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करते। कुछ तो उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं या घर से बाहर कर देते हैं। पहले माता-पिता के पास कोई कानूनी रास्ता नहीं था, लेकिन अब वे अपनी संपत्ति की वापसी का दावा कर सकते हैं।
कानून क्या कहता है?
इस अधिनियम के अनुसार:
माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक जो अपनी संपत्ति बच्चों या वारिसों को इस शर्त पर देते हैं कि उनकी देखभाल की जाएगी, और अगर ऐसा नहीं होता, तो वे उस संपत्ति की वापसी का दावा कर सकते हैं।
इसमें जैविक, गोद लिए हुए और सौतेले बच्चे सभी शामिल हैं।
यहां तक कि कोई वारिस जो देखभाल की जिम्मेदारी लेने के बाद उसे निभाने में असफल रहता है, उससे भी संपत्ति वापस ली जा सकती है।
एकतरफा रद्दीकरण की व्यवस्था
एक अहम निर्णय मद्रास हाई कोर्ट में सुनाया गया जिसमें कहा गया:
यदि कोई संपत्ति प्रेम और स्नेह के आधार पर दी गई है और उसके बदले में कोई सेवा या देखभाल की शर्त नहीं निभाई जा रही, तो माता-पिता एकतरफा उस सेटलमेंट डीड को रद्द कर सकते हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रेम और स्नेह भी संपत्ति के ट्रांसफर का एक वैध विचार (कंसिडरेशन) होता है, और यदि इसे तोड़ा जाए, तो माता-पिता को अपने अधिकारों की रक्षा का पूरा हक है।
कौन कर सकता है अपील?
कोई भी वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता जिला स्तर पर गठित विशेष अधिकरण (Maintenance Tribunal) के समक्ष दावा कर सकते हैं।
यह दावा उस जिले में किया जाता है जहां संपत्ति स्थित है या जहां वादी (माता-पिता) रहते हैं।
यदि प्रतिवादी (संतान) अधिकरण में उपस्थित नहीं होता, तो अधिकरण एकतरफा आदेश भी पारित कर सकता है।
आवेदन की प्रक्रिया
1. लिखित शिकायत करें – जिसमें यह स्पष्ट हो कि संपत्ति किस शर्त पर दी गई थी और अब उस शर्त का उल्लंघन हुआ है।
2. प्रमाण संलग्न करें – संपत्ति के दस्तावेज़, सेटलमेंट डीड, गवाहों के बयान, अस्पताल या वृद्धाश्रम के रिकॉर्ड आदि।
3. अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करें – जिला वरिष्ठ नागरिक कल्याण अधिकारी के माध्यम से।
कौन-कौन शामिल हो सकते हैं दावे में?
माता
पिता
दादा-दादी या नाना-नानी यदि वे आश्रित हों
अविवाहित/निःसंतान वृद्ध नागरिक
अधिकरण क्या कर सकता है?
संपत्ति को पूर्व स्थिति में लौटाने का आदेश दे सकता है।
संतान या वारिस को माता-पिता के भरण-पोषण के लिए मासिक भुगतान का आदेश दे सकता है (अधिकतम ₹10,000 प्रति माह)।
आपसी सहमति से मामला निपटाने की व्यवस्था कर सकता है।
इस कानून की अहमियत
यह कानून उन माता-पिता और बुजुर्गों के लिए आशा की किरण है जो अपने ही बच्चों से धोखा खा जाते हैं। अब उन्हें यह डर नहीं रहता कि अगर उन्होंने संपत्ति दे दी, तो उन्हें दर-दर भटकना पड़ेगा।
यह अधिनियम केवल संपत्ति वापसी तक सीमित नहीं है, बल्कि बुजुर्गों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार देता है।
कोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण फैसले
मद्रास हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि माता-पिता यदि महसूस करें कि संतान अब उनकी जिम्मेदारी नहीं निभा रही, तो बिना संतान की सहमति के भी संपत्ति ट्रांसफर को रद्द किया जा सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट और अन्य राज्य की अदालतों ने भी इसी तरह के फैसलों में माता-पिता को राहत दी है।
क्या आप भी इस स्थिति में हैं?
यदि आप या आपके जानने वाले किसी बुजुर्ग माता-पिता को इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो घबराएं नहीं। आप:
अपने जिले के वरिष्ठ नागरिक कल्याण अधिकारी से संपर्क करें
नजदीकी विधिक सेवा प्राधिकरण (Legal Aid Authority) से मुफ्त कानूनी सहायता लें
अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और समय पर कानूनी कदम उठाएं
माता-पिता अपने बच्चों को संपत्ति सौंपते हैं यह विश्वास करके कि उन्हें बुढ़ापे में सहारा मिलेगा। लेकिन अगर यह भरोसा टूटता है, तो अब कानून उनके साथ है। संपत्ति की वापसी के साथ-साथ मानसिक और सामाजिक राहत भी अब संभव है। इस कानून का उद्देश्य सिर्फ संपत्ति से जुड़ा नहीं है, बल्कि बुजुर्गों को गरिमामय जीवन देने का है।
In India, many parents transfer property to their children out of love or with the expectation of care in return. Unfortunately, some children neglect their elderly parents after acquiring the property. Under the Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007, parents can reclaim property gifted to neglectful children. This legal provision ensures senior citizens in India are not left helpless and provides a path to reverse property transfers made under the condition of care. Learn how to file a claim, approach the tribunal, and protect your rights under Indian property law.