AIN NEWS 1 बारन नगर (राजस्थान), 6 अक्टूबर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू समाज से अपील की है कि वे भाषा, जाति और प्रांत के विवादों को समाप्त करके एकजुट हों। उन्होंने यह बात बारन नगर में शनिवार को आयोजित एक स्वयंसेवक सभा में कही।
भागवत ने कहा, “हिंदू समाज को अपनी सुरक्षा के लिए मतभेदों को खत्म करना होगा। समाज में संगठन की भावना, आपसी सद्भाव और निकटता की आवश्यकता है। अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्य की ओर उन्मुख होना भी अनिवार्य है। समाज केवल मेरे और मेरे परिवार का नहीं है; हमें समाज की समग्र भलाई के लिए काम करना है।”
उन्होंने भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बताते हुए कहा कि यहाँ रहने वाले सभी पंथों को हिंदू कहा जाता है। “भारत एक हिंदू राष्ट्र है। हम यहाँ प्राचीन काल से रह रहे हैं, जबकि ‘हिंदू’ शब्द बाद में आया। हिंदू सबको अपना मानता है और सभी को स्वीकार करता है। हिंदू यह मानता है कि हम सही हैं और आप भी अपनी जगह पर सही हैं,” भागवत ने कहा।
आरएसएस के कार्यों को लेकर भागवत ने कहा कि यह कार्य यांत्रिक नहीं, बल्कि विचार आधारित है। “संघ का कार्य अन्य कार्यों से तुलना नहीं किया जा सकता। संघ में मूल्यों का प्रवाह समूह के नेता से स्वयंसेवक और फिर स्वयंसेवकों के परिवारों तक होता है। यह संघ में व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया है,” उन्होंने कहा।
सभा में राजस्थान क्षेत्र के संघचालक रमेश अग्रवाल, चित्तौड़ प्रांत के संघचालक जगदीश सिंह राणा, बारन विभाग के संघचालक रमेश चंद मेहता और बारन जिला संघचालक वैद्य राधेश्याम गर्ग भी उपस्थित थे।
भागवत की यह अपील हिंदू समाज की एकता और सामूहिक सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि सभी मतभेदों को खत्म करके एक सशक्त और समर्पित समाज का निर्माण जरूरी है।
इस प्रकार, मोहन भागवत की बातें न केवल समाज को एकजुट करने का संदेश देती हैं, बल्कि एक अनुशासित और संगठित समाज के लिए आवश्यक मूल्यों को भी रेखांकित करती हैं।