AIN NEWS 1 बिजनौर: कण्व ऋषि आश्रम से जुड़े अवैध कब्जे का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मंगलवार को इस विवाद ने नया मोड़ लिया जब जूना अखाड़े के साधु-संतों ने जिला कलक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान साधु-संतों ने जमकर हंगामा किया और तलवारें लहराई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि डीएम अंकित कुमार को पिछले दरवाजे से कार्यालय छोड़कर जाना पड़ा।
क्या है विवाद?
साधु-संतों का आरोप है कि बिजनौर प्रशासन ने कण्व ऋषि आश्रम को जबरन खाली करवाने की साजिश रची है। साध्वी गंगा ने दावा किया कि आश्रम से 100 कुंटल गेहूं, 70-80 गाय और अन्य सामान प्रशासन ने ट्रकों में भरकर ले जाने के बाद ताले लगा दिए। उन्होंने कहा कि इस आश्रम में साधु-संत वर्षों से पूजा-अर्चना और गौसेवा करते आ रहे हैं, लेकिन अब प्रशासन इसे खाली कराकर बंद करना चाहता है।
डीएम के ऑफिस में हंगामा
मंगलवार सुबह 50 से ज्यादा साधु-संत कलक्ट्रेट पहुंचे और डीएम ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया। साध्वी गंगा ने तलवार लेकर डीएम को चुनौती दी और आश्रम से गायब हुई वस्तुओं का हिसाब मांगा। स्थिति गंभीर होते देख डीएम अंकित कुमार ने पीछे के दरवाजे से निकलने में ही समझदारी समझी। प्रदर्शनकारियों ने उनके वाहन के पास ढोल-मंजीरे बजाकर विरोध जारी रखा।
आश्रम खाली कराने के आरोप
साध्वी गंगा ने आरोप लगाया कि डीएम और एसडीएम ने स्वाहेडी के ग्राम प्रधान सोमदेव के साथ मिलकर आश्रम खाली कराने की योजना बनाई। उनका कहना है कि मंदिर से अष्टधातु की मूर्तियां गायब हैं, और आश्रम में पूजा-अर्चना बंद हो गई है। वहीं, ग्राम प्रधान सोमदेव का कहना है कि आश्रम में साधु नशा करते थे, जिससे गांव के बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा था। इसी शिकायत पर प्रशासन ने कार्रवाई की है।
साधु-संतों की चेतावनी
साध्वी गंगा ने कहा कि यह आश्रम उनके पूर्वजों की विरासत है, और वे इसे खाली नहीं होने देंगी। उन्होंने अपने गुरु का हवाला देते हुए कहा, “अगर समझाने से बात न बने, तो तलवार उठाना ही सही है।” साधु-संतों ने चेतावनी दी कि यह लड़ाई अब आर-पार की होगी।
प्रशासन का पक्ष
एसडीएम और एडीएम ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन साधु-संतों ने उन्हें भी खरी-खोटी सुनाकर लौटा दिया। प्रशासन ने कहा है कि आश्रम को खाली कराकर उसका पुनर्निर्माण किया जाएगा।
अंतहीन विवाद
कण्व ऋषि आश्रम का विवाद प्रशासन और साधु-संतों के बीच टकराव का कारण बन गया है। जहां एक तरफ साधु इसे अपनी धार्मिक विरासत बताते हैं, वहीं प्रशासन इसे अवैध कब्जा मानता है। इस मुद्दे पर अब दोनों पक्ष आर-पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रहे हैं।