AIN NEWS 1: राज्यसभा में बुधवार को बड़ा हंगामा हुआ जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के बीच तीखी बहस छिड़ी। इस विवाद ने संसद के सत्र को गरमा दिया, जिसमें खरगे ने अपने तीखे शब्दों के साथ सरकार पर कई आरोप लगाए। इस विवाद के दौरान खरगे ने कहा, “देश के लिए मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा, किसान का बेटा हूं, झुकूंगा नहीं।”
क्या था विवाद का कारण?
यह हंगामा तब हुआ जब मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में अपनी बात रखने के दौरान सभापति धनखड़ के फैसले को लेकर सवाल उठाए। खरगे का आरोप था कि सभापति पक्षपाती रवैया अपनाते हैं और विपक्षी नेताओं को बोलने का पर्याप्त समय नहीं दिया जाता। इस पर जगदीप धनखड़ ने खरगे के आरोपों का जोरदार जवाब दिया और कहा कि संसद में किसी भी सदस्य को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन किसी को भी नियमों का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
खरगे का गुस्सा और बयान
मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में जोर देकर कहा कि वह कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं किसान का बेटा हूं और कभी भी किसी के सामने झुकूंगा नहीं। देश के लिए मरने और मिटने की भावना मेरे अंदर है।” खरगे का यह बयान सीधे तौर पर सत्ता पक्ष और सरकार के खिलाफ था, जिसे उन्होंने संसद में अपनी आवाज़ उठाने का माध्यम बनाया।
धनखड़ का प्रतिवाद
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के नेता की बातों का कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि संसद में उचित आचरण बनाए रखना जरूरी है। धनखड़ ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी किसी सदस्य की आवाज़ दबाने का प्रयास नहीं किया, बल्कि सभी को समान अधिकार दिया है।
सत्र में तनाव
इस पूरी बहस के दौरान राज्यसभा में हंगामा मच गया। विपक्ष के सदस्य लगातार इस मुद्दे पर नारेबाजी करने लगे और सभापति के खिलाफ अपनी असहमति जताने लगे। इसके परिणामस्वरूप कुछ समय के लिए सत्र स्थगित करना पड़ा।
नतीजा
इस घटना ने साबित कर दिया कि राज्यसभा में विपक्ष और सरकार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बहस के दौरान दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच संसद का माहौल गर्म हो गया। हालांकि, राज्यसभा में फिर से कामकाजी माहौल बहाल किया गया, लेकिन इस घटनाक्रम ने विपक्ष और सरकार के बीच खाई को और गहरा कर दिया।
इस पूरे हंगामे ने यह भी दिखाया कि भारतीय संसद में कार्यवाही के दौरान क्या कठिनाईयां और चुनौतियां होती हैं, खासकर जब विभिन्न दलों के नेताओं के बीच मतभेद होते हैं।