AIN NEWS 1 Rupee Depreciation: भारतीय शेयर बाजार और रुपया, दोनों मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। 13 जनवरी 2025 को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.62 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया। यह स्थिति न सिर्फ अर्थव्यवस्था बल्कि हर भारतीय की जेब पर असर डाल रही है। आइए, समझते हैं कि रुपये की गिरावट के कारण और इसके प्रभाव कैसे हर घर के बजट को बिगाड़ सकते हैं।
रुपये की गिरावट के कारण
- वैश्विक आर्थिक संकट: दुनियाभर में आर्थिक अस्थिरता और महंगाई ने रुपये पर दबाव बनाया।
- डॉलर की मजबूती: अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों के कारण डॉलर मजबूत हुआ, जिससे भारतीय रुपया कमजोर हो गया।
- कच्चे तेल की कीमतें: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए 80% कच्चा तेल आयात करता है। रुपये की कमजोरी से यह आयात महंगा हो गया।
- विदेशी निवेशकों की निकासी: विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे रुपये पर और दबाव बढ़ा।
आपकी जेब पर असर
- महंगाई बढ़ेगी: आयातित वस्तुएं महंगी होंगी, जैसे खाद्य तेल, दवाएं, और इलेक्ट्रॉनिक्स।
- रसोई पर असर: भारत सबसे ज्यादा खाद्य तेल और दालों का आयात करता है। रुपये की गिरावट से इनकी कीमतें बढ़ जाएंगी।
- पेट्रोल-डीजल महंगा: तेल की बढ़ती कीमतें परिवहन लागत बढ़ाती हैं, जिससे रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ते हैं।
- विदेशी पढ़ाई और यात्रा: विदेश में पढ़ाई या यात्रा पर जाने वालों को अब अधिक खर्च करना पड़ेगा।
आसान भाषा में समझें
रुपये की कमजोरी का असर सिर्फ बड़ी आर्थिक योजनाओं पर नहीं, बल्कि हर भारतीय की जिंदगी पर पड़ता है। चाहे वह रसोई का बजट हो, ट्रांसपोर्ट का खर्च हो, या विदेश में पढ़ाई के सपने—हर चीज महंगी हो जाती है।
The depreciation of the Indian rupee, which recently hit an all-time low of 86.62 against the US dollar, is not just an economic issue but a personal one affecting every Indian household. From higher prices for essential imports like food oils and medicines to increased transportation costs due to rising fuel prices, the ripple effects are far-reaching. Students studying abroad and travelers are directly impacted, while everyday costs like home appliances and groceries are becoming pricier due to costly imports. The weakening rupee is reshaping budgets and lives across the nation.