AIN NEWS 1 | रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ा युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले ज़मीन और आसमान पर लड़ाई हुई, अब समंदर भी इस जंग का नया मोर्चा बन गया है। रूस ने 28 अगस्त 2025 को यूक्रेन की नौसेना के एक बड़े जहाज को निशाना बनाया। यह हमला इतना गंभीर था कि यूक्रेनी नेवी का टोही (Reconnaissance) जहाज डूब गया।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह जहाज लगुना-श्रेणी का मध्यम आकार का युद्धपोत था, जो खासतौर पर निगरानी और सूचना एकत्र करने के मिशनों के लिए बनाया गया था।
हमला कहां और कैसे हुआ?
यह हमला डेन्यूब नदी के डेल्टा क्षेत्र में हुआ। इस इलाके का कुछ हिस्सा यूक्रेन के ओडेसा क्षेत्र में आता है। रूसी मीडिया RT के मुताबिक, रूस ने जहाज को समुद्री ड्रोन (Naval Drone) से निशाना बनाया और यह पहला मौका था जब ड्रोन ने किसी युद्धपोत को सफलतापूर्वक डुबो दिया।
कौन सा जहाज था निशाने पर?
डूबा हुआ जहाज था सिम्फेरोपोल (Simferopol)।
इसे 2019 में लॉन्च किया गया था।
2021 में यूक्रेनी नौसेना में शामिल किया गया।
यह जहाज 2014 के बाद यूक्रेन द्वारा लॉन्च किया गया सबसे बड़ा नौसैनिक जहाज था।
इसमें अत्याधुनिक सेंसर, रडार, रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगे थे।
इसका मुख्य उद्देश्य टोही और निगरानी अभियानों को अंजाम देना था।
रूसी सैन्य चैनल WarGonzo ने इस हमले को यूक्रेन की नौसैनिक क्षमता पर बड़ा झटका बताया है।
नुकसान कितना हुआ?
यूक्रेनी अधिकारियों ने भी हमले की पुष्टि की है।
हमले में एक चालक दल के सदस्य की मौत हो गई।
कई नाविक घायल हुए।
कुछ लापता बताए जा रहे हैं।
हालांकि अधिकांश चालक दल के सदस्यों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
हमले के बाद बचाव अभियान जारी है और यूक्रेनी नौसेना हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रही है।
आधुनिक युद्ध में समुद्री ड्रोन का पहला सफल प्रयोग
रूसी मीडिया TASS की रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह पहली बार है जब किसी नौसैनिक जहाज को समुद्री ड्रोन (Naval Drone) से पूरी तरह से डुबोया गया।
यह घटना साफ करती है कि आधुनिक युद्ध अब सिर्फ तोप और मिसाइलों तक सीमित नहीं है।
अब मानवरहित प्रणालियां (Unmanned Systems) निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
ड्रोन तकनीक चाहे हवा में हो या पानी में, दोनों ही युद्ध का भविष्य तय कर रही है।
रूस की ड्रोन रणनीति
पिछले कुछ महीनों में रूस ने नौसैनिक और हवाई ड्रोन के उत्पादन पर जोर बढ़ाया है।
रूस का दावा है कि उसने कीव की एक बड़ी ड्रोन फैक्ट्री पर मिसाइल हमला किया।
यह फैक्ट्री कथित तौर पर तुर्किये के बायरकटार (Bayraktar) ड्रोन का उत्पादन करने की तैयारी में थी।
रूस का मकसद साफ है – यूक्रेन की ड्रोन क्षमता को कमज़ोर करना और अपनी बढ़ाना।
युद्ध में ड्रोन का बढ़ता प्रभाव
इस संघर्ष में ड्रोन अब गेम-चेंजर साबित हो रहे हैं।
ड्रोन न केवल कम लागत वाले हथियार हैं, बल्कि इन्हें मानव जीवन को जोखिम में डाले बिना दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
रूस और यूक्रेन दोनों ने हाल के महीनों में ड्रोन हमलों को अपनी रणनीति का अहम हिस्सा बना लिया है।
वैश्विक नजरिया
विशेषज्ञों का मानना है कि
रूस का यह हमला न केवल यूक्रेन के लिए झटका है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नया सैन्य संदेश है।
आने वाले समय में युद्ध का तरीका बदल जाएगा।
पारंपरिक हथियारों की जगह अब ड्रोन, AI तकनीक और मानवरहित प्रणालियों का इस्तेमाल बढ़ेगा।
28 अगस्त 2025 का दिन रूस-यूक्रेन युद्ध में एक नई दिशा लेकर आया। रूस ने यूक्रेन की नौसेना को समुद्री ड्रोन से निशाना बनाकर साबित कर दिया है कि युद्ध अब जमीन और हवा से आगे बढ़कर समंदर में भी हाई-टेक लड़ाई का रूप ले चुका है।
जहां एक ओर यूक्रेन अपने खोए हुए जहाज और सैनिकों की भरपाई करने में जुटा है, वहीं दूसरी ओर रूस इस घटना को अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन मान रहा है। इस युद्ध ने साफ कर दिया है कि भविष्य के युद्ध ड्रोन और तकनीक पर ही आधारित होंगे।