AIN NEWS 1: कोविड-19 महामारी ने ना केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाला, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव छोड़ा। इसके कारण लाखों लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, और इससे एंटीडिप्रेसेंट्स और मूड एलिवेटर्स की दवाओं की बिक्री में भारी वृद्धि देखी गई है।
एंटीडिप्रेसेंट्स दवाओं की बढ़ती मांग
फार्मास्युटिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, 2020 में भारत में एंटीडिप्रेसेंट्स दवाओं का बाजार 1,540 करोड़ रुपये का था। नवंबर 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 2,536 करोड़ रुपये तक पहुँच गया, जो कि 13% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है। इस दौरान एस्सिटालोप्राम और क्लोनाज़ेपम दवाओं का कॉम्बिनेशन सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं में शामिल रहा, जिसमें 59.35% की वृद्धि हुई।
आखिर क्यों बढ़ी दवाओं की बिक्री?
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एके कुमार के अनुसार, यह वृद्धि आश्चर्यजनक नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, हर सात में से एक भारतीय मानसिक रूप से बीमार है। महामारी के दौरान लोगों में मानसिक समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ी है, जिससे वे डॉक्टर से परामर्श लेने के लिए अधिक तैयार हो गए हैं।
इसके अलावा, कोरोना महामारी के दौरान वायरस के डर और भविष्य की चिंता के कारण लाखों लोगों की मानसिक स्थिति बिगड़ी थी। यही कारण है कि मानसिक बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की खपत बढ़ी है।
मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण
डॉ. कुमार बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने का मुख्य कारण मस्तिष्क में मौजूद केमिकल का सही तरीके से काम न करना है। इसके परिणामस्वरूप डिप्रेशन, एंग्जाइटी और चिंता जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। यदि इन लक्षणों की पहचान समय रहते हो जाए और इलाज किया जाए, तो मानसिक स्वास्थ्य को बिगड़ने से बचाया जा सकता है।
कोविड के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर असर
कोविड-19 महामारी के बाद, न केवल शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़े समस्याएं बढ़ी, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ा। विशेषज्ञों के अनुसार, महामारी के दौरान तनाव, चिंता और डर के कारण मानसिक समस्याएं तेज हुईं। इसके चलते मानसिक समस्याओं के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाओं की बिक्री में भारी वृद्धि हुई है।
समय के साथ लोग मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जागरूक हो रहे हैं, जिससे एंटीडिप्रेसेंट्स दवाओं की मांग बढ़ रही है। कोविड-19 महामारी के बाद मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए दवाओं की खपत में बढ़ोतरी एक अहम संकेत है कि लोग अब मानसिक समस्याओं का इलाज करने में किसी भी तरह की संकोच नहीं कर रहे।
अगर मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं की समय पर पहचान और इलाज हो जाए तो इससे मानसिक स्वास्थ्य को बिगड़ने से रोका जा सकता है।