AIN NEWS 1 | भारत और सऊदी अरब के रिश्ते दशकों से मजबूत माने जाते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद तीन बार सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं और रिश्तों को नई ऊँचाई देने का दावा भी किया गया। लेकिन ठीक उसी समय जब पीएम मोदी अपना जन्मदिन मना रहे थे, सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ एक बड़ा सुरक्षा सहयोग समझौता (Security Cooperation Pact) कर भारत को हैरान कर दिया।
यह समझौता 17 सितंबर को हुआ और इसमें यह तय हुआ कि यदि पाकिस्तान या सऊदी अरब में से किसी एक पर हमला होता है तो इसे दोनों पर हमला माना जाएगा। यह कदम भारत के लिए राजनयिक और रणनीतिक रूप से बड़ा झटका माना जा रहा है।
पाकिस्तान-सऊदी का नया ‘रणनीतिक रक्षा समझौता’
पाकिस्तान और सऊदी अरब ने इस डील को रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता (Strategic Mutual Defense Pact) नाम दिया है। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने एक-दूसरे की सुरक्षा को अपनी सुरक्षा माना है। यानी किसी भी हमले की स्थिति में दोनों देश मिलकर जवाब देंगे।
यह समझौता उस समय हुआ जब अंतरराष्ट्रीय राजनीति पहले से ही अस्थिर माहौल में है। हाल ही में कतर में हमास नेतृत्व पर इजराइली हमला हुआ था और भारत-पाकिस्तान के बीच मई 2025 में संघर्ष भी हुआ था। ऐसे समय में सऊदी अरब का पाकिस्तान का साथ देना भारत के लिए गहरी चिंता का विषय है।
भारत-सऊदी रिश्तों का इतिहास
भारत और सऊदी अरब के रिश्ते हमेशा से मजबूत रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 2016, 2019 और अप्रैल 2025 में सऊदी का दौरा किया। इन दौरों के दौरान स्वास्थ्य, खेल, ऊर्जा, डाक सहयोग और तेल रिफाइनरी जैसे क्षेत्रों में कई समझौते हुए।
भारत ने हमेशा सऊदी अरब को रणनीतिक साझेदार माना, खासकर ऊर्जा क्षेत्र में क्योंकि भारत सऊदी से कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। दोनों देशों के बीच लाखों भारतीय कामगार भी पुल का काम करते हैं। लेकिन मौजूदा समझौता इस रिश्ते पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा रहा है।
पाकिस्तान-सऊदी बयान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने 17 सितंबर को इस डील पर हस्ताक्षर किए। यह मुलाकात पाकिस्तान के पीएम की खाड़ी देश की एक दिवसीय यात्रा के दौरान हुई।
संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों देश भविष्य में सुरक्षा, सैन्य प्रशिक्षण और रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएंगे। इसे पाकिस्तान ने अपनी कूटनीतिक जीत बताया है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस समझौते पर सीधी नाराजगी जाहिर नहीं की, लेकिन विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि वह इस पर नजर रखेगा। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और व्यापक सुरक्षा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत इस समझौते के क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेगा। यानी भारत फिलहाल सावधानी भरा रुख अपना रहा है, लेकिन अंदरखाने इस डील को गंभीर खतरे के रूप में देखा जा रहा है।
मोदी के जन्मदिन का संयोग
इस समझौते के समय ने भी भारत में हलचल बढ़ा दी है। पाकिस्तान और सऊदी अरब ने 17 सितंबर को डील साइन की, जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन था। भारतीय राजनीतिक गलियारों में इसे कूटनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान और सऊदी अरब ने जानबूझकर यह तारीख चुनी ताकि भारत को यह संदेश दिया जा सके कि उनके रिश्तों में नया मोड़ आ चुका है।
भारतीय समुदाय की चिंता
सऊदी अरब में लगभग 20 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं और वहां की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देते हैं। इस डील के बाद भारत में बैठे उनके परिवारों को भी चिंता है कि कहीं भारत-सऊदी रिश्तों में खटास से भारतीय प्रवासियों पर असर न पड़े।
इसके अलावा, ऊर्जा और तेल आपूर्ति में भी अनिश्चितता की आशंका जताई जा रही है।
सऊदी अरब और पाकिस्तान का यह रक्षा समझौता भारत के लिए राजनयिक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर चुनौतीपूर्ण है। एक तरफ भारत और सऊदी ने पिछले सालों में रिश्तों को मजबूत करने के लिए बड़े कदम उठाए, दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ यह साझेदारी भारत को अलग-थलग करने की कोशिश मानी जा रही है।
अब देखना होगा कि भारत इस नई स्थिति से कैसे निपटता है—क्या वह सऊदी अरब से फिर बातचीत कर रिश्तों को संभालेगा या इस डील को क्षेत्रीय राजनीति के दबाव में स्वीकार कर लेगा।