AIN NEWS 1 सहारनपुर: ज्योतिष पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने संभल में मस्जिद सर्वे को लेकर हुए विवाद और हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुसलमानों को विरोध के लिए पत्थर फेंकने या बल का सहारा लेने के बजाय न्यायालय में प्रमाण पेश करना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर उनके पास कोई प्रमाण है, तो वे अदालत में रखें। पत्थर फेंकने से समस्या और बढ़ेगी।”
शंकराचार्य ने शाकंभरी देवी स्थित शंकराचार्य आश्रम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मस्जिद सर्वे मामले में जो लोग अदालत का सहारा ले रहे हैं, वे राजनीतिक उद्देश्य से ऐसा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने जोर दिया कि इस विवाद का हल अदालत के माध्यम से या संवाद के जरिए निकाला जाना चाहिए।
“दोनों पक्षों में हो वार्ता”
शंकराचार्य ने सुझाव दिया कि इस मुद्दे पर मुसलमान विद्वानों का एक बोर्ड बनाया जाए और दोनों समुदायों के प्रतिनिधि अपने-अपने प्रमाण पेश करके चर्चा करें। उन्होंने कहा, “संवाद ही इस समस्या का सबसे बेहतर समाधान हो सकता है। लेकिन अगर दोनों पक्ष बातचीत को तैयार नहीं होते, तो अदालत के आदेश का पालन करना चाहिए।”
बाबा बागेश्वर पर तीखा हमला
बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के “जात-पात की विदाई” और “हिंदू-हिंदू भाई-भाई” वाले बयान पर शंकराचार्य ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे “दिखावा” बताते हुए कहा, “दो रोटी खाकर फोटो और वीडियो बनवाना सिर्फ दिखावा है। अगर वे वास्तव में जात-पात खत्म करना चाहते हैं, तो किसी दलित कन्या से विवाह करें और रोज उसके घर का खाना खाएं। केवल एक दिन की रस्म अदायगी से समाज में बदलाव नहीं आएगा।”
“दिखावे से नहीं होगा समाज सुधार”
शंकराचार्य ने कहा कि समाज सुधार के लिए गंभीर प्रयासों की जरूरत है, न कि महज प्रचार-प्रसार और दिखावे की। उन्होंने बाबा बागेश्वर पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके ऐसे कार्यों से समाज में असल बदलाव नहीं आएगा।
संभल में हिंसा का समाधान जरूरी
शंकराचार्य ने कहा कि धर्म से जुड़े विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “समाज में हिंसा और अशांति फैलाने से कोई समाधान नहीं निकलेगा। सभी पक्षों को न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास करना चाहिए और विवादों का हल कानून के अनुसार निकालना चाहिए।”
निष्कर्ष: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपने बयान में समाज में शांति और समरसता बनाए रखने की अपील की और जोर दिया कि धार्मिक विवादों को हल करने का एकमात्र तरीका संवाद और न्यायालय का सहारा लेना है।