महाकुंभ 2025 में भगदड़ की घटना पर दिए गए कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री के बयान को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने शास्त्री के बयान को संवेदनहीन और अपमानजनक बताया।
शंकराचार्य का कड़ा जवाब
शंकराचार्य ने कहा,
“अगर धीरेंद्र शास्त्री मानते हैं कि इस तरह की मौत से मोक्ष मिलता है, तो उन्हें खुद महाकुंभ में आकर ऐसा मोक्ष प्राप्त कर लेना चाहिए।”
उन्होंने आरोप लगाया कि धीरेंद्र शास्त्री ने यह बयान केवल कुछ लोगों को खुश करने के लिए दिया और यह पीड़ित परिवारों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
अन्य संतों ने भी जताई नाराजगी
परमहंस पीठाधीश्वर शिवयोगी मौनी महाराज ने भी धीरेंद्र शास्त्री के बयान को बचकाना और अस्वीकार्य बताया। उन्होंने कहा कि,
“यदि संत और कथावाचक इस तरह के बयान देंगे, तो पीड़ित परिवारों को और भी ज्यादा दुख पहुंचेगा।”
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि कुछ लोग इतने गुस्से में हैं कि अगर धीरेंद्र शास्त्री महाकुंभ में दिखाई दिए, तो उन्हें धक्का देकर मोक्ष दिलाने की बात कह रहे हैं।
सरकार पर भी लगाए गंभीर आरोप
संतों ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार भगदड़ की घटना की सच्चाई को छुपाने की कोशिश कर रही है और सबूतों को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। मौनी महाराज ने सरकार से इस घटना की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
क्या कहना है पीड़ित परिवारों का?
पीड़ित परिवारों का कहना है कि वे अपने परिजनों की मौत पर न्याय चाहते हैं, न कि ऐसे संवेदनहीन बयान। उनका मानना है कि सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना चाहिए।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 की इस भगदड़ की घटना ने सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, धीरेंद्र शास्त्री के बयान ने धार्मिक और राजनीतिक विवाद को और बढ़ा दिया है। अब देखना यह होगा कि सरकार और धार्मिक संगठनों की ओर से इस पर क्या कदम उठाए जाते हैं।
During Maha Kumbh 2025, Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati strongly condemned Dhirendra Shastri’s statement on the Kumbh Mela stampede deaths, calling it insensitive and irresponsible. Many Hindu saints expressed outrage, stating that such remarks mock the pain of victims’ families. Saint Shivayogi Mauni Maharaj also criticized the statement, emphasizing that governments must take accountability for ensuring proper arrangements at Prayagraj Kumbh Mela. The incident has sparked a religious and political debate over safety measures and governance at the grand pilgrimage.