AIN NEWS 1 | आज के समय में नींद न आना यानी अनिद्रा एक बेहद आम समस्या बन चुकी है। इसका असर केवल हमारी सेहत पर ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा की कार्यक्षमता, मूड और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। आधुनिक जीवन की भागदौड़, तनाव और अनियमित दिनचर्या इस परेशानी को और बढ़ा देती है।
हाल ही में ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित हृदय देखभाल और रिसर्च संस्थान ने एक ऐसी तकनीक पर शोध किया, जो पारंपरिक भारतीय पद्धति है और अब वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित हो चुकी है — शंख बजाना।
शंख बजाने से नींद में कैसे सुधार होता है?
शोध में पाया गया कि शंख बजाना सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि एक प्रभावी स्वास्थ्यवर्धक अभ्यास भी है।
गले और तालु की मांसपेशियों को मजबूत करता है — इससे सांस लेने में आसानी होती है और खर्राटों की समस्या कम हो सकती है।
रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन का स्तर बेहतर करता है — जिससे मस्तिष्क और शरीर को अधिक ऊर्जा और शांति मिलती है।
तनाव कम करता है — गहरी सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया मानसिक संतुलन को बढ़ाती है, जिससे नींद जल्दी आती है और गहरी होती है।
नाक के मार्ग को साफ करता है — शंख बजाते समय बनने वाला दबाव वायु प्रवाह को नियंत्रित करता है, जिससे श्वसन प्रणाली बेहतर होती है।
शोध में क्या पाया गया?
अध्ययन में उन मरीजों को शामिल किया गया जो लंबे समय से नींद न आने की समस्या से जूझ रहे थे। उन्हें रोजाना कम से कम 5 दिन तक, 15 मिनट शंख बजाने का अभ्यास कराया गया।
📌 6 महीने बाद के नतीजे:
34% मरीजों ने बताया कि उन्हें अब गहरी और शांत नींद आने लगी है।
कई लोगों में खर्राटों की समस्या में कमी आई।
प्रतिभागियों ने दिन में थकान और चिड़चिड़ापन घटने की भी पुष्टि की।
यह परिणाम बताता है कि प्राकृतिक तरीकों से भी नींद की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है, बिना दवाओं पर निर्भर हुए।
विशेषज्ञों की राय
शोध के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. बक्शी के अनुसार:
“शंख बजाना एक तरह का विशेष श्वसन व्यायाम है, जो शरीर और दिमाग दोनों के लिए लाभकारी है। इससे तनाव कम होता है, मांसपेशियां मजबूत होती हैं और श्वसन मार्ग खुलते हैं। यही कारण है कि नींद में सुधार देखने को मिलता है।”
डॉ. बक्शी का मानना है कि यह तरीका उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जिन्हें स्लीप एपनिया, खर्राटे या सांस की दिक्कत होती है।
शंख बजाने की सही तकनीक और सावधानियां
अगर आप इस अभ्यास को अपनाना चाहते हैं, तो शुरुआत में किसी प्रशिक्षित व्यक्ति या विशेषज्ञ की मदद लेना बेहतर है।
सुझाव:
आरामदायक जगह बैठें, पीठ सीधी रखें।
गहरी सांस लें और धीरे-धीरे शंख में फूंक मारें, ताकि स्थिर और लंबी ध्वनि निकले।
रोजाना 10–15 मिनट से शुरुआत करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
अगर आपको सांस की गंभीर समस्या या दिल की बीमारी है, तो पहले डॉक्टर से सलाह लें।
किन लोगों को खासतौर पर लाभ हो सकता है?
अनिद्रा या नींद की कमी से जूझ रहे लोग।
खर्राटे या स्लीप एपनिया के मरीज।
तनाव और चिंता से परेशान लोग।
श्वसन रोगों से पीड़ित व्यक्ति, जिन्हें ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने की जरूरत है।
दवाओं से बेहतर प्राकृतिक उपाय
नींद की दवाएं लंबे समय तक लेने से कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे आदत लग जाना, सुस्ती और मानसिक भ्रम। ऐसे में शंख बजाना एक सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्प है, जिसमें कोई रासायनिक दवा शामिल नहीं होती।
शंख बजाना एक प्राचीन भारतीय परंपरा है, जो अब वैज्ञानिक शोध के बाद भी प्रभावी साबित हुई है। यह न केवल नींद की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
यदि आप अनिद्रा, खर्राटों या तनाव से परेशान हैं, तो रोजाना कुछ मिनट शंख बजाने की आदत डालें। 6 महीने बाद आपको फर्क महसूस होना तय है — और हो सकता है, नींद आपकी जिंदगी में फिर से मुस्कुराहट लेकर आए।
Recent research from a renowned UK heart care and research institute has revealed that shankh (conch shell) blowing can be an effective natural remedy for insomnia. Practicing shankh blowing for just 15 minutes, five days a week, showed significant improvements in sleep quality within 6 months. This traditional Indian breathing exercise strengthens throat muscles, improves oxygen circulation, reduces stress, and enhances mental calmness, making it a promising solution for sleep disorders and snoring problems.