AIN NEWS 1 | अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा ने भारतीय व्यापारिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस मुद्दे पर सबसे तेज़ प्रतिक्रिया आई है कांग्रेस सांसद शशि थरूर की, जिन्होंने इस निर्णय को भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक बड़ा झटका बताया।
शशि थरूर ने कहा कि यह फैसला भारत के निर्यात कारोबार के लिए नुकसानदायक हो सकता है और इससे भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे वहां के उपभोक्ताओं के लिए हमारी चीजें “पहुंच से बाहर” हो जाएंगी।
भारत के लिए नुकसान, दूसरों के लिए राहत?
थरूर ने अपनी प्रतिक्रिया में उन देशों का भी ज़िक्र किया, जिन पर अमेरिका ने इतनी सख्ती नहीं दिखाई। उन्होंने कहा:
“अगर आप देखें तो वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस, यहां तक कि बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों पर टैरिफ दरें भारत से कम हैं। ऐसे में अमेरिका के लोग सस्ता सामान इन्हीं देशों से खरीदना चाहेंगे, और भारत को नज़रअंदाज़ कर देंगे।”
उन्होंने चेताया कि इस टैरिफ वृद्धि से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता घटेगी, जिससे आर्थिक नुकसान तय है।
व्यापारिक रिश्तों का फिर से मूल्यांकन ज़रूरी
थरूर ने सुझाव दिया कि अब समय आ गया है जब भारत को अपने व्यापारिक साझेदारों में विविधता लानी होगी। उन्होंने कहा:
“अब भारत का ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है और यूरोपीय संघ से बातचीत चल रही है। हमें उन बाजारों पर फोकस करना चाहिए जहां हमारे उत्पादों की मांग है। यह ट्रंप का निर्णय भारत के लिए एक चेतावनी है।”
अमेरिका पर दोहरे मापदंडों का आरोप
शशि थरूर ने अमेरिका की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ट्रंप सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है। उन्होंने कहा:
“अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम और पैलेडियम जैसी महंगी वस्तुएं ले रहा है। वहीं भारत को रूसी तेल खरीदने पर दंडित किया जा रहा है। यह पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है।”
थरूर ने यह भी कहा कि अमेरिका ने चीन को 90 दिनों की मोहलत दी है, जबकि चीन भारत से कहीं अधिक मात्रा में रूस से तेल आयात कर रहा है। फिर भी, भारत को ही निशाना बनाया जा रहा है।
“अमेरिका को अब दोस्त नहीं कहा जा सकता”
कांग्रेस नेता ने अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए कहा:
“हमने हमेशा अमेरिका को एक भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार माना, लेकिन अब लगने लगा है कि यह रिश्ता सिर्फ एकपक्षीय था। अब जब अमेरिका ने अपने असली चेहरे दिखाए हैं, हमें भी अपने कदम सावधानी से रखने होंगे।”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत सरकार को अमेरिका के निर्यात पर प्रतिकारात्मक टैरिफ लगाने पर विचार करना चाहिए, ताकि संतुलन बना रहे।
आगे की रणनीति क्या हो सकती है?
थरूर ने कहा कि भारत को अब अपनी व्यापारिक रणनीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि:
भारत को आसियान, यूरोपीय, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी बाजारों में नई संभावनाएं तलाशनी होंगी।
मूल्य प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता को केंद्र में रखकर भारत को नए व्यापारिक गठजोड़ बनाने होंगे।
डिजिटल इंडिया, फार्मा, टेक्सटाइल और ऑटोमोबाइल सेक्टर को नए बाज़ारों तक पहुंचाने की रणनीति बनानी होगी।
जनता का भी बदलेगा रुख?
थरूर का मानना है कि भारत के लोगों में भी अब अमेरिका के खिलाफ एक सोच बनने लगेगी। उन्होंने कहा:
“अब जब अमेरिकी रुख सामने है, मुझे लगता है कि भारतीय जनता में भी यह भावना उभरेगी कि हमें भी उनके उत्पादों पर टैक्स लगाना चाहिए। यह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया होगी।”
डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए 25% अतिरिक्त टैरिफ ने भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में दरार डाल दी है। शशि थरूर की यह प्रतिक्रिया केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि यह आने वाले समय में भारत की व्यापार नीति की दिशा भी तय कर सकती है।
भारत को अब आत्मनिर्भरता, व्यापार विविधता और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की दिशा में तेजी से कदम उठाने की जरूरत है। आने वाले दिनों में ये मुद्दे केवल आर्थिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा बनेंगे।
Congress MP Shashi Tharoor responded strongly to US President Donald Trump’s decision to impose an additional 25% tariff on Indian imports, bringing the total tariff to 50%. Tharoor highlighted the double standards in US foreign policy, pointing out that the US continues to import uranium and palladium from Russia while penalizing India for buying Russian oil. He stressed the need for India to diversify its trade partnerships and consider similar tariff responses.