AIN NEWS 1: महाराष्ट्र में महायुति की बंपर जीत के बावजूद मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और एकनाथ शिंदे के बीच असहमति बनी हुई है। शिंदे ने भाजपा से 6 महीने के लिए मुख्यमंत्री बनने की गुजारिश की थी, लेकिन भाजपा हाईकमान ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। भाजपा ने स्पष्ट किया कि सीएम पद पर कोई समझौता नहीं होगा और इस पर अंतिम निर्णय पार्टी ही लेगी।
शिंदे का 6 महीने के लिए सीएम बनने का प्रस्ताव
28 नवंबर को दिल्ली में हुई बैठक के दौरान शिंदे ने गृहमंत्री अमित शाह से कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया जाए, भले ही यह सिर्फ 6 महीने के लिए हो। शिंदे ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को याद दिलाया कि गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का वादा किया गया था। हालांकि, भाजपा ने शिंदे के इस प्रस्ताव को पूरी तरह से नकार दिया।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “6 महीने के लिए मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय गलत मिसाल कायम करेगा और इससे प्रशासन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।” इस बैठक में भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार और अन्य भाजपा पदाधिकारी भी मौजूद थे।
शिंदे को हुआ आश्चर्यजनक जवाब
भाजपा हाईकमान ने शिंदे से सवाल किया, “क्या आप 288 सदस्यीय विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिलने पर मुख्यमंत्री पद का दावा छोड़ देंगे?” इस सवाल से शिंदे चुप रह गए और उनका आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक था। भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया कि इस बार मुख्यमंत्री पद पर कोई समझौता नहीं होगा, और भाजपा के ही मुख्यमंत्री होंगे।
भाजपा का मजबूती से खड़ा रुख
भाजपा ने शिंदे के अनुरोध को इस आधार पर खारिज कर दिया कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 132 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। 2014 में भाजपा ने 122 सीटें जीती थीं और फडणवीस को एनसीपी के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री बनाया गया था। ऐसे में भाजपा के लिए यह सही नहीं था कि वह शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए, खासतौर पर जब पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत था।
मंत्रिमंडल के आकार पर चर्चा जारी
बैठक के बाद, भाजपा विधायक दल की बैठक में मंत्रिमंडल के आकार पर निर्णय लिया जा सकता है। शिंदे ने भी कहा कि वह भाजपा के निर्णय का समर्थन करेंगे और फडणवीस तथा अजित पवार के साथ मिलकर सत्ता बंटवारे के सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
दिल्ली बैठक के बाद, शिंदे अपने खराब स्वास्थ्य के कारण सतारा स्थित अपने पैतृक गांव गए थे, लेकिन उन्होंने वापसी पर फिर से यह कहा कि वह भाजपा के फैसले का समर्थन करेंगे और सरकार के गठन को लेकर पार्टी के साथ खड़े रहेंगे।
इस तरह, सीएम पद को लेकर भाजपा और शिंदे के बीच चल रही रस्साकशी अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है, और भाजपा का रुख साफ हो चुका है कि सीएम पद पर कोई समझौता नहीं होगा।