AIN NEWS 1 लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपनी ही विधायक पल्लवी पटेल का साथ नहीं दिया। पल्लवी ने योगी सरकार के मंत्री आशीष पटेल पर आरक्षण में घोटाले का गंभीर आरोप लगाया है। हालांकि, सदन में इस मुद्दे पर उन्हें अपनी पार्टी के विधायकों का समर्थन नहीं मिला।
क्या है मामला?
पल्लवी पटेल, जो अपना दल (कमेरावादी) की नेता हैं, ने 2022 में सपा के टिकट पर सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। बीते दिनों पल्लवी ने मंत्री आशीष पटेल के विभाग में आरक्षण से जुड़े भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और उनके इस्तीफे की मांग की। लेकिन सदन में पल्लवी अकेले ही इस मामले को उठाती नजर आईं।
सोमवार को वह देर रात तक धरने पर भी बैठीं, लेकिन न तो नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय उनसे मिलने आए, और न ही शिवपाल यादव ने उनका समर्थन किया।
पिछली घटनाओं से बिगड़े रिश्ते
सपा और पल्लवी पटेल के बीच दूरी नई नहीं है। फरवरी 2024 में राज्यसभा चुनाव के दौरान पल्लवी ने सपा के प्रत्याशियों के चयन पर सवाल उठाए थे। हालांकि, उन्होंने पार्टी के पक्ष में वोट किया था।
इसके बाद लोकसभा चुनाव में पल्लवी ने सपा के पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) गठबंधन से अलग होकर पीडीएम (पिछड़ा-दलित-महिला) नाम से अलग चुनाव लड़ा। इससे दोनों के बीच सियासी मतभेद और गहरा गया।
सपा विधायकों ने क्यों बनाई दूरी?
सपा के किसी भी विधायक ने पल्लवी पटेल का खुलकर समर्थन नहीं किया। हालांकि, आशीष पटेल पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कई विधायकों ने बयान दिए।
अतुल प्रधान ने कहा, “हमारी पार्टी की एक विधायक ने आरोप लगाए हैं। अगर इस्तीफा देना है तो पूरी सरकार को देना पड़ेगा।”
महेंद्र यादव और राजेंद्र चौधरी ने भ्रष्टाचार की आलोचना करते हुए आशीष पटेल के इस्तीफे की मांग की, लेकिन पल्लवी का नाम नहीं लिया।
अखिलेश यादव का रुख
सूत्रों के अनुसार, अखिलेश यादव ने पार्टी के विधायकों को निर्देश दिया है कि वे पल्लवी पटेल के विरोध प्रदर्शन से दूरी बनाए रखें। इसका कारण राज्यसभा चुनाव को बताया जा रहा है, जहां सपा को राजनीतिक समीकरण साधने की जरूरत है।
पल्लवी की राह मुश्किल
सपा से समर्थन न मिलने के बाद पल्लवी पटेल का राजनीतिक सफर और चुनौतीपूर्ण हो गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपनी लड़ाई कैसे आगे बढ़ाती हैं और क्या सपा के साथ उनका रिश्ता फिर से पटरी पर आ पाएगा।