AIN NEWS 1 | प्रयागराज महाकुंभ की भव्यता में झांकियां मुख्य आकर्षण का केंद्र होती हैं। पेशवाई के दौरान, अखाड़े अपनी परंपरा और धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करते हैं। इन झांकियों में अघोरी, हनुमान, भगवान शंकर, काली और कृष्ण जैसे किरदारों की अद्भुत प्रस्तुतियां शामिल होती हैं।
गोलू केसरवानी, जो ‘दीपक-गोलू झांकी ग्रुप’ चलाते हैं, महाकुंभ के लिए ऐसी झांकियों को तैयार करने का जिम्मा उठाते हैं। उनकी टीम कुशल कलाकारों की टोली है, जो हर किरदार को जीवंत बना देती है। गोलू बताते हैं कि उनकी टीम को अखाड़ों से 8 झांकियों का ऑर्डर मिला है। झांकी में उनकी टीम अघोरी, हनुमान, शंकर-पार्वती, कृष्ण और काली का रूप धारण करती है।
झांकी की तैयारी: 45 दिन की ट्रेनिंग
गोलू के अनुसार, उनकी टीम में कुल 25 लोग हैं। इनमें 8 लोग अघोरी बनने के लिए ट्रेनिंग लेते हैं। हर किरदार के लिए अलग-अलग ट्रेनिंग होती है, जो 1 महीने से 6 महीने तक चलती है। किरदार को परफेक्ट बनाने के बाद ही उन्हें झांकी में शामिल किया जाता है।
झांकी के किरदारों को तैयार करने के लिए कलाकारों को बारीकियों से सिखाया जाता है। गोलू ने बताया कि हर अखाड़े की जरूरत अलग होती है, और उनकी टीम उसी के अनुसार तैयारी करती है।
पेशवाई की भव्यता बढ़ाने के लिए अघोरी और झांकियां जरूरी
महाकुंभ में अखाड़ों की पेशवाई एक परंपरा है। पहले यह सरल तरीके से होती थी, लेकिन अब इसे भव्य बनाया जाता है। पेशवाई में फूलों से सजी गाड़ियां, 20 ट्रैक्टरों पर झांकियां, डीजे और बैंड शामिल होते हैं।
गोलू बताते हैं कि अघोरी का किरदार सबसे ज्यादा मांग में है। उनकी टीम के सदस्य दिनभर राख में लिपटे रहते हैं और अपनी एक्टिंग से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। हालांकि, इस दौरान उन्हें स्किन संबंधी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
झांकी कलाकारों की कमाई और मेहनताना
गोलू की टीम एक झांकी के लिए 30-35 हजार रुपये चार्ज करती है। अघोरी बनने वाले कलाकार को प्रति झांकी 1000 रुपये मिलते हैं, जबकि सहायक कलाकारों को 500 रुपये। शंकर का किरदार निभाने वाले शनि को 1500 रुपये मिलते हैं।
मुस्लिम कलाकार निभाते हैं काली और कृष्ण का किरदार
गोलू की टीम में 5 मुस्लिम कलाकार भी हैं, जो काली और कृष्ण का किरदार निभाते हैं। गोलू कहते हैं कि उनके सभी कलाकार काम शुरू करने से पहले भगवान का नाम लेते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ अपनी भूमिका निभाते हैं।
पारिवारिक विरासत संभाल रहे गोलू
गोलू के पिता दीपक केसरवानी ने 26 साल पहले झांकियों में बजरंगबली का किरदार निभाना शुरू किया था। अब गोलू इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं। दीपक बताते हैं कि झांकियों की तैयारी के लिए समर्पण और धैर्य की जरूरत होती है।
चुनौतियां और प्रतिस्पर्धा
महाकुंभ में झांकियों की कई टीमें शामिल होती हैं। बेहतर परफॉर्मेंस देने वाली टीम को अधिक इनाम और पहचान मिलती है। कलाकारों को दिनभर राख और रंगों में लिपटे रहना पड़ता है, जो एक बड़ी चुनौती है।