AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में कानपुर की सीसामऊ सीट एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गई है। यह सीट पिछले 22 वर्षों से सोलंकी परिवार के पास है। इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) से नसीम सोलंकी चुनाव लड़ रही हैं। कानपुर की यह सीट भाजपा के लिए चुनौती बन चुकी है, क्योंकि सपा का लंबे समय से इस सीट पर कब्जा है।
सोलंकी परिवार की राजनीतिक विरासत
सीसामऊ सीट पर सोलंकी परिवार की पकड़ को देखते हुए, यह साफ है कि यहां के लोग इस परिवार को समर्थन देते हैं। इस क्षेत्र की जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत मुस्लिम है, जबकि 60 प्रतिशत अन्य जातियों का है। सोलंकी परिवार का इस सीट पर लगातार जीतना यह दर्शाता है कि उनका प्रभाव सभी वर्गों में है।
चुनाव प्रचार में धार्मिक संकेत
चुनाव प्रचार के दौरान नसीम सोलंकी ने कानपुर के बनखंडेश्वर शिव मंदिर में जाकर जलाभिषेक किया और दीपावली पर दीपक जलाए। यह कदम न केवल उनकी धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे सभी समुदायों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। नसीम ने इससे पहले एक गुरुद्वारे में भी जाकर आशीर्वाद लिया।
इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों में शामिल होने से नसीम सोलंकी एक महत्वपूर्ण संदेश देना चाहती हैं। हालांकि, यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि विपक्ष इस पहल को लेकर आलोचना कर सकता है। नसीम सोलंकी के पति और पूर्व विधायक इरफान सोलंकी और उनके ससुर हाजी मुश्ताक ने भी सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों के विकास में योगदान दिया है।
सोलंकी परिवार का ऐतिहासिक संदर्भ
हाजी मुश्ताक सोलंकी ने 22 साल पहले इस सीट पर जीत दर्ज की थी, और उनके काम तथा मिलनसारिता के लिए लोग आज भी उन्हें याद करते हैं। अब, उनके बेटे इरफान सोलंकी जेल में हैं, और उनकी पत्नी नसीम सोलंकी चुनावी मैदान में हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नसीम सोलंकी अपनी पारिवारिक विरासत को बनाए रख पाएंगी या नहीं।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा इस चुनावी प्रचार को सपा की चुनावी चाल मानती है। उनका कहना है कि सोलंकी परिवार के इस धार्मिक स्थलों पर जाने का कदम सिर्फ एक चुनावी स्टंट है। हालांकि, नसीम सोलंकी का उद्देश्य सभी वर्गों के लोगों को अपने साथ जोड़ना है, ताकि वे एक व्यापक समर्थन जुटा सकें।
निष्कर्ष
इस उपचुनाव में नसीम सोलंकी का धर्म के प्रति यह झुकाव यह संकेत करता है कि वे सभी समुदायों के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश कर रही हैं। सोलंकी परिवार का इस सीट पर 22 साल का इतिहास और नसीम का धार्मिक स्थलों पर जाना, दोनों ही इस चुनाव को दिलचस्प बना रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि सपा की यह रणनीति कितनी सफल होती है।