AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के टोल प्लाजा पर करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है। मिर्जापुर जिले के अतरैला शिव गुलाम टोल प्लाजा पर छापा मारकर एसटीएफ ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया। यह गिरोह NHAI के सिस्टम में अपने सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करके टोल कलेक्शन का पैसा अपने खाते में डाल रहा था।
कैसे होता था घोटाला?
गिरफ्तार आरोपी आलोक सिंह, जो MCA पास है, ने स्वीकार किया कि उसने टोल प्लाजा मालिकों और आईटी कर्मचारियों के साथ मिलकर एक समानांतर सॉफ्टवेयर तैयार किया। इस सॉफ्टवेयर को NHAI के सिस्टम में इंस्टॉल किया गया, जिससे बिना फास्टैग वाले वाहनों का टोल टैक्स वसूला जाता था। इस फर्जी सिस्टम से इकट्ठा किए गए पैसे को NHAI के खाते में जमा करने की बजाय खुद रख लिया जाता था।
मिर्जापुर में हर दिन ₹45,000 का गबन
मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर प्रतिदिन ₹45,000 का गबन हो रहा था। पिछले दो साल में अकेले इस प्लाजा से ही ₹3.28 करोड़ की हेराफेरी की गई। एसटीएफ ने छापेमारी के दौरान दो लैपटॉप, पांच मोबाइल फोन, एक प्रिंटर, एक कार और ₹19,000 नकद बरामद किए।
देशभर में फैला नेटवर्क
एसटीएफ की जांच में सामने आया कि यह गिरोह देश के 12 राज्यों के 200 से अधिक टोल प्लाजा पर इस तरह का घोटाला कर रहा था। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के टोल प्लाजा इसमें शामिल हैं।
NHAI सॉफ्टवेयर में सेंध
टोल प्लाजा पर लगे सिस्टम में आरोपियों का बनाया हुआ सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया था। इससे बिना फास्टैग वाले वाहनों से दोगुना शुल्क वसूला जाता था और NHAI को मात्र 5% राशि भेजी जाती थी। नियमानुसार, बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले गए शुल्क का 50% हिस्सा NHAI को मिलना चाहिए था।
आरोपियों ने क्या कहा?
गिरफ्तार आरोपी आलोक सिंह ने बताया कि वह पहले एक टोल प्लाजा में काम करता था। वहीं से टोल मालिकों और आईटी कर्मचारियों के संपर्क में आया। इसके बाद उन्होंने मिलकर फर्जी सॉफ्टवेयर बनाया। टोल कलेक्शन का पैसा टोल प्लाजा मालिक, आईटी स्टाफ और अन्य कर्मचारियों में बांटा जाता था।
एसटीएफ की जांच जारी
वाराणसी एसटीएफ के एएसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि मामले की गहराई से जांच हो रही है। गिरोह के अन्य सदस्यों और अन्य टोल प्लाजा में हो रही गड़बड़ियों का पता लगाया जा रहा है।
अहम गिरफ्तारियां और बरामदगी
गिरफ्तार आरोपी: आलोक सिंह और दो अन्य
बरामदगी:
2 लैपटॉप
5 मोबाइल
1 प्रिंटर
1 कार
₹19,000 नकद
सरकारी राजस्व पर बड़ा प्रभाव
यह घोटाला न सिर्फ NHAI के राजस्व को प्रभावित कर रहा था, बल्कि फास्टैग प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा कर रहा था।
STF का बयान
एसटीएफ का कहना है कि गिरोह ने देश के 200 टोल प्लाजा पर समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया है। मिर्जापुर मामले के बाद अन्य स्थानों पर जांच तेज कर दी गई है।
यह घोटाला दिखाता है कि कैसे सरकारी प्रणाली में सेंध लगाकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा सकता है। एसटीएफ की कार्रवाई सराहनीय है और उम्मीद है कि दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी।
The Special Task Force (STF) has unearthed a massive fraud involving 200 toll plazas across 12 Indian states. Fraudsters, led by mastermind Alok Singh, installed parallel software on NHAI systems, embezzling Rs 3.28 crore at a single toll plaza in Mirzapur alone. The scam involved bypassing Fastag systems and collecting illegal tolls, affecting the revenue of the National Highways Authority of India (NHAI). With 3 arrests made, the STF continues its investigation into this nationwide nexus.