AIN NEWS 1: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव रजनीश चंद्रा को अदालत की अवमानना के मामले में हिरासत में लेने का आदेश दिया है। यह मामला सेवानिवृत्त सहायक शिक्षिका सुमन देवी की याचिका से जुड़ा है, जिसमें वेतन भुगतान में लापरवाही का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने सचिव पर ₹2000 का जुर्माना भी लगाया और उनकी माफी को अस्वीकार कर दिया
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता सुमन देवी, डॉ. बीआर अंबेडकर शिक्षा सदन, आबू नगर, फतेहपुर में सहायक शिक्षिका थीं। उन्हें 10 अप्रैल 2022 को सेवानिवृत्त होना था। लेकिन सत्र समाप्त होने तक उनकी सेवा अवधि बढ़ाकर 31 मार्च 2023 कर दी गई। इस दौरान उन्हें उनके विस्तारित कार्यकाल का वेतन नहीं दिया गया।
सुमन देवी ने अदालत में याचिका दाखिल की, जिसमें उन्होंने 4 मार्च 2024 के हाई कोर्ट के आदेश का पालन न होने की शिकायत की। कोर्ट ने सुमन देवी के पक्ष में वेतन भुगतान का निर्देश दिया था, लेकिन विशेष सचिव ने आदेश का पालन नहीं किया।
कोर्ट की कार्रवाई
जस्टिस सलिल कुमार राय की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में विशेष सचिव रजनीश चंद्रा को दोषी ठहराया गया। कोर्ट ने कहा कि सचिव की ओर से मांगी गई माफी ईमानदार नहीं थी और यह केवल दंड से बचने के लिए दी गई थी।
अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए सचिव को कोर्ट के उठने तक हिरासत में रखने का आदेश दिया। इसके साथ ही ₹2000 का जुर्माना भी लगाया गया।
कोर्ट का कड़ा रुख
हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि विशेष सचिव ने आदेश का पालन न करके अदालत की अवमानना की है। माफी मांगने के बावजूद, उनकी माफी को वास्तविक और ईमानदार नहीं माना गया। कोर्ट ने कहा कि यह माफी सिर्फ कार्यवाही से बचने के लिए दी गई है।
विशेष सचिव रजनीश चंद्रा को दोपहर 1 बजे तक अदालत में हिरासत में रखा गया। कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे मामलों में माफी स्वीकार नहीं की जाएगी और आदेश की अवहेलना करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
यह मामला न्यायिक आदेशों की गंभीरता और उनका पालन सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस सख्त कदम से यह संदेश गया है कि अदालत के आदेशों की अवहेलना करने पर कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा।